आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
देवबन्द : पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर ये ख़बर वायरल की जा रही है कि, ‘दारूल उलूम देवबंद ने एक फ़तवा जारी किया है. बताया जा रहा है कि अब दारूल उलूम देवबंद एक फ़तवा जारी कर मुस्लिम नौजवानों के ज़रिए एंड्राइड फ़ोन के इस्तेमाल को हराम क़रार दिया है.’ इस बारे में एक ख़ास मिजाज़ के ख़बरनवीस अपने सनसनीखेज़ अंदाज़ में तरह-तरह की बातें लिख रहे हैं. ख़ास तौर पर इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया को अपना सहारा बनाया हुआ है. यहां से संबंधित तरह-तरह की ख़बरे व विचार प्रसारित किए जा रहे हैं.
लेकिन जब Twocircles.net ने सोशल मीडिया पर ‘फ़तवा’ के नाम पर वायरल हो रही इस ख़बर की पड़ताल की तो ये पूरा मामला ही फ़र्ज़ी पाया गया. दारूल उलूम देवबंद ने न कोई ‘फ़तवा’ दिया है और न ही मुस्लिम नौजवानों को एंड्राइड फ़ोन या स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने को मना किया है.
दारुल उलूम के ज़िम्मेदार मुफ़्ती अबुल क़ासिम नोमानी के TwoCircles.net के साथ बातचीत में स्पष्ट तौर पर बताया कि, दारुल उलूम ने इस तरह का कोई फ़तवा जारी नहीं किया है.
वो आगे बताते हैं कि, दारुल उलूम तभी फ़तवा जारी करता है, जब कोई मांगता है. किसी ने फ़तवा मांगा ही नहीं तो जारी करने का सवाल हीं नहीं है. ये सब मीडिया की दिमाग़ी फ़ितूर है.
दारूल उलूम के छात्रों के ज़रिए स्मार्ट फोन इस्तेमाल को लेकर सवाल पूछने पर मुफ़्ती नोमानी बताते हैं कि, हम दारूल उलूम में पढ़ने वाले छात्रों को एंड्राइड फ़ोन के इस्तेमाल की मनाही ज़रूर करते हैं, क्योंकि वो अपनी पढ़ाई पर पूरे तरह ध्यान दे सकें. हालांकि उन्हें अपने परिजनों से बात करने के लिए सामान्य फोन के इस्तेमाल और रखने की पूरी आज़ादी है.
एंड्राइड फ़ोन के इस्तेमाल की मनाही को लेकर वो आगे बताते हैं कि, इसके कारण छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. ये हम खुद के तर्जबे की बुनियाद पर आपको बता रहे हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि, हम हैरान हैं कि मीडिया इसे फ़तवा क्यों बता रही है. और इसे अब ख़बर बनाकर क्यों पेश कर रही है. जबकि हम अपने छात्रों को हर साल इसके लिए मना करते हैं. इसमें फ़तवा या फ़रमान जैसी कोई चीज़ ही नहीं है. देश के कई ऐसे स्कूल या कॉलेज हैं जहां फोन के इस्तेमाल पर ही पाबंदी है. वहां की ख़बर भी तो ये मीडिया के लोग दिखाएं और उस पर बहस करें.
ग़ौरतलब है कि देवबन्द का ये दारुल उलूम एक बेहद प्रतिष्टित धार्मिक संस्था है, जहां हज़ारो छात्र दीनी तालीम हासिल करते हैं. ये लगभग सभी बाहर से हैं, जिनमें अधिकतर अपने परिजनों से जुड़े रहने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि यहां पढ़ने वाले छात्रों के परिजनों ने भी दारुल उलूम के इस फ़ैसले का स्वागत किया है.