अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
लखनऊ: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (मजलिस) यूपी चुनाव के मद्देनज़र कमर कस चुकी है. पार्टी ने पहले व दूसरे चरण के लिए 140 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनावों के लिए 11 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है और सूत्रों की मानें तो बाक़ी बचे पांच चरणों के लिए 50 से 60 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान भी पार्टी कर सकती है.
इन 11 सीटों के उम्मीदवारों में आगरा दक्षिण से मोहम्मद इदरीस अली, फ़िरोज़ाबाद सिटी से अहतशाम अली बाबर, शामली ज़िले की कैराना सीट से मौलाना मसीउल्लाह, अलीगढ़ की कोईल सीट से परवेज़ अहमद, सहारनपुर की बेहात सीट से जुनैद अयूबी व सहारनपुर सीट से तलत खान, मुरादाबाद ज़िले की मुरादाबाद सिटी हाजी शहाबुद्दीन, मुरादाबाद देहात से हाजी असलम अंसारी, कुंदरकी सीट से इसरार हुसैन, बरेली ज़िले की बरेली सिटी सीट से यासीन अंसारी और अमरोहा की अमरोहा सिटी विधानसभा सीट से शमीम अहमद तुर्क शामिल हैं.
इन 11 सीटों का आंकलन करें तो पता चलता है कि मजलिस के निशाने पर इस बार सबसे पहले सपा और भाजपा है. क्योंकि 2012 विधानसभा चुनाव में इन 11 सीटों पर सपा के 5 और भाजपा के 4 और बसपा के 2 उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधायक बने थे. मुस्लिमबहुल होने के बावजूद यहां इन 11 सीटों पर सिर्फ़ सपा के ही पांच मुस्लिम विधायक चुनकर आए थे.
बिहार चुनाव में दूध की जली ओवैसी की पार्टी अब छाछ भी फूंक-फूंक कर पीना चाहती है. क्योंकि बिहार चुनाव में पार्टी पर बिहार में साम्प्रदायिक ताक़तों की मदद करने का बेहद ही गंभीर आरोप भी लग चुका है. यही वजह है कि मजलिस ने अपनी छवि बदलने के ख़ातिर अब मुसलमानों के बीच एक ज़िम्मेदार व सार्थक विकल्प बनने की मंशा से एक ज़मीनी कोशिश की शुरूआत की है. ऐसे में देश के एक बड़े विधानसभा चुनाव में अगर मजलिस कुछ भी सीटें निकाल पाई या अपनी मौजूदगी का एहसास भी करा पाई तो ये पार्टी की सबसे बड़ी उपलब्धि साबित होगी.