TwoCircles.net News Desk
लखनऊ : ‘उत्तर प्रदेश सरकार दिन दहाड़े इंसाफ़ का गला दबाने पर तुली हुई है. योगी आदित्यनाथ इसके पहले भी 2007 के गोरखपुर साम्प्रदायिक हिंसा के मामले को हाई कोर्ट में अपने पद का दुरूपयोग करके पूरे मामले रफ़ा-दफ़ा करना चाह रहे थे, लेकिन सफल नहीं हो सके…’
ये बातें आज लखनऊ की राजनीतिक व सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी द्वारा खुद समेत अन्य अपराधियों के ऊपर से मुक़दमा उठाये जाने पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही हैं.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि, योगी आदित्यनाथ अपने पद का दुरूपयोग करके मुक़दमे वापस ले रहे हैं. गोरखपुर के पीपीगंज थाने में 22 साल पहले योगी समेत केन्द्रीय राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ल, भाजपा विधायक शीतल पाण्डेय, उपेन्द्र शुक्ल,राकेश सिंह समेत कई भाजपा नेताओं पर मुक़दमा दर्ज था, जिसको योगी अब सत्ता में आने के बाद वापस ले रहे हैं.
उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में 2007 के गोरखपुर में साप्रदायिक हिंसा भड़काने का मामला चल रहा है जिसको मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ख़त्म करना चाहते थे.
मंच महासचिव ने कहा कि संसद में रोकर नौटंकी करने वाले योगी के ख़िलाफ़ अखिलेश यादव और उनकी गतिविधियों को राष्ट्रविरोधी बताने वाली मायावती कार्यवाही की होती तो आज वे जेल में होते. मुक़दमे वापसी के नाम पर अब योगी सरकार भाजपा से जुड़े अपराधियों के ऊपर से मुक़दमे उठाने के फ़िराक में हैं.