Home Lead Story कई गांवों की तरह बदहाल वरुण गांधी का आदर्श ग्राम

कई गांवों की तरह बदहाल वरुण गांधी का आदर्श ग्राम

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

सुल्तानपुर : सुल्तानपुर जिले में वल्लीपुर नाम की दो जगहें हैं. एक वल्लीपुर सुल्तानपुर शहर से 25 किलोमीटर दूर है और दूसरा वल्लीपुर शहर के भीतर ही है. सुल्तानपुर के सांसद वरुण गांधी के आदर्श ग्राम की तलाश में कोई भी 25 किलोमीटर दूर जाने की गलती कर सकता है, लेकिन वरुण गांधी का आदर्श ग्राम वल्लीपुर शहर के बीचोंबीच मौजूद है. इन दोनों वल्लीपुर में एक बड़ी समानता यह है कि इन दोनों तक पहुंचने के रास्ते मुश्किल हैं, सड़क खराब है.

गांव की अकेली मुख्य सड़क, जो वरुण गांधी के गोद लिए जाने से पहले से पक्की है

कई भाजपा सांसदों के आदर्श ग्रामों की तरह वल्लीपुर गांव भी मुस्लिमविहीन है. आसपास की ग्राम सभाओं और शहरी मोहल्लों में मुस्लिम हैं, लेकिन वरुण गांधी के आदर्श ग्राम में नहीं हैं. यहां की अस्सी प्रतिशत जनसंख्या निषाद है, बचे-खुचे में थोड़े ब्राह्मण, ठाकुर और गुप्ता हैं. मुस्लिम और दलित नहीं हैं. निषाद यानी मल्लाह.

प्रधान प्रतिनिधि

गौरतलब है कि वल्लीपुर ग्रामसभा को वरुण गांधी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के पहले चरण के दौरान गोद लिया था, लेकिन जैसा राकेश निषाद बाइक पर जाते-जाते चिल्लाकर बताते जाते हैं, ‘ये गांव वरुण गांधी के आने के पहले ठीक था, गोद लेकर और बिगाड़ दिए’, यह बात थोड़ी सच लगती है. वल्लीपुर गांव के बीचों-बीच से एक रेलवे लाइन गुज़रती है. रेलवे लाइन की वजह से गांव दो हिस्सों में बंटा हुआ है.

गांव की आबादी है लगभग चार हज़ार. बहुत सारे लोगों के मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बने हुए हैं, लेकिन किसी ने आज तक मनरेगा में कोई काम नहीं किया. मनोज कुमार निषाद की उम्र 32 साल है. उनका जॉब कार्ड बना हुआ है. वे कहते हैं, ‘हम शहर में जाकर दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. मनरेगा के तहत काम नहीं मिला है.’ गांव में वरुण गांधी ने श्मशानघाट का निर्माण कराया है, लेकिन उन्होंने जेसीबी, क्रेन और मशीनों का इस्तेमाल किया है. मनोज कुमार निषाद बताते हैं, ‘आप मनरेगा में ये प्रोजेक्ट डाल देते तो हम लोगों को घर के बगल में ही काम मिल जाता. लेकिन नहीं. मशीन को और ठेकेदार को पैसा देकर जल्दी काम कराना था, तो वही हुआ है.’ श्मशानघाट देखने में सुन्दर है लेकिन इस दो चहारदीवारियां गिर गयी हैं.

मशीनों की सहायता के साथ बनाई जा रही पानी की टंकी

इस आदर्श ग्राम में वरुण गांधी सिर्फ दो बार आए हैं. दोनों बार महज़ घोषणाएं करने, ऐसा उन पर आरोप है. गांव में वरुण गांधी के सौजन्य से एक पानी की टंकी का निर्माण कराया जा रहा है. काम अभी शुरू ही हुआ है, बस बोरिंग की गयी है. टंकी के भवन के निर्माण के लिए मशीनों और बाहरी लोगों को बुलाया गया है. यह चीज़ भी यहां के बाशिंदों को टीसती है.

