ग़ाज़ीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट इस बार पारंपरिक खानदानी रंजिश का अक्स बन गई है. एक तरफ़ बसपा से मौजूदा विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी खड़े हैं जो मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं और कम्युनिस्ट पार्टी से लेकर समाजवादी पार्टी तक हर झंडे तले जीतते आए हैं. दूसरी तरफ मरहूम कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय हैं. इन दोनों बीच में कोई और नहीं है क्योंकि गठबंधन ने यहां कांग्रेस से जनक कुशवाहा को खड़ा कर दिया है जो अपेक्षाकृत कम परिचित हैं. सपा के वोटरों को ऊपर से आदेश आया है कि वे अंसारी परिवार को हराने के लिए अपना वोट भाजपा को ट्रांसफर करवाएं. ऐसे में यादव वोट इस सीट पर निर्णायक हो गया है.
क्या अंसारी बंधुओं का अपने घर में वर्चस्च टूट जाएगा? अभिषेक श्रीवास्तव ने मोहम्मदाबाद में अंसारी बंधुओं के पुश्तैनी घर जिसे यहां के लोग ‘फाटक’ के नाम से जानते हैं, वहां जाकर इन्हीं सब मसलों पर सिबगतुल्लाह अंसारी से बात की. प्रस्तुत है साक्षात्कार के प्रमुख अंश:
इस बार के चुनाव को आप कितनी अहमियत दे रहे हैं और 2019 के लिहाज से आप क्या तस्वीर देख रहे हैं?
ये 2019 का सेमीफाइनल है. इस चुनाव से तय हो जाएगा कि 2019 में देश में किसकी सरकार बनेगी.
आपका क्या आकलन है कि 2019 में भाजपा-एनडीए की सरकार रहेगी या नहीं?
जाएगी…
इस विधानसभा चुनाव को लेकर आपका क्या आकलन है?
इस चुनाव में बहनजी की सरकार उत्तर प्रदेश में बनने जा रही है.
आपकी सीट पर यादव वोटों के रुझान को लेकर आपका क्या अंदाज़ा है?
यादव वोटर अपने अलायंस को भी दे रहा है और हमको भी दे रहा है. बहुत हम ही को दे रहा है.
मान लीजिए यादव वोटर आपको वोट नहीं देता है तो उसके बगैर आपकी सीट निकल जाएगी?
पहले तो निकली है, उनके खिलाफ़ ही लड़ के निकली है. 2012 में. सपा के ही प्रत्याशी के खिलाफ लड़ के जीते थे. उनका वोट हमारे साथ एक भी नहीं था.
आपको लगता है कि इस बार भाजपा से अलका राय जी के लड़ने से पुरानी रंजिशों की छाया फिर से पड़ेगी?
वो लोग ऐसी कोशिश कर रहे हैं. पोलराइज़ेशन करने के लिए कम्युनल माहौल बना रहे हैं, लेकिन मोहम्मदाबाद की जनता कभी कम्युनल विचारधारा को पसंद नहीं करती है. पच्चीस-तीस साल का तो यही इतिहास है.
आप लोग इतने लंबे समय से यहां सत्ता में हैं, लेकिन मोहम्मदाबाद की तस्वीर ऐसे ही है जैसी पहले थी?
किस मायने में…
सड़कों को ले लें…
किस सड़क का… सड़क का नाम लीजिए, बाजार की एक सड़क खराब बताइए. सिर्फ एक सड़क वो बन रही है… निर्माण कार्यदायी संस्था में कुछ अड़चनें आ गईं जिसकी वजह से देर में काम लगाया है जो पावरहाउस से सड़क आ रही है. कोई एक सड़क खराब दिखा दीजिए… और जो खराब सड़कें आप भांवरकोल में देख रहे हैं, वो बाढ़ की विभीषिका आई थी जिसमें पूरा भांवरकोल पानी में डूब गया था. उस समय सारी सड़कें बनी-बनाई टूट गई थीं. अधिकतर पर कार्य प्रारंभ है. दो मुख्य सड़के हैं- एक गाज़ीपुर-बलिया और दूसरी यूसुफपुर-मऊ. उत्तर प्रदेश सरकार को इस पर ध्यान देना था. एक पर एक रुपया नहीं दिया गाज़ीपुर-बलिया पर. यूसुफपुर-मऊ पर दिया, वो चार साल से ठेकेदार काम कर रहा है. एक सड़क चार साल में 30 किलोमीटर नहीं बना सका. उसमें मैं कहां दोषी हूं. कार्यदायी संस्था दोषी है. विधायक का क्या दोष है.
आप पहले सपा के साथ थे. फिर आपने कौमी एकता दल का उसमें विलय कर दिया. आज आप बसपा के साथ हैं. आपको नहीं लगता कि इससे जनता में भ्रम फैला होगा?
कोई कनफ्यूज़न नहीं… जब हम लाल झंडा लेकर आए तब भी हमारे लोग हमारे साथ थे. जब हम हरा झंडा लेकर आए तब भी लोग साथ बने रहे. आज नीला लेकर आए हैं तब भी लोग जुड़े हैं.
इतनी लंबी सियासत आपकी रही है, धोखा कैसे खा गए. नेताजी ने धोखा आपको दे दिय, आपको पता तक नहीं चला?
नेताजी ने नहीं धोखा दिया, उनके बेटे ने दिया. बाप को जब दे दिया, हमें दिया तो कोई ताज्जुब नहीं.
आपको अंदाज़ा था कि ऐसा होगा या आप अंधविश्वास कर के चल रहे थे?
नेताजी पर हम आखिर क्षण तक विश्वास करते रहे, लेकिन जो बेटा बाप को धोखा दे दे, बाप से जिंदगी में सब कुछ छीन ले, वो औरों को क्या समझेगा.
तो आपको लगता है कि समाजवादी पार्टी ढलान की ओर है?
समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर पर गई उत्तर प्रदेश में… बहुत बड़ा नुकसान हुआ.
और आपको लगता है कि अगर बसपा पहने नंबर पर रहेगी तो भाजपा इतनी आसानी से बना लेने देगी सरकार?
नहीं बनाने देगी तो हम विपक्ष में बैठेंगे लेकिन भाजपा से किसी भी तरह का गठबंधन नहीं करेंगे.
ये तय है?
तय है.
तय है?
तय है.
और सीबीआई आदि का अगर डर दिखाया गया या ऐसा कुछ हुआ तो?
कुछ भी हो…
कुछ भी?
कुछ भी.