प्रस्तुति : अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
1528 : ज़हीरुद्दीन बाबर ने अपने मंत्री ‘मीर बाक़ी’ के द्वारा 1526 ई. में फ़ैज़ाबाद से पांच किलोमीटर और दिल्ली से सात सौ किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पूरब में दरिया के किनारे अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया. 3 ख़ूबसूरत गुंबदों पर आधारित यह विशाल व भव्य मस्जिद उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की अज़मत की निशानी बन गई.
1855 : पहली बार यह कहा गया कि इस मस्जिद को बाबर ने भगवान राम के मंदिर को तोड़कर बनाया है. इस मसले पर अयोध्या में दंगा हुआ, जिसमें 75 व्यक्ति मारे गए.
1857 : हनुमान गढ़ी के महंत ने बाबरी मस्जिद के सेहन के एक भाग पर क़ब्ज़ा करके एक चबूतरा का निर्माण कर लिया और इसका नाम ‘राम चबूतरा’ दिया.
1859 : अंग्रेज़ों ने तनाव दूर करने हेतु बाबरी मस्जिद और ‘राम चबूतरा’ के बीच एक दीवार खड़ी कर दी.
1885 : 19 जनवरी 1885 को इतिहास में पहली बार यह दावा किया गया कि जहां बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ है, वह राम की जन्म-भूमि थी. इसलिए मस्जिद के क्षेत्र में मंदिर निर्माण करने की अनुमति दी जाए. यह मुक़दमा महंत रामदास ने फ़ैज़ाबाद के न्यायधीश ‘पंडित हरिकृष्ण’ की अदालत में दायर किया था. लेकिन हरिकृष्ण ने इस मुक़दमे को ख़ारिज कर दिया. इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ महंत रामदास ने अंग्रेज़ ज्यूडीशियल कमिश्नर डब्ल्यू पोंग की अदालत में अपील दायर की, जिसे पुनः 1886 में ख़ारिज कर दिया गया.
1934 : 1886 के बाद हिन्दू सांप्रदायिक संगठनों का जुनून फिर भड़का और दंगे के अलावा बाबरी मस्जिद पर धावा बोल दिया गया, जिसके परिणाम में बाबरी मस्जिद के मुख्य द्वार के साथ-साथ दूसरे भागों को भी नुक़सान पहुंचा.
1936 : बाबरी मस्जिद में अस्थायी तौर पर मुसलमानों का दाख़िला बंद कर दिया गया.
1949 : मुसलमान 22 दिसम्बर को आख़िरी बार मस्जिद में नमाज़ अदा कर सके. वो इशा की नमाज़ पढ़कर निकले तो उसी रात कुछ लोगों ने मूर्ति लाकर मस्जिद के मेहराब में रख दी.
1950 : इस घटना के ख़िलाफ़ मुसलमानों ने अदालत में मुक़दमा दर्ज कर दिया जो कि आज तक लटका पड़ा है. दूसरी तरफ़ कुछ हिन्दुओं ने भी मुक़दमा दर्ज करवा दिया, जिसके बाद मुसलमानों और हिन्दुओं दोनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई.
1983 : विश्व हिन्दू परिषद ने बाबरी मस्जिद की जगह मंदिर के लिए ‘आन्दोलन’ पूरी देश में चलाने का ऐलान कर दिया. इसके लिए ‘रथ यात्राएं’ भी निकाली गई. लेकिन इंदिरा गांधी के क़त्ल के कारण यह आन्दोलन दबकर रह गया.
1985 : दिसम्बर में एक हिन्दू मंडल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिला और धमकी दी कि अगर मस्जिद की इमारत 8 मार्च 1986 तक उनके हवाले न की गई तो इसके लिए जन आन्दोलन आरंभ कर दिया जाएगा, और मस्जिद पर ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा कर लिया जाएगा.
1986 : 19 जनवरी से विश्व हिन्दू परिषद ने अपने मक़सद के लिए क़ानूनी जंग का आरंभ कर दिया. फ़ैज़ाबाद के जिला जज ने मस्जिद के दरवाजे हिन्दुओं के लिए खोलने की इजाज़त दे दी. मस्जिद पर क़ब्ज़ा किया गया और वहां पूजा-पाठ शुरू कर दी गई. इस पर मुसलमानों ने विरोध किया तो इलाहाबाद और बाराबंकी में दर्जनों मुसलमानों को मार दिया गया. मुसलमानों की ओर से मस्जिद पर इस क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में अपील इलाक़े के एक मुसलमान मुहम्मद हाशिम अंसारी द्वारा दायर कर दी गई.
—प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मस्जिद की इमारत से 585 मीटर दूर सितम्बर में मंदिर के निर्माण के लिए शिलान्यास की अनुमति दे दी और पूरे मुल्क से कारसेवक इसके लिए ईंटे लेकर अयोध्या आए.
—यूपी के कई हिस्सों में दंगा हुआ और लगभग 600 व्यक्ति इस दंगे में मारे गए.
1990 : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में सोमनाथ से अयोध्या तक साढ़े सात सौ किलोमीटर की रथ यात्रा निकाली गई. इस यात्रा के दौरान काफी मुसलमानों का खून बहाया गया. एक लाख कारसेवक अयोध्या में एकत्रित हुए. मुलायम सिंह की सरकार ने सख़्ती दिखाई लेकिन कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद के गुंबदों को आंशिक तौर पर नुक़सान पहुंचाया. 30 कारसेवक पुलिस की गोली से मारे गए, जिसके परिणामस्वरूप वी.पी. सिंह की सरकार चली गयी. मुलायम सिंह की हुकूमत में कट्टरपंथियों ने एक बार फिर हमला किया जो पुलिस के संघर्ष के बाद नाकाम रहा.
1991 : 7 अक्टूबर को भाजपा सरकार ने बाबरी मस्जिद के इर्द-गिर्द की 2.67 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर ली. इस घटना के 18 दिन बाद 25 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हुक्म दिया कि विवादित स्थान पर कोई मंदिर का निर्माण नहीं कर सकता, लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार ने इस हुक्म की बग़ैर परवाह किए बाबरी मस्जिद कॉम्पलेक्स में मंदिर के निर्माण की राह हमवार करनी शुरू कर दी और मस्जिद के कुछ भागों को शहीद भी कर दिया गया.
1992 : जनवरी में उत्तर प्रदेश सरकार ने मस्जिद के गिर्द 10 फुट ऊंची दीवार का निर्माण करवा दिया. अयोध्या डेवलपमेंट ने चंद मंदिर गिराकर और एक मुस्लिम क्षेत्र पर क़ब्ज़ा करके इस ज़मीन को अपने क़ब्ज़े में ले लिया.
— 21 मार्च को विश्व हिन्दू परिषद की रामकथा पार्क के निर्माण के लिए 142 एकड़ भूमि आवंटित कर दी गई.
— 19 मई को मस्जिद के एक तरफ़ खुदाई आरंभ कर दी गई. विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय सचिव अशोक सिंघल ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण के सिलसिले में बुनियादी काम आरंभ हो चुका है.
— 23 जून को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को खुदाई बंद करने का हुक्म दिया, मगर इस हुक्म को सरकार ने नहीं माना.
— 9 जुलाई को बाद में बनाए गए राम मंदिर के मुख्य द्वार के निर्माण का कार्य आरंभ कर दिया. साधुओं और कारसेवकों ने वहां ‘इंतज़ामिया’ के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था.
— 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने घटनाओं की जानकारी प्राप्त करने का हुक्म दिया.
— 23 जुलाई को प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने साधुओं से एक समझौता कर लिया और काम को बंद करके हुकूमत को समस्याओं के हल के लिए तीन महीने की मोहलत दी.
— 23 नवम्बर को राष्ट्रीय एकता कौंसिल ने नरसिम्हा राव को सुप्रीम कोर्ट के हुक्म पर अमल करवाने के लिए सारी शक्ति दे दी. इसके बाद 15 हजार की पैरामिलट्री फ़ोर्स को मस्जिद के सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया गया.
6 दिसम्बर 1992 : तीन लाख कारसेवक अयोध्या में एकत्रित हुए और बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया
16 दिसम्बर 1992 : मस्जिद के गिराए जाने के मामले की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन हुआ.
जनवरी 2002 : प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था.
अप्रैल 2002 : अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक़ को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की.
मार्च-अगस्त 2003 : इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं. मुसलमानों में इसे लेकर अलग मत था. सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने 20 बिंदुओं पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए एक रिपोर्ट को सबूत के तौर पर पेश किया.
जुलाई 2009 : लिब्रहान आयोग ने गठन के पूरे 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और विहिप नेता अशोक सिंहल को मस्जिद विध्वंस के लिए दोषी ठहराया गया.
28 सितंबर 2010: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहांबाद हाईकोर्ट को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया.
30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने इस विवादित ज़मीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ़ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में ज़मीन बंटी. इस फ़ैसले को आस्था के आधार पर दिया गया फ़ैसला बताया गया.
9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.
जुलाई 2016: बाबरी मामले के सबसे उम्रदराज वादी हाशिम अंसारी का निधन
फ़रवरी 2017 : हाशिम अंसारी की मौत के बाद उनके बेटे इक़बाल अंसारी को इस मामले का मुद्दई माना गया.
21 मार्च 2017 : बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या विवाद पर जल्द सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने इस विवादित मामले पर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों पक्ष आपस में मिलकर इस मामले को सुलझाएं.