अब साम्प्रदायिकता के सहारे जंग जीतने की तैयारी!

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

फ़ैज़ाबाद/अयोध्या :  यूपी चुनाव के चार चरण बीतने के बाद अब आगे की लड़ाई अयोध्या के सहारे लड़ने की तैयारी चल रही है. अयोध्या, फ़ैज़ाबाद को भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों ने साम्प्रदायिक उन्माद के गढ़ के तौर पर तैयार किया हुआ है. यहां रोज उकसाने व भड़काने वाले सामान चुनाव प्रचार की गंगा में बहाए जा रहे हैं. कोशिश अयोध्या से शुरू कर साम्प्रदायिकता की इस चिंगारी को अवध व पूर्वांचल के दूर-दराज इलाक़ों में पहुंचा देने की है, ताकि वोटों की फ़सल इस बार के चुनाव में काटी जा सके.


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अयोध्या में हर तरफ़ आपको गुजरात के नंबर प्लेट वाली बेशुमार गाड़िया मिल जाएंगी. यहां के गांव में आपको ऐसे बेशुमार लोग मिल जाएंगे, जो आपको बताएंगे कि अखिलेश यादव सिर्फ़ मुसलमानों के नेता हैं. उन्हें हिन्दुओं की कोई फ़िक्र नहीं है. उनके बाप मुलायम यादव ने अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलवाई थी, जिसका ज़िक्र वो आज भी खुले मंचों से कर रहे हैं.

हमने फ़ैज़ाबाद के कई गांवों का दौरा किया. इनमें तिन्दौली, बरांव, नंदीग्राम, मुमारिज नगर, अंकरपुर, मिल्कीपुर, कुमार गंज, बीकापुर, ताजपुर कोंडरा, खलवा गांव व पंडित का पूरवा आदि का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है. इन गांवों में हमने पाया कि दलित वोटर भी अब मायावती को मुसलमानों के नेता के रूप में देखने लगे हैं. कई गांवों में दलितों का स्पष्ट रूप से कहना है कि बहन जी को भी अब ‘पाकिस्तानी’ अधिक पंसद आने लगे हैं. पाकिस्तानी से इनका मतलब मुसलमानों से है.

गांव के ये लोग तर्कों के साथ अपनी बात रखते हैं और बताते हैं कि कैसे बहन जी मुसलमानों से घिरी हुई हैं. कैसे नसीमुद्दीन को मायावती बढ़ावा दे रही हैं. कैसे इमाम बुखारी मायावती के साथ है. सारे मुल्ला-मौलानाओं ने उन्हें अपने बस में कर लिया है. हिन्दुओं पर अत्याचार करने वाला मुख्तार अंसारी अब बहन जी के साथ है.

गांवों में रहने वाले इन गरीब परिवारों के घर में शायद ही किसी के यहां टीवी हो, या समाचार पत्र आता हो. ये पूछने पर कि आपको ये सब बातें कैसे मालूम हुई? तो गांव के ये मासूम लोग बताते हैं कि गांव में मीटिंग हुई थी या फलां प्रधान ने हमें ये सब बातें बताई हैं. वीडियो दिखाया है.

24 साल के राजू बताते हैं, ‘अब तक हम हाथी को वोट देते आए हैं, लेकिन अब मोदी पसंद हैं.’ ये पूछने पर कि क्यों? इस पर उनका जवाब था, ‘सिर्फ़ मोदी ही मुसलमानों को सबक़ सिखा सकते हैं. नोटबंदी करके उन्होंने आतंकवादियों व मुसलमानों की कमर तोड़ दी.’ कैसे? इस पर राजू का कहना है, ‘आतंकवादियों के पास जो नोट था, वो सब बर्बाद हो गया. और मुसलमानों को भी सारे नोट घर में जलाने पड़े, क्योंकि वो पैसे बैंक में नहीं रखते हैं. सब बाहर का पैसा होता है इसलिए.’ ये सब बातें आपको कैसे मालूम हुई? उसका कहना था, ‘मेरा एक दोस्त वाट्सऐप पर दिखा रहा था.’ कभी किसी मुसलमान ने आपको नुक़सान पहुंचाया है? इस पर राजू पूरी तरह से ख़ामोश हो जाता है.

