दो युवा प्रेमियों का दुखद अंत : खड़े हो रहे हैं कई सवाल

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net


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नौतन (पश्चिम चम्पारण, बिहार) : क़रीब 50 साल की ख़ैरून निसा बदहवास सी सड़कों पर घूम रही हैं. इनके दर्द का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि 7-8 साल पहले इनके शौहर ताज मोहम्मद की मौत हो चुकी है. आरोप है कि इनके गांव के ही मुकेश ने मारकर उन्हें कीटनाशक पीने के लिए मजबूर किया ताकि ये मौत आत्महत्या जैसी लगे. फिर इस ख़ैरून निसा की बड़ी बेटी की मौत हो गई. और अब इनकी दूसरी बेटी भी नहीं रही. इस तरह अब तीन बेटियों में से एक ही ज़िन्दा बची है. घर में मर्द के नाम पर एक बेटा और दो देवर थे, लेकिन वो भी फिलहाल जेल में हैं.

बता दें कि गत 28 नवम्बर को इनकी 17 साल की बेटी नूरजहां खातुन की संदिग्ध हालात में लाश मिली. अख़बार के पन्नों में छपा कि इसने अपने प्रेमी मुकेश कुमार के साथ ज़हर खाकर मौत को गले लगा लिया.

लेकिन फिर इस संदिग्ध मौत में एक दूसरा रूख सामने आया. लड़के के परिवार वालों की ओर से ये एफ़आईआर दर्ज करवाई गई कि लड़की के घर वालों ने उनके लड़के को मारा है. इस मामले में नूरजहां के भाई, बहन और दोनों चाचा को आरोपी बनाया गया है.

पुलिस ने भी इस कहानी को ही आख़िरी सच मानते हुए मृत लड़की के भाई अलाउद्दीन अंसारी (24), चाचा गुलशनौव्वर (55) और अमीर मियां (58) को गिरफ़्तार कर लिया. अब ये तीनों जेल की सलाखों के पीछे हैं. चौथे आरोपी शबनम खातुन (26) को पुलिस ने गिरफ़्तार नहीं किया है. शबनम मृत लड़की की बहन हैं.

TwoCircles.net से बातचीत करते हुए ख़ैरून निशा आंसू रोक नहीं पा रही हैं.  उनका कहना है कि, मेरी लड़की को ले जाकर मार दिया सब. गांव के लोगों ने कहा कि दोनों अपना-अपना लाश ले जाकर दफ़ना दो. लेकिन लड़के के परिवार वालों ने खुद को बचाने के लिए पुलिस से मिलकर हमारे परिवार पर कार्रवाई करवा दिया. पुलिस ज़बरदस्ती मेरे बेटे और दोनों देवरों को उठाकर ले गई. आज तक उनसे मिलने भी नहीं दिया गया. 

ख़ैरून निशा का आरोप है कि उनकी लड़की खुद ज़हर खाकर नहीं मरी है, बल्कि उसे मारा गया है. लेकिन पुलिस हमारी बात नहीं सुन रही है.

ख़ैरून निशा पूर्वी नौतन के बलुआ गांव में रहती हैं. इनकी बेटी नूरजहां नौतन के ही एक सरकारी स्कूल ‘कमल शाह विद्यालय’ के 9वीं क्लास में पढ़ती थी. इनका घर आज भी पक्के का नहीं है. इनका परिवार आर्थिक तौर पर काफ़ी कमज़ोर है. इनका ताल्लुक़ मुसलमानों के पसमांदा समाज से है.

ये बलुआ गांव यादव बहुल गांव है. नूर जहां की लाश खापटोला गांव के समीप चंद्रावत नदी के किनारे कीचड़ में मिली थी. पूरे बदन में नमक लगा हुआ था. (TwoCircles.net के पास इसके शव की तस्वीर मौजूद है.)

वहीं यहां से क़रीब 6 किलोमीटर की दूरी पर बनहौरा गांव में मुकेश का परिवार रहता है. मुकेश का परिवार ख़ैरून निशा की तुलना में आर्थिक रूप से थोड़ा मज़बूत है. पक्के का बड़ा मकान है और साथ ही खाद की दुकान ‘रवि खाद्य भंडार’ भी.

मुकेश के पिता रविकांत साह उर्फ फरेश साह (35) बताते हैं कि, वो उस रात खा-पीकर सो गया था. खाने के दौरान काफ़ी हंसी-मज़ाक भी किया. लेकिन अचानक रात के 2.25 में फोन आया कि मलाही टोला में उसे किसी ने मार कर फेंका है. जब हम दो लोग वहां गए तो देखा कि 5-7 लोग थे. अलाउद्दीन उसका गर्दन अपने पैर से दबा रखा था. हम लोगों को देखकर वो भाग गए. हम अपने बेटे की लाश देखकर काफी डर गए. और डर कर हम दोनों वापस आ गए. फिर कुछ देर बाद 10-20 लोगों के साथ गए तो दोनों लाश वहां से गायब था. उसके बाद हमने सुबह थाना जाकर इसकी शिकायत की.

