अशफ़ाक़ क़ायमख़ानी
जयपुर : राजस्थान सरकार में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बाद नम्बर दो की हैसियत रखने वाले प्रदेश के अनेक महत्वपुर्ण विभागों के मंत्री यूनुस ख़ान की मौजुदगी के बावजूद राजे सरकार में एक-एक करके मुस्लिम अधिकारियों को दरकिनार करने का सिलसिला लगातार जारी है.
हबीब खां गोरान को राजस्थान लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष पद से त्याग पत्र देने को मजबूर करने से लेकर अशफ़ाक़ हुसैन को 6 माह से पहले ही कलेक्टर पद से हटाने तक का मामला हमारे सामने है.
अब लोकसेवा आयोग के क्लियर करने के बावजूद राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारी अरशद अली को सरकार द्वारा तरक़्क़ी देकर भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी नहीं बनाने को लेकर मुस्लिम समाज में सरकार के प्रति अनेक प्रकार की चर्चाएं होने लगी हैं.
हालांकि यहां भी स्पष्ट रहे कि किसी भी अधिकारी को पोस्टिंग देने का विशेषाधिकार सरकार का पास होता है. लेकिन लोकहित सरकार में सभी समुदाय व नागरिकों के साथ न्याय होने के साथ-साथ न्याय होता दिखना भी अच्छा संकेत माना जाता है.
यहां यह भी बताते चलें कि राजस्थान में भाजपा सरकार को चार साल होने वाले हैं. सरकार के इन चार सालों में आईएएस व आईपीएस की बड़ी तादाद में तबादले हुए. और इन तबादलों के बाद इन चार सालों की सूरतेहाल यह है कि एकमात्र मुस्लिम आईएएस अशफ़ाक़ हुसैन दोसा कलेक्टर के पद पर रहें और फिर उन्हें भी इस पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा. इनके अलावा कोई भी ज़िला कलेक्टर व ज़िला पुलिस अधीक्षक के पद पर पोस्टेड होता नज़र नहीं आता है.