रेलवे लाइन के दूसरी ओर जाने के लिए एक पक्के रास्ते या पुल के निर्माण का प्रस्ताव वरुण गांधी लेकर आए थे, लेकिन रेलवे से फंसे पेंच के कारण इस रास्ते और पुल का निर्माण नहीं हो सका है. आश्वासन पुरज़ोर है. लेकिन रास्ता है कि बारिश में कीचड़ का घर बन जाता है.

गांव की एक गली

अब बात आती है शौचालयों पर. इस गांव में बायोटॉयलेट नहीं लगे हैं. पक्की चारदीवारी के सोकपिट वाले शौचालय बनवाए गए हैं. लेकिन उन्हें जल्दी कोई इस्तेमाल नहीं करता है. इसका सही कारण सोहनलाल निषाद बताने की कोशिश करते हैं, ‘दरअसल जोड़ाई में इतना बालू डाल दिया गया है कि ईंट भसक जाती है. कई लोगों ने शौचालय की दीवार भसकने के बाद खुद से जोड़ाई करवाई. बाद में तंग आकर उन्होंने इस्तेमाल ही करना बंद कर दिया है.’

हाल में बने शौचालय का हाल

कई शौचालयों पर गोबर के उपले पाथे गए हैं, कई की दीवारें उधड़ गयी हैं, कुछ के दरवाज़े उखड़ गए हैं और अव्वल तो कुछ के बीच में से ही पेड़ उग आया है.

 

एक और चीज़ जिस पर भाजपा कार्यकर्ता इसरार करते हैं, वे सोलर लाइटें हैं. इनके बारे में एक वाक्य में लिखा जा सकता है कि कई लाईटें घरों के अहाते में लगी हैं और कई नहीं जलती हैं.

शौचालय का दृश्य

शिवकुमार लकड़ी का काम करते हैं. वो पेड़ के हिस्से को कटाई के लिए साफ़ करते नज़र आते हैं. हमसे कहते हैं, ‘यहां सामने आप जो पानी देख रहे हैं, वो सीवर का पानी है. ये अभी सड़क के बराबर में जमा होता रहता है, बारिश होने पर आपको जूता-चप्पल हाथ में लेकर और पैंट घुटने तक मोड़कर आना होगा.’ हां, वल्लीपुर ग्रामसभा की यह बड़ी सचाई है कि यह आदर्श ग्राम सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से भी वंचित है. गांव के बीचोंबीच की सड़कें और गलियां भी बुरे हाल में हैं, कच्ची मिट्टी की सड़कें हैं, जिनके ठीक होने का आसरा गांववाले छोड़ चुके हैं.

गांव में घुसते ही यूं कूड़ा और सीवर का पानी दिखता है

कई गांवों की तरह यहां की ग्राम प्रधान महिला यानी ऊषा देवी हैं, लेकिन कई गांवों की तरह ही बात उनके पति करते हैं. पति ‘प्रधान प्रतिनिधि’ के नाम से बात करते हैं. प्रधान या प्रधान प्रतिनिधि शिवपूजन निषाद बताते हैं, ‘वरुण गांधी काम कराए हैं.’ हम उनसे कहते हैं कि आप पांच काम गिनाइये, तो वे पांच कामों में सड़क, सोलर लाइट, टॉयलेट, श्मशान और पानी की टंकी गिनाते हैं. वे कोशिश करते हैं लेकिन इन पांच कामों से ऊपर कोई कम नहीं गिना पाते हैं और फिर कहते हैं, ‘चुनाव प्रचार में जाना है’, और चले जाते हैं.

श्मशानघाट

 

आखिर में यह आदर्शग्राम इस विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए संगठित रूप से वोट कर रहा है, जैसा कई भाजपा सांसदों के कई आदर्शग्राम कर रहे हैं. शिवकुमार कहते हैं, ‘मरता! क्या न करता वाली स्थिति है साहब. यहां के विधायक अनूप संडा जीत कर चले गए हैं और हमारे एक काम से मतलब नहीं है, इसलिए इस बार हम निषाद लोग के साथ पूरा गांव भाजपा के सूर्यभान सिंह के लिए वोट करने जा रहा है. अधिक से अधिक काम नहीं करेंगे, लेकिन नुकसान तो नहीं करेंगे.’

गांव की एक सड़क