TwoCircles.net Staff Reporter
लखनऊ : बाबरी मस्जिद मामले में अब एक नया मोड़ सामने आया है. आज उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड में एक महत्वपूर्ण बैठक में यह तथ्य सामने आया है कि बाबरी मस्जिद उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड की जायदाद है न कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की. इसलिए अब अदालत में शिया बोर्ड भी अपना पक्ष रखेगी. बताते चलें कि अब तक उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड इस मामले में बतौर पक्षकार रही है.
उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने अपने महत्वपूर्ण बैठक के बाद जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि, ‘अयोध्या की वक़्फ़ मस्जिद मीर बाक़ी (बाबरी मस्जिद) शिया मस्जिद थी. साल 1946 में इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड की भूमिका संदिग्ध रही. ऐसा प्रतीत होता है कि शिया सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड, सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड से मिलकर मुक़दमा हारा और आज तक न्यायालयों में चल रहे इससे संबंधित मुक़दमों में शिया वक़्फ़ बोर्ड की तरफ़ से अपना पक्ष नहीं रखा गया.’
इस प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़, शिया बोर्ड ने आज यह फैसला लिया है कि मस्जिद मीर बाक़ी (बाबरी मस्जिद), अयोध्या, जनपद-फैजाबाद से संबंधित समस्त न्यायालयों में चल रहे मुक़दमों में शिया वक्फ बोर्ड अपना दावा भी पेश करेगा जिसके लिए बोर्ड ने आम सहमति से बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिज़वी को पूरी तौर से अधिकृत किया है.
बताते चले कि इससे पहले उत्तर प्रदेश भाजपा प्रदेश कार्य समिति के सदस्य कुंवर सैय्यद इक़बाल हैदर ने अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण करवाये जाने के लिये राजधानी के प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता का आयोजन कर चुके हैं. तब हैदर ने कहा था कि बाबरी मस्जिद को बाबर के प्रधानमंत्री मीर बाक़ी ने बनवाया था और इसका मालिकाना हक़ शिया वक्फ़ बोर्ड का बनता था, परंतु वक्फ़ बोर्ड की उदासीनता के चलते बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी संस्था हिन्दू-मुसलमान के बीच मनमुटाव करवाती रहती है. तब हैदर ने राम मंदिर बनाए जाने का समर्थन भी किया था.