TwoCircles.net News Desk
लखनऊ : बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद से लेकर अब तक तथाकथित रामलला रामजन्मभूमि मंदिर की सुरक्षा और देखरेख पर हुए खर्चे, मंदिर के तिरपाल पर आए खर्च, तिरपाल बदलने पर आए खर्च, रामजन्मभूमि-बाबरी विवाद की अदालती कार्यवाहियों पर आए सरकारी खर्च और बाबरी मस्जिद टूटने के उत्तरदाई लोक-सेवकों को दिए दंड और रामलला रामजन्मभूमि मंदिर का पुजारी नियुक्त करने की विहित प्रक्रिया पर मांगी सूचना देने से उत्तर प्रदेश सरकार ने इंकार कर दिया है.
ये जानकारी सूचना के अधिकार के ज़रिए लखनऊ के आरटीआई कार्यकर्ता इंजीनियर संजय शर्मा ने मांगी थी. उन्होंने बीते 16 सितम्बर, 2017 को यूपी के मुख्य सचिव कार्यालय में एक आरटीआई दायर करके ये जानकारी मांगी थी.
मुख्य सचिव कार्यालय के अनु. सचिव एवं जन सूचना अधिकारी ने संजय शर्मा की इस आरटीआई अर्जी को बीते 21 सितम्बर को ही उत्तर प्रदेश के गृह विभाग को हास्तांतरित कर दी थी. अब गृह विभाग के साम्प्रदायिकता नियंत्रण प्रकोष्ठ के विशेष कार्याधिकारी अशोक कुमार सिंह ने ये सूचना देने से इंकार कर दिया है.
साम्प्रदायिकता नियंत्रण प्रकोष्ठ से मिले जवाब में कहा गया है कि, उत्तर प्रदेश सरकार की दिनांक 10 जुलाई, 2006 की अधिसूचना द्वारा सुरक्षा बलों से संबंधित सूचना आरटीआई की परिधी से मुक्त रखा गया है.
आरटीआई से मिले इस सूचना पर आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा का कहना है कि, केन्द्र में बीजेपी की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुद्दे से सम्बंधित सूचना को आरटीआई में देने से यूपी के महंत आदित्यनाथ योगी की अगुआई में चल रही बीजेपी की सरकार का मना करना काफी हास्यास्पद है. ये जानकारी देशहित में सार्वजनिक करने की ज़रूरत है.