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इस मुसहर टोला में आज तक नहीं पहुंच सकी है कोई भी सरकारी योजना

फ़हमिना हुसैन, TwoCircles.net

रोहतास (बिहार) : रोहतास ज़िले में स्थित करगहर विधानसभा क्षेत्र की एक छोटी सी बस्ती मुसहर टोला. चारों ओर गन्दगी, नंगे घूमते बच्चे और सुअर चराते युवा बड़ी आसानी से यहां नज़र आ जाएंगे.

500 की आबादी वाले इस टोले में एक भी पक्का मकान मौजूद नहीं है. अगर सरकारी सुविधाओं की बात करें तो यहां सिर्फ़ 21 परिवारों के पास ही राशन कार्ड है और इसमें भी सिर्फ़ दो परिवार को ही अन्तोदय राशन की सुविधा मिलती है.

इस बस्ती में रहने वाले सोनू और पतरु बताते हैं कि, यहां तन पर कपड़े तो दूर, दो वक़्त का भोजन जुटाना भी मुश्किल हो जाता है. बच्चे होश संभालते ही कूड़ा बीनने और कमाने में लग जाते हैं, ताकि परिवार में सभी को भोजन नसीब हो सके.

वो आगे कहते हैं कि, शहर के बाबू लोग हम छोटी जाति वालों को काम पर भी नहीं रखते हैं. और गांव में कमाने का कोई उचित साधन भी नहीं है. अगर मुसहर टोला के लोग पंजाब या दिल्ली कमाने न जाएं तो परिवार यहां भूखे मर जाएगा.

अगर पेशे की बात करें तो इस गंदी बस्ती के लोग लोगों के घरों में साफ़-सफाई का काम करते हैं. इस आधुनिकता की दौर में भी यहां की कुछ महिलाएं सर पर मैला ढ़ोने को बेबस हैं.

इसी टोले में रहने वाले रामाश्रय मुसहर और टिटिहरी मुसहर बताते हैं कि, गरीबी और भूखमरी की वजह से अपने बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं भेज पाते हैं. हालांकि आगे उन्होंने बताया कि दूसरे गावं से एक शिक्षक आते हैं. वही बिना पैसों के बच्चो को थोड़ा कुछ पढ़ा देते हैं.

बता दें कि पास के ही गावं में रहने वाले पन्ने बनारसी दास हर रोज़ साईकिल से 2 किलोमीटर का सफर तय करके मुसहर टोला आते हैं और यहां के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते हैं. वो कहते हैं कि, मेरे एक भी बच्चे नहीं हैं, इसलिए रिटायमेंट में बाद से पिछले दो साल से इस टोले के बच्चों को पढ़ा रहे हूं. मेरे शिक्षा का कहीं तो उपयोग होना चाहिए, बस वही कर रहा हूं.

क़रीब में ही रहने वाले रामप्रवेश सिंह बताते हैं कि मुसहर टोले से थोड़ी दूरी पर कपासिया सरकारी विद्यालय मौजूद है, लेकिन कपासिया में अब पहले जैसी पढ़ाई नहीं होती है. शिक्षक भी नाम मात्र ही आते हैं. आठवीं तक की पढ़ाई के लिए सिर्फ़ तीन क्लास रूम हैं.

यानी 500 की आबादी वाले इस टोले में आज भी लोग शिक्षा की लौ से महरूम हैं. बच्चे आज भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. आज भी यहां अशिक्षा और भूखमरी मुंह फाड़े खड़ी है. सच तो यह है कि नीतिश कुमार सारे निश्चय यहां फेल नज़र आ रहे हैं.

सड़क के किनारे बसा इस मुसहर टोला नरेन्द्र मोदी की योजनाओं से भी काफ़ी दूर  है. यहां न उज्जवला स्कीम की पहुंच है और ये न ही इनका गांव मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में शामिल हैं. ये अलग बात है कि अपने गांव को छोड़कर ये लोग दूसरी जगहों पर मोदी जी के स्वच्छ भारत अभियान को साकार कर रहे हैं.