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दलितों में उत्साह जगा रही है भीम आर्मी चीफ़ चन्द्रशेख़र ‘रावण’ की जेल से लिखी चिठ्ठी…

TwoCircles.net Staff Reporter

सहारनपुर : भीम आर्मी का खेल ख़त्म समझने वाले अपनी ग़लतफ़हमी दूर कर लें, क्योंकि इसके समर्थकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

चन्द्रशेखर की गिरफ़्तारी के बाद से ख़ास तौर से दलित युवाओं में भीम आर्मी से सहानुभूति में बढ़ोतरी हुई है. दरअसल, ये युवा चन्द्रशेख़र ‘रावण’ के जेल से लिखी एक चिठ्ठी से काफी उत्साहित हैं और इस चिठ्ठी की तुलना सरदार भगत सिंह की जेल से लिखी चिठ्ठी से कर रहे हैं.

इस चिठ्ठी में चन्द्रशेख़र ‘रावण’ ने यह लिखा है कि —”एक संदेश जेल से बहुजनों और भीम आर्मी के सदस्यों के लिए भाई चन्द्रशेख़र की तरफ़ से”

उन्होंने आगे लिखा है, “सभी को मेरा क्रांतिकारी जय भीम व बहुजन समाज में जन्में सभी महापुरुषों और भीम आर्मी व मेरे आदर्श बाबा साहेब व कांशीराम के चरणों में कोटि-कोटि नमन करते हुए… जो आज इस ख़त के माध्यम से कहने जा रहा हूँ, आप लोगों तक पहुंचना बहुत ज़रूरी था. मैं बहुत आभारी हूं. उन लोगों का जो दो बार दिल्ली पूरे देश से पहुंचे और अपनी ताक़त और एकता का अहसास पूरी दुनिया कराया और जिन लोगों ने पीड़ितों की मदद की. उन लोगों का भी दिल से स्वागत करता हूँ. आपने सबको यह भी अहसास दिला दिया कि सदियो से टुकड़ों में बंटा यह समाज न्याय और स्वाभिमान के लिए एक भी हो सकता है. वह जिस भाई को अपमान भुलवश हो गया उसके लिए आपका भाई आपसे माफ़ी चाहता है. हमारी एकता से बहुत लोगों को तकलीफ़ भी हुई होगी. ये वो लोग हैं जिनकी मानसिकता छोटी है, जो एक इंसान को जानवर समझते हैं.”

चंद्रशेख़र आगे लिखते हैं, “मैं यहां यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि भीम आर्मी किसी विशेष जाति या धर्म के ख़िलाफ़ नहीं है. हमारा संघर्ष उन लोगों के ख़िलाफ़ है, जो जाति धर्म के नाम पर छुआछूत और शोषण करते हैं. ऐसे लोगों मेरा निवेदन है कि वो अपनी मानसिकता जल्द से जल्द बदल ले, क्योंकि बाबा साहेब ने मिस्टर गांधी से कहा था कि 20वीं सदी आपकी और 21वीं सदी मेरी विचारधारा की होगी. और मुझे विश्वास है कि आप सबके सहयोग से वो समय आने वाला है. जब बाबा साहेब के सपनों का निर्माण होगा. तो कुछ लोग विभिन्न तरह के आरोप लगा के हमारी एकता को तोड़ना चाहते हैं. पर आप गुमराह मत होना.”

इस पत्र में चंद्रशेख़र ने आगे लिखा है कि, “मुझे पैसों की नहीं, आपके साथ की ज़रूरत है. मैं अपनी माताओं, बहनों, बुजुर्गों व युवाओं को ये विश्वास दिलाना चाहता हूं कि स्वाभिमान और बहनों के सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं होने दिया जाएगा. जब तक जीवन है, आख़िरी सांस तक आपका भाई संघर्ष करता रहेगा…”

ना झुका हूं, ना बिका हूं, ना रुका हूं

आज़ाद जिया हूं, आज़ाद मरूंगा…

चंद्रशेख़र ने आगे यह भी लिखा है कि, “भीम आर्मी की राष्ट्रीय कमेटी इसीलिए भंग की, क्योंकि कुछ लोगों के स्वार्थ की वजह से लोगों के त्याग व समर्पण व आपके भरोसे को ठेस पहुंच रही थी. मेरे लिए तो पूरा समाज ही मेरा परिवार है. कोई एक परिवार सीमित नही हैं अब. आपके विश्वास को टूटने नहीं दूंगा. गाज़ियाबाद, उत्तराखंड, पंजाब और पूरे देश से जो भरपूर प्रेम मिला है. आप सबको याद करता हूं. ननु, अवि, मिनल, सास्वत, बीजू भाई के परिवार व छोटी सभी बहनों को याद करता हूं. अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना सब…”

उन्होंने अपने पत्र में नीचे लिखे एक नोट में लिखा है, “मेरी गैर-मौजूदगी में युवा साथी अपनी ज़िम्मेदारी को समझे और न्याय के लिए संवैधानिक दायरे में रहते हुए संघर्ष करे.”

चन्द्रशेखर ‘रावण’ की यह चिठ्ठी अब दलित समाज के घर घर पहुंच गई है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भीम आर्मी को एक खनन माफिया के माध्यम से आर्थिक सहयोग की बात कही थी, जिसे चन्द्रशेखर ने नकार दिया है. आज़ाद के ख़िलाफ़ इस समय एक दर्जन से ज्यादा मुक़दमें हैं.