अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
नई दिल्ली : देश में बीफ पर बहस के इस दौर में अगर आपकी दिलचस्पी ये जानने में है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित चिड़ियाघरों में बंद खूंखार जानवर क्या खाते हैं तो इसका जवाब हम आपको दे रहे हैं.
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के ज़रिए मिले दस्तावेज़ यह बताते हैं कि देश के अधिकतर चिड़ियाघरों में बीफ निर्यातकों और सप्लायरों के ज़रिए जानवरों को मुहैया कराया जाता है. ऐसे राज्य जहां बीफ पर प्रतिबंध है, वहां के शेर भी बीफ खा पा रहे हैं, हालांकि ये अलग बात है कि उनके लिए बीफ दूसरे राज्यों से मंगवाया जा रहा है. यानी भले ही देश की एक बड़ी आबादी को अपना पसंदीदा भोजन न मिल रहा हो, मगर चिड़ियाघरों में बंद जानवर खूब मज़े से बीफ खा रहे हैं.
TwoCircles.net के ज़रिए डाले एक आरटीआई आवेदन के जवाब कर्नाटक की ज़ू अथॉरिटी का कहना है, ‘कर्नाटक राज्य में मवेशी वध निषेध व संरक्षण का बिल लागू नहीं है. इसलिए चिड़ियाघर में जानवरों को बीफ दिया जा रहा है.’
वहीं यूपी के कानपुर प्राणी उद्यान का कहना है, ‘सामान्यतः कानपुर के चिड़ियाघर में जानवरों को भैंस का गोश्त खाने को दिया जाता है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में इन्हें खाने में मुर्गा भी दिया जाता है.’ हालांकि कानपुर के इसी चिड़ियाघर से जानवरों के भूखे रहने की ख़बर भी मीडिया में आ चुकी है. अख़बार में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ इन जानवरों को खाने के लिए गोश्त नहीं मिल पा रहा है.
लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान और इटावा के लायन सफ़ारी ने इस आरटीआई आवेदन के जवाब में कोई सूचना नहीं दी है. बताते चलें कि मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़ इटावा लायन सफारी के शेरों को भी भैंस का गोश्त नहीं मिल पा रहा है. हालांकि यहां शेरों को ज़िंदा रखने के लिