जज़्बात से नहीं, अब ‘अक़्ल’ से लड़ रही है भीम आर्मी

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net


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सहारनपुर : दलित अब सचमुच पहले जैसा नहीं है. पूरी ताक़त से जिस संगठन भीम आर्मी को कुचलने की कोशिश हुई वो अब और दुगुनी ताक़त से मज़बूत हो रहा है. सामाजिक कार्यो में उसकी हिस्सेदारी बहुत ज्यादा हो गई है.

विगत 21 जुलाई भीम आर्मी के दूसरे स्थापना दिवस अपने सुप्रीमो चंद्रशेखर रावण के आह्वान पर हजारों युवाओं ने देश भर में रक्तदान किया. अकेले सहारनपुर में सैकड़ों नौजवान भीम आर्मी के झंडे के नीचे सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक के सामने जुटे थे.

भीम आर्मी के ज़िला अध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया बताते हैं कि, ‘भीम आर्मी के चीफ़ चन्द्रशेखर भाई की एक आवाज़ पर आज सैकड़ों नौजवानों ने खून दिया. अब यह खून किसी भी जाति के इंसान की जान बचाने में काम आएगा, बिना भेदभाव के. जो ऊंची जात वाले हमारे साथ बुरा बर्ताव करते हैं वो मत ले चमारों का खून.’

सचिन वालिया ने भी आज ब्लड बैंक में रक्त दान किया है. अजय गौतम भी ऐसे ही एक युवा हैं, जो भीम आर्मी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं. वो कहते हैं कि, ‘भीम आर्मी को नक्सली बताकर प्रचार किया गया. लोगों के दिलों में ग़लतफ़हमी भरी गई. 50 से ज्यादा नौजवानों को जेल भेज दिया गया. हज़ारों का आत्मविश्वास कुचल दिया गया. पुलिस ने हमारे साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया. आज आलम यह है कि बिना सबूत के मामले अदालत में टिक नहीं रहे हैं.’

गौतम आगे बताते हैं कि, रोहित राज भाई की ज़मानत हो गई है. 3 महीने के अंदर चन्द्रशेखर भाई आ जाएंगे. हम संविधान के दायरे में क़ानून के मानने वाले लोग हैं. पुलिस के पास चन्द्रशेखर भाई के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं है. पुलिस ने दुर्भावना से काम किया. वीडियो में वो डीएम, एसएसपी के साथ मिलकर उग्र भीड़ को समझाते नज़र आ रहे हैं.’

बताते चलें कि रामपुर विधानसभा के भीम आर्मी के अध्यक्ष रोहित राज को ज़मानत मिल गई है. ज़मानत मिलने वाले वो भीम आर्मी के पहले नेता हैं. ज़मानत मिलने के बाद रोहित को ढ़ोल नगाड़ों के साथ फूल-माला पहनाकर जगह-जगह सम्मान किया जा रहा है. अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि चन्द्रशेखर आज़ाद के बाहर आने पर क्या होगा.

शहर के नामी वकील सज्जाद अहमद एडवोकेट कहते हैं, केस में कोई दम नहीं है. पुलिस की कहानी बहुत कमज़ोर है. 3 महीने में सभी बाहर आ जाएंगे.

क्या चन्द्रशेखर भी? क्योंकि उन पर एक दर्जन से ज्यादा मुक़दमे हैं. इस सवाल पर सज्जाद कहते हैं कि, सारे बेदम मुक़दमे हैं. वो भी बाहर आ जाएंगे.

बताते चलें कि हाल ही में जेल के बाहर भीम आर्मी के ज़िलाध्यक्ष कमल वालिया की मां को रोक लिया गया. वो अपने बेटे के जन्मदिन पर केक लेकर जा रही थी. जेल में इस पर पाबन्दी है. बस बड़ी संख्या में दलित नौजवान जेल के बाहर इकट्ठा हो गए. जेल के बाहर ही केक काटा गया और उत्सव हुआ. 

जेल से लौटे रोहित TwoCircles.net के साथ बातचीत में कहते हैं कि, भीम आर्मी सामाजिक कार्यो में  हिस्सा लेती रही है. हिंसा से हमे जोड़कर देखना एक षंड्यंत्र था. 9 मई  की हिंसा में संघ ने भीम आर्मी की लोकप्रियता से चिढ़कर अपने लोग हमारे बीच घुसेड़ दिए, जिससे हमारी छवि ख़राब हो. मगर कोई साज़िश हमें ख़त्म नहीं कर सकती.

वो आगे कहते हैं कि, पुलिस ने एकतरफ़ा कार्रवाई की है. बेगुनाह दलित भी जेल गए और गुनाहगार ठाकुर क्लीनचिट पा गए.

शब्बीरपुर में दलितों पर अत्याचार के प्रतिकार पर चर्चा में आई भीम आर्मी का कोई कार्यकर्ता संविधान से बाहर कोई बात नहीं करता.

सचिन भारती कहते हैं, ‘वो धर्म रक्षक होने का दिखावा करते हैं, मगर हम संविधान रक्षक हैं. हम बाबा साहब के सिपाही हैं.’

सहारनपुर की सड़कों पर अब भीम आर्मी के होर्डिंग लगे हैं. जेल में बंद युवाओ के नाम वाली लिस्ट लगी है. जिसमें इन्हें शेर बताया गया है. यानी भीम आर्मी की कार्य-योजना अब बदली हुई दिखाई देती है और ताक़त भी दुगुनी होती नज़र आ रही है. क्योंकि अब समाज का बुद्धिजीवी तबक़ा भी इनके साथ खड़ा नज़र आ रहा है. ऐसे में अब कोई भीम आर्मी को हल्के में नहीं ले सकता.

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