कलीम सिद्दीक़ी
अहमदाबाद : जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व अखिल भारतीय छात्र परिषद के नेता कन्हैया कुमार ने दलित-मुसलमान एकता पर ज़ोर दिया है. साथ ही यह भी बताया है कि गुजरात में चुनाव से पहले एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने की आवश्यकता है.
TwoCircles.net के साथ एक लंबी बातचीत में उन्होंने बताया कि चुनाव का वातावरण एसी कमरों में नहीं बनता, इसके लिए ज़मीन पर उतर कर समस्याओं को लेकर एक दुसरे के साथ खड़ा होना पड़ेगा. जिस प्रकार से स्टूडेंट एक्सचेंज का प्रोग्राम होता है, उसी प्रकार से एक कम्युनिटी दूसरी कम्युनिटी के साथ खड़ी हो.
कन्हैया कुमार ने कहा कि, चुनाव एक कम्युनिटी से नहीं जीती जाती है. गुजरात में वातावरण बन रहा है. अल्पसंख्यक और दलित एक साथ आ चुके हैं. अब पाटीदार भी आ रहा है. धीरे-धीरे वातावरण बनेगा. अब दलितों, मुसलमानों और पाटीदारों को यह तय करना पड़ेगा कि उनका जुड़ाव किसके साथ हो सकता है.
वो आगे कहते हैं कि, ज़मीन पर जब दलित अपने सवाल के साथ ऊना गए तो मुस्लिम समाज उनके साथ आया और दलित मुस्लिम भाईचारा की बात निकल कर सामने आई है. आज हाल में भी दलित-मुस्लिम भाई-भाई का नारा लगा, इसलिए ज़मीन पर उतरना ज़रूरी है.
इस बातचीत में उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि, गुजरात में चुनाव से पहले एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने की आवश्यकता है, जिससे दलित, पाटीदार, अल्पसंख्यक और पिछड़ों को एक साथ लाया जा सके. नहीं तो जनता समझेगी कि कोई आन्दोलन हुआ, कुछ चेहरे चमके और उन्होंने अपने विधायक और संसद बनने का रास्ता सेट कर लिया. इसीलिए कॉमन मिनिमम प्रोग्रम द्वारा एक अलायन्स बनाया जा सकता है और ऐसी ही होना भी चाहिए.
ये पूछने पर कि गुजरात में भाजपा के सामने कांग्रेस ही बड़ी पार्टी दिख रही है. तो क्या आप लोग 2017 में भाजपा के ख़िलाफ़ कांग्रेस को समर्थन देंगे? इस पर कन्हैया का स्पष्ट तौर पर कहना है कि, हम लोग दुश्मन तय करते हैं दोस्त नहीं, समर्थन और विरोध का सवाल तब होगा जब एजेंडा साफ़ हो. जो फ़िलहाल है नहीं…
कन्हैया कुमार इन दिनों गुजरात में हैं. यहां उना कांड की पहली बरसी पर राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच की ओर से गुजरात के मेहसाणा से ‘आज़ादी कूच’ निकाला गया है. जिस पर कल हमले की ख़बर है. बाद में मेहसाणा पुलिस ने कन्हैया समेत इनके दूसरे 13 साथियों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा-143 के तहत एफ़आईआर दर्ज की है.