आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
सहारनपुर : यूपी के सहारनपुर जातीय हिंसा मामले में एक नया मोड़ आया है. कांग्रेस के इमरान मसूद अब भीम आर्मी के समर्थन में उतर आए हैं. मसूद वही नेता हैं, जो नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करके चर्चा में रहे थे. मसूद फिलहाल कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. TwoCircles.net ने मसूद के इस बयान के बाद उनसे बातचीत की. पेश है इस बातचीत का कुछ प्रमुख अंश:
क्या आपको नहीं लगता है भीम आर्मी के चंद्रशेखर आज़ाद सहारनपुर की हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं?
सहारनपुर की बिगड़े हुए हालात के लिए यहां के भाजपा सांसद राघव लखनपाल पूरी तरह ज़िम्मेदार हैं. सड़क दुधली में वो भीड़ लेकर पहुंचे और एसएसपी के आवास पर भी उन्होंने तोड़फोड़ कराई. इससे पुलिस का इक़बाल ख़त्म हो गया. 9 मई को भीम आर्मी के प्रदर्शन के दौरान अख़बारों में चन्द्रशेखर आज़ाद की प्रसाशनिक अधिकारियों के साथ तस्वीरें छपती हैं, जिसमे वो अधिकारियों के साथ मिलकर भीड़ को समझा रहे हैं. अब उसी चन्द्रशेखर को नक्सली बताया जा रहा है और अराजकता व गुंडागर्दी का नंगा नाच कराने वाले और इन हालात को पैदा करने वाले राघव लखनपाल को साधु. ये कहां का इंसाफ़ है? इसलिए हमारा कहना है कि राघव लखनपाल की गिरफ़्तारी चंद्रशेख़र से पहले होनी चाहिए, वरना यह अन्यायपूर्ण और एक पक्षीय बात होगी.
आप नहीं मानते कि चन्द्रशेख़र आज़ाद ने नफ़रत फैलाने का काम किया?
नफ़रत फैलाने का काम पूरे देश में भाजपा के लोग कर रहे हैं. सहरानपुर में भी इन्होंने ही किया. भाजपा की सारी सियासत नफ़रत पर टिकी है. चन्द्रशेख़र को नक्सली बताने का क्या मतलब है. वो अपने अधिकारों की बात करता है. पढ़े-लिखे दलित उससे जुड़े हैं. वो संविधान में भरोसा करता है. ग़लत तो वो लोग हैं, जो संविधान को लेकर नहीं चल रहें. नफ़रत वो फैला रहे हैं. चंद्रशेख़र पर यह इल्ज़ाम लगाना ग़लत है. टीवी पर सबने देखा किसका भाई पुलिस को पीट रहा है और क्या सबूत चाहिए.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि वो क़ानून का राज क़ायम करेंगे. इस पर आपका क्या कहना है?
पूरी दुनिया देख रही है कि यहां क़ानून का राज कितना है. यहां तो सिर्फ़ योगी जी के गुंडों का राज है. पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल है. भाजपा क़ानून-व्यवस्था की बात करती है. क्या यही क़ानून व्यवस्था है. पूरे प्रदेश में क़ानून सिसक रही है. भाजपा के लोग ही तांडव कर रहे हैं. लोगों के घरों में जाकर हांडी चेक कर रहे हैं. गले में फटका डालकर गुंडागर्दी कर रहे हैं. दो महीनो में ही प्रदेश की क़ानून व्यवस्था बोल गई है.
जेवर, बिजनौर और मुज़्ज़फ़रनगर की रेप की घटनाओं के बाद पुलिस कहानी बदल रही है.
जब किसी औरत की अस्मत लूटी जाती है तो उससे किये जाने वाले सवाल भी उसे चोट पहुंचाते हैं. जेवर में राज बब्बर जी गए थे. औरतों ने उन्हें अपना दर्द बताया. बार-बार सवाल बहुत तकलीफ़ देते हैं. यह विवेचना के नाम पर किया जाना वाला उत्पीड़न है. सरकार दुर्भावना से काम कर रही है.
तबादलों से कोई बेहतर बदलाव आएगा?
इस प्रकार की किसी भी समस्या का समाधान तबादला नहीं है. ज़िम्मेदारी सरकार की होती है. अफ़सर की नीयत होती है. अभी जो अफ़सर सहारनपुर में है वो भी योग्य हैं. ताबड़तोड़ तबादलों से कोई क्या हासिल कर लेगा. लोगों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार की है. सरकार भाजपा की है और उन्होंने सुशासन देने का वचन दिया था. यह जो पूरे प्रदेश में हो रहा है, क्या यही सुशासन है?
तो क्या भाजपा के लोग ही अपनी सरकार को बदनाम कर रहे हैं?
अब जब सांसद खुद समस्या पैदा करेगा तो हम क्या कहेंगे. पूरे यूपी में चाहे आगरा में सीओ के थप्पड़ मारने की बात हो. इलाहाबाद में दारोगा को दौड़ाकर पीटना हो. मुरादाबाद में थाने में घुसकर पुलिस की पिटाई हो. सब जगह गले में पीला/भगवा फटका डालने वाले ही हैं. क़ानून तो इनका हाथ का खिलौना बन गया है. मुख्यमंत्री को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए.
हिंसा प्रभावित क्षेत्र सहारनपुर का देहात क्षेत्र था, मगर घेराबंदी शहर की हुई. क्यों?
क्योंकि यहां के सांसद ने कहा था कि वो सहारनपुर को कश्मीर नहीं बनने देंगे. अब उन्होंने बना दिया कश्मीर. लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन है यह. क्या सहारनपुर के लोगों ने कोई हिंसा की थी. 10 दिन तक इंटरनेट बन्द करने का क्या मतलब था. बच्चे, बड़े, वयापारी सब दुखी हो गए. सहारनपुर के हालात इतने ख़राब नहीं थे, जितने दिखाए गए.
क्या आप यह मानते हैं कि मुसलमान पूरी तरह डर गया है?
हां, बिल्कुल… बिल्कुल और बिल्कुल… अब आप देख लीजिए मुज्ज़फ़रनगर में शेरपुर गांव में अफ्तार के वक़्त पुलिस लोगों की हांडी चेक कर रही थी. लेकिन डरने की ज़रूरत नहीं है. बल्कि मैं तो कहूंगा कि मुसलमानों को कुछ समय के लिए गोश्त खाना बंद कर देना चाहिए और अपनी शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक प्रगति पर ध्यान देना चाहिए.