फरेश शाह कहते हैं कि, पुलिस बहुत अच्छा काम कर रही है. पुलिस के काम से हमें पूरा यक़ीन है कि हमें इंसाफ़ मिलेगा और उन्हें सज़ा होगी.

मुकेश नौतन के ही एक प्राईवेट स्कूल ‘ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल’ में 9वीं क्लास में पढ़ता था.

अब फरेश शाह की कहानी से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. जैसे कि वो अपने बच्चे की लाश छोड़कर क्यों आएं? यही नहीं, जब हमने मलाही टोला के उस शख़्स के बारे में पूछताछ की, जिन्होंने उन्हें कॉल करके बुलाया था, तो उनका कहना था कि सर, उनको प्लीज़ छोड़ दीजिए. सारा काम ख़राब हो जाएगा.

हालांकि हमने जब उस शख़्स से मुलाक़ात की तो उसकी कहानी कुछ और ही है. सुरेश निषाद बताते हैं कि, उस रात हम सोए हुए थे. जब हल्ला हुआ तो हम बाहर आए. हरि भाई से पूछा कि ये कैसा हल्ला है. उन्होंने बताया कि मेरी जान-पहचान का एक लड़का है, वो तड़प रहा है. मैंने पूछा कि आपने उसके घर वालों को फोन किया? उनका कहना था -नहीं, मेरे फोन में बैलेंस नहीं है. फिर मैंने कहा कि मेरा फ्री का कॉल है जियो का. इससे कॉल कर दीजिए. फिर हमने लड़के से ही उसके घर का नंबर पूछा. लड़के ही ने घर का नंबर दिया. हमने कॉल करके उनके पिता को बुला दिया. उनके आने के बाद क्या हुआ, हम कुछ जानते भी नहीं हैं. वैसे भी हम यहां रहते नहीं हैं.

गांव के लोगों का भी कहना है कि, लड़के के घर वाले उसकी मौत के बाद ही आए हैं. फिर गांव वालों का यह भी कहना था कि हमारी कोशिश थी कि आपस में सुलह हो जाए. दोनों अपने-अपने लाश को ले जाएं. लड़की वाला तो गरीब है. लेकिन लड़के वालों ने केस कर दिया.

पुलिस की कहानी भी वही है, जो बतौर शिकायत मुकेश के पिता ने थाने में दी है. इस केस के जांच अधिकारी नौतन थाना के थाना अध्यक्ष कुन्दन कुमार सिंह हैं. ये भी मुकेश के घर वालों की कहानी को ही अंतिम सच मानते हैं और बताते हैं कि, हमने तीनों आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया है. हमारी जांच बिल्कुल सही दिशा में जा रही है.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में पूछने पर कहते हैं कि, अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है मेरे पास. दो-चार दिनों में आ जाएगी.

यहां ग़ौर करने वाली बात ये भी है कि फरेश शाह बताते हैं कि उन्होंने सुबह में पुलिस में शिकायत की, जबकि थाना अध्यक्ष कुन्दन कुमार सिंह का कहना है कि वो 28 की रात में शिकायत देने आया.

मीडिया की कहानी है कुछ अलग

इन सबके बीच अख़बार के पन्नों में छपी ख़बर कुछ अलग कहानी बयान कर रही हैं. 29 नवम्बर के दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान और प्रभात ख़बर में छपी ख़बर बता रही हैं कि, इन दोनों प्रेमी युगल ने ज़हर खाकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली है. घटना की सूचना किसी के परिजन ने पुलिस को नहीं दी है. दोनों पक्ष अपने लड़के व लड़की के शव को ले घर छोड़कर फ़रार हो गए हैं.

प्रभात ख़बर

 

 

दैनिक जागरण
दैनिक हिन्दुस्तान

ये अख़बार ग्रामीण सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये भी लिख रहा है कि, दोनों प्रेमी युगल नौतन हाई स्कूल में एक ही वर्ग में पढ़ते थे. दोनों में कई माह से प्रेम प्रसंग चल रहा था. लेकिन अलग-अलग समुदाय का होने के कारण उनके परिजन को ये बात नागवार लग रही थी और दोनों पर परिवार से दबाव बनाया जा रहा था. इसी बीच सोमवार की रात प्रेमी-प्रेमिका ने ज़हर खा लिया.

यही नहीं, अख़बार की कहानी ये भी कह रही है कि, सोमवार की अल सुबह परिजनों ने इलाज के लिए नौतन पीएचसी लाया. वहां चतुर्थ वर्गीय कर्मी मदन से परिजनों ने बताया कि ज़हर खाने का इलाज करवाना है. कर्मी इसे पुलिस का मामला बता चिकित्सक को बुलाने गया कि परिजन शव को लेकर फ़रार हो गए.

अख़बार ने डॉक्टर अमरेश कुमार का बयान भी छापा है. उनके बयान के मुताबिक़, जैसे ही उन्हें सूचना मिली और वे रूम से निकलकर आते कि मृतकों के परिजन लाश लेकर फ़रार हो गए थे.

