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देश में चल रहे भीड़तंत्र के ख़िलाफ़ एकता का प्रदर्शन, रामलीला मैदान से जंतर-मंतर तक रैली

TwoCircles.net Staff Reporter

नई दिल्ली : देश में बढ़ते नफ़रत व ‘भीड़तंत्र’ के ख़िलाफ़ आज दिल्ली के रामलीला मैदान से एक रैली निकाली गई. ये रैली केन्द्रीय दिल्ली की सड़कों से होते हुए जंतर-मंतर पहुंची और फिर ये जनसभा में तब्दील हो गई.

इस रैली के मुख्य आयोजक दिल्ली का लोक राज संगठन था. लोक राज संगठन के दिल्ली प्रदेश सचिव बिरजू नायक TwoCircles.net के साथ बातचीत में बताया कि, हमारी ये रैली सरकार से किसी मांग या ज्ञापन देने के लिए नहीं है, बल्कि देश में अल्पसंख्यकों, दलितों, मज़दूरों, किसानों और जो भी अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, इन सब पर विशेष तौर पर हमले बढ़े हैं, इन्हें एकजूट करने के लिए है.

वो बताते हैं कि, हमारी कोशिश है कि देश के सभी संगठन एक साथ आकर अपने एकता का प्रदर्शन करें, ताकि हम सरकारों को बता सकें कि हम बंटे हुए नहीं हैं, हम अब एकजूट हैं. नायक ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि, देश की अर्थव्यवस्था और राजनीति को नई दिशा दिलाने के लिए अब हम सभी लोगों को एकजूट होकर आगे आना ही होगा.

TwoCircles.net के साथ बातचीत में जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द के इनामुर रहमान ने बताया कि मुल्क के मौजूदा माहौल के लिए तथाकथित सेकूलर पार्टियां भी ज़िम्मेदार हैं. क्योंकि आरएसएस या उससे जुड़ी संस्थाएं अचानक खड़ी नहीं हो गई हैं, बल्कि ये आज़ादी के समय से फल-फूल रहे हैं. इनको खाद-पानी देने का काम सेकूलर पार्टियों ने ही किया है. अब वो बीज आज दरख्त में तब्दील हो गई है तो ऐसा होना स्वाभाविक है.

उन्होंने यह भी कहा कि, मौजूदा सरकार जिन वादों व दावों के साथ सत्ता में आई थी. उन सब वादों व दावों पर नाकाम नज़र आ रही है. मोदी सरकार का ‘सबका साथ, सबका विकास’ कहीं भी धरातल पर नज़र नहीं आ रहा है. युवाओं में बेरोज़गारी बढ़ी है. अल्पसंख्यकों, दलितों, मज़दूरों व किसानों पर सरकारी अत्याचार बढ़े हैं. इसके साथ ही देश के अनगिनत मुद्दे पर जिस पर सरकार कठघड़े में खड़ी होती है, लेकिन इन सबसे जनता का ध्यान भटकाने के लिए धर्म व हिंसा का सहारा लिया जा रहा है ताकि देश की जनता इसी में उलझी रहे.

वहीं इस जनसभा में विभिन्न वक्ताओं ने ख़ास तौर पर केन्द्र की मोदी सरकार व यूपी की योगी सरकार को निशाने पर रखा और कहा कि मज़हब के नाम पर इस देश के बेक़ूसर मुसलमानों पर जो हिन्दुत्वादी गुंडे हमले कर रहे हैं, उसे किसी भी लोकतंत्र में किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

वक्ताओं ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि दलितों पर बर्बर जातिवादी दमन हो रहा है और जब दलित इसका विरोध करते हैं तो इन पर क्रूर हमले किए जा रहे हैं. देश का किसान बर्बादी की कगार पर है, लेकिन उन्हें सरकार की ओर से मदद देने के बजाए उन्हें खुदकुशी करने पर मजबूर किया जा रहा है. उनपर गोलियां बरसाई जा रही हैं. उन्हें मारा जा रहा है. मज़दूरों के अधिकारों पर हमले बढ़े हैं तो वहीं महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों में बेतहाशा इज़ाफ़ा हुआ है.

इस रैली की ख़ास बात यह थी कि इसमें हर तबक़े के लोग शामिल थे. जहां एक तरफ़ बुजुर्ग थे, तो वहीं महिलाओं, युवा, छात्र और बच्चे-बच्चियां भी शामिल थीं. इन सबके हाथ में प्ले-कार्ड था, जिन पर मोदी सरकार द्वारा अलग-अलग तबक़ों के लोगों पर किए जा रहे हमलों की निंदा करने वाले नारे लिखे हुए थे.

इस रैली को लोक राज संगठन के साथ कई तंज़ीमों ने मिलकर आयोजित किया था. इसमें ख़ास तौर पर जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, यूनाईटेड मुस्लिम्स फ्रंट, सीपीआई (एम.एल.) न्यू प्रोलेतारियन, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गनाईजेशन, पुरोगामी महिला संगठन, सिटिज़न फॉर डेमोक्रेसी, ए.आई.एफ़.टी.यू.(न्यू), साउथ एशियन ह्यूमन राइट्स डॉक्यूमेंटेशन सेन्टर और नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स आर्गनाईज़ेशन जैसे कई संगठनों के नाम शामिल हैं.