गोसाईगंज के मुमारिज नगर में 38 साल के सामाजिक कार्यकर्ता उमेश मिश्रा बताते हैं, ‘इस बार गांव के अनुसूचित जाति के लोग भी भाजपा को ही वोट देंगे.’ वो आगे बताते हैं, ‘हर सवर्ण जाति के लोगों को कहा गया है कि वो कम से कम पांच निचली जातियों का वोट जैसे भी हो, भाजपा में डलवाए.’ इसकी संभावना पर पूछने पर वे कहते हैं, ‘निचली जाति की भले ही ये औक़ात नहीं है कि ब्राह्मणों के वोटों को प्रभावित कर सके, लेकिन सवर्ण की बात इनको माननी ही पड़ेगी. वैसे भी ये अपना वोट बेच डालते हैं.’

गांव के इन लोगों का कहना है कि इस बार प्रदेश में भाजपा की सरकार बन रही है और सरकार बनते ही राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा. यही बात अयोध्या शहर में भी कई लोग कहते हुए मिल जाते हैं.

बताते चलें कि अधिकतर गांवों में किसी भी पार्टी का प्रचार-प्रसार लगभग न के बराबर है, लेकिन भाजपा की पहुंच यहां हर जगह दिखाई देती है. इनके प्रचार वाहन खेत-खलिहानों में भी नज़र आते हैं. दीवारों पर भी जगह-जगह ‘न उत्पीड़न, न अत्याचार, अबकी बार भाजपा सरकार’ लिखा हुआ मिल जाता है. इनके बैनर व झंडे हर जगह नज़र आते हैं.

यही नहीं, अखिलेश की सरकार को मुसलमानों की सरकार बताते हुए हिन्दुओं के साथ भेदभाव की बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अब इनके छोटे नेता भी खुलेआम मंचों से करने लगे हैं. ये अलग बात है कि दिवाली व रमज़ान पर दी जाने वाली बिजली और श्मशान व क़ब्रिस्तान से जुड़े सही तथ्य सामने आ चुके हैं, लेकिन यह पार्टी इस बात को समझना नहीं चाह रही है. दो दिनों पहले लखनऊ में पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी यही कहा गया कि सरकार को बहुसंख्यकों को भी ध्यान में रखना चाहिए. योगी आदित्यनाथ भी हर सभा में हिन्दुओं के साथ होने वाले ‘ज़ुल्म’ की दास्तान सुनाने में व्यस्त हैं. स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होते ही विनय कटियार ने भी राम मंदिर का मुद्दा छेड़ दिया है. लोगों को बताया जा रहा है कि जिस तरह से मस्जिद गिराई गयी थी, ठीक वैसे ही मंदिर भी बनाया जाएगा. ये बात सिर्फ़ नेताओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे गांव-गांव तक फैला दिया गया है.

एक ख़बर के मुताबिक़ आख़िरी के इन तीन चरणों के चुनाव के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारत विकास परिषद, विश्व हिन्दू परिषद सहित अपने तमाम संगठनों को सक्रिय कर दिया है. हर विधानसभा में 50-50 कार्यकर्ताओं की टीम तैनात की गई है. इसके अलावा संघ के सीनियर कार्यकर्ता भी अपने हिसाब से लोगों के बीच लगे हुए हैं. दूसरे राज्यों से भी कार्यकर्ताओं को खास तौर पर बुलाया गया है.

नरेन्द्र मोदी द्वारा सार्वजनिक मंच से जिस तरह श्मशान-क़ब्रिस्तान, दिवाली-रमज़ान के ज़िक्र को भाजपा के कार्यकर्ताओं के लिए खुले सिग्नल के तौर पर देखा जा रहा है. सिग्नल इस बात का कि सम्प्रदायवादी राजनीति के तहत वोटों की एक मज़बूत इमारत तैयार की जाए. अयोध्या में भी यही चल रहा है.

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