दिलचस्प बात यह है कि, अख़बार ने थानाध्यक्ष कुंदन कुमार सिंह का भी बयान छापा है. ये बयान में बता रहे हैं कि, लोगों से जानकारी मिली है, लेकिन किसी के भी परिजन ने अब तक कोई आवेदन थाना में नहीं दिया है. फिलहाल इस मामले को लेकर तरह-तरह की चर्चा गांवों में हो रही है और दोनों प्रेमी-प्रेमिका के परिजन शव गायब कर घर छोड़ फ़रार हैं.

दैनिक हिन्दुस्तान

अगले दिन दैनिक हिन्दुस्तान ने पलटी मारी. लड़के के पिता के बयान को अंतिम सच मानते हुए पूरी कहानी लिख डाली. जो अख़बार 29 तारीख़ के अख़बार में यह बता रहा था कि परिजनों ने इलाज के लिए नौतन पीएचसी लाया था. वहीं अख़बार अब ये लिख रहा है कि लाश सुबह में गायब हो गई थी. और उससे भी दिलचस्प बात यह है कि जो थानाध्यक्ष कल तक ये कह रहे थे कि दोनों प्रेमी-प्रेमिका के परिजन शव गायब कर घर छोड़ फ़रार हैं. लेकिन अब उन्होंने लड़के के परिजनों से पूछताछ करने के बजाए उनके शिकायत पर एकतरफ़ा कार्रवाई करते हुए सिर्फ़ लड़की के परिजनों को ही गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया है. और अब उनकी जांच इसी दिशा में आगे बढ़ रही है.

इसके अगले दिन अपने खोजी पत्रकारिता के लिए जाना जाने वाला मशहूर अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस मामले की एक ख़बर छापी. पता नहीं, इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर यहां ग्राउंड पर आए या नहीं, लेकिन उनकी रिपोर्टिंग को देखकर कोई भी उसे एकतरफ़ा कह सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस के इस खोजी पत्रकार ने लड़की के परिवार वालों से बात करना मुनासिब नहीं समझा. इस अख़बार ने भी लड़के के पिता और पुलिस की कहानी को ही अंतिम सच मानते हुए अपनी पूरी रिपोर्ट लिख डाली.   

नौतन का पहले भी रहा है ऐसा इतिहास

नौतन में यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी युवक-युवतियों की लाशें मिलती रही हैं.

इसी साल अगस्त महीने में नौतन प्रखंड के शिवराज पूर पंचायत के जरलहीया गांव की गुम गई किशोरी ममता कुमारी की लाश गन्ने के खेत में क्षत-विक्षत अवस्था में मिली थी. ममता की उम्र सिर्फ़ 8 साल थी.

इससे पहले मार्च महीने में मंगलपुर गुदरिया पंचायत के बनकटवा गांव में राहुल कुमार राव उर्फ बमभोली (16) की अपराधियों ने हत्या करके शव को घर के कुछ दूरी पर स्थित एक बगीचे में पेड़ से लटका दिया था.

ऐसी घटनाएं इससे पहले भी यहां कई बार घटित हो चुकी हैं. बताते चलें कि नौतन पूरे देश में जाली नोटों के कारोबार के लिए प्रसिद्ध है. स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां जाली नोट छापने वाली मशीन भी पकड़ी जा चुकी है.

इस कहानी के कहानी से उठते सवाल

इस पूरी कहानी के बैकग्राउंड में जो कहानी की कहानी है, इतना संदिग्ध और धुंधली है कि इसमें एक बड़े जांच की ज़रूरत है. लेकिन ये एक इतने कमज़ोर वर्ग का मामला है कि बड़े जांच का सवाल भी खड़ा नहीं हो पाएगा. और बड़े पैमाने की जांच भी कौन से गरीब जनता की मदद कर देती हैं कि कोई इसकी मांग करे.

ऐसे में ये घटना पूरे इलाक़े के लिए एक पहेली बनी हुई है. पुलिस के ‘निकम्मेपन’ का पूरा सबूत भी मिल रहा है कि वो इस पहेली को सुलझा नहीं पा रही है.

सवाल ग्रामीण क्षेत्र में चल रही खोजी पत्रकारिता पर भी खड़ा होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की संदिग्ध मौतें होती रहती हैं और नौतन जैसे इलाक़ों में तो संदिग्ध मौतों का पूरा इतिहास है. लेकिन ऐसे मामलों में हमेशा यहां के तथाकथित पत्रकार पुलिस के ही पक्ष में उसके वर्जन को हूबहू छाप कर अपनी ज़िम्मेदारी अदा कर देते हैं.   

हिन्दी के पत्रकारों की तो बात ही छोड़ दीजिए. कम से कम इंडियन एक्सप्रेस जैसी संस्था से ये अपेक्षा की जाती है कि इतनी गैर-ज़िम्मेदाराना पत्रकारिता नहीं की जाएगी.

अंग्रेज़ी के अख़बारों में इंडियन एक्सप्रेस की विश्वसनीयता बहुत अधिक है. ऐसे में इस तरह के अख़बारों के पत्रकार भी अगर पूरी ईमानदारी से खोजी पत्रकारिता नहीं कर रहे हैं तो फिर देश व राष्ट्र का क्या होगा.

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