बाबरी मस्जिद के मामले में शिया भी सुन्नी पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ हैं —मौलाना फ़सीह हैदर

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net             

दारुल उलूम में ईरान से मुसवी साहब के तशरीफ़ लाने के बाद दारुल उलूम बेल्ट में शिया-सुन्नी उलेमाओं में मिल बैठकर बात करने और आपसी इख़्तिलाफ़ को दूर करने की चर्चा होने लगी है. TwoCircles.net के लिए हमने शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के मेरठ ज़ोन के इंचार्ज मौलाना फ़सीह हैदर से बातचीत की. पेश यहां बातचीत का प्रमुख अंश :


Support TwoCircles

मुसवी साहब की दारुल उलूम में आमद को आप मोहब्बत की पहल के तौर पर देखते है?

मौलाना फ़सीह हैदर : इसे पहल नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि इससे पहले बड़े शिया उलेमा सुन्नी समुदाय को गले से लगाने की बात कह चुके हैं. इसे मुसवी साहब को उन बड़े उलेमा के कलाम पर बेहतरीन अमल कहा जाएगा. यह कहिए कि इन्होंने उनकी बात को आगे बढ़ाया है.

वो किस तरह की बात है और किसने कही है?

मौलाना फ़सीह हैदर : हमारे बेहद सम्मानित बुजुर्गान-ए-दीन सैय्यद अली सिस्तानी साहब ने फ़रमाया कि सुन्नी सिर्फ़ हमारे भाई ही नहीं बल्कि हमारी रूह और जान है. इमाम ख़ुमैनी साहब ने फ़रमाया कि सुन्नी-शिया इख़्तिलाफ़ फैलाना वाला इस्लाम का दुश्मन है और वो मुसलमान हो नहीं सकता. सैय्यद अली साहब ने फ़रमाया कि हमारा मुत्तहिद होना ही हमारी बुलंदी है.

यह इत्तेहाद क्या बदलाव ला सकता है?

मौलाना फ़सीह हैदर : अब इस पर इमाम ख़ुमैनी साहब ने जो कहा, वो सुन लीजिए. उन्होंने फ़रमाया कि अगर उम्मत-ए-मुस्लिमां अपने घर से एक-एक बाल भी घरों से डालना शुरू करें तो बैतूल मुक़द्दस एक दिन में आज़ाद हो जाएगा, लेकिन इनका मुत्तहिद होना शर्त है.

आपको क्या लगता है कि सुन्नी उलेमाओं को भी इस तरह की पहल करनी चाहिए?

मौलाना फ़सीह हैदर : हो सकता है उन्होंने की हो और मुझे जानकारी न हो. वैसे मैं चाहता हूं कि जैसे ईरान से लोग दारुल उलूम देवबंद आए हैं. वैसे दारुल उलूम देवबंद से भी उलेमा हज़रात को ईरान जाना चाहिए.

मोटे तौर पर शिया-सुन्नी में इख़्तिलाफ़ कैसे दूर हो सकते हैं?

मौलाना फ़सीह हैदर : इख़्तिलाफ़ यदि है. और हम एक ही अक़ीदा के हैं. वो हमारे घर का मसला है. हम कभी भी उसे बैठकर दूर कर सकते हैं. उम्मत का इख़्तिलाफ़ नहीं होना चाहिए. फिलहाल कश्ती को तूफ़ान से बचाकर किनारे ले जाने की ज़रुरत है. पहले उम्मत तो एक हो.

बाबरी मस्जिद को लेकर आपका रुख क्या है?

मौलाना फ़सीह हैदर : शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के ज़ोनल इंचार्ज होने के नाते हमारा नज़रिया सुन्नी पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है. जब तक हमारी सांसें हैं. हम बाबरी मस्जिद पर सुन्नी पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ रहेंगे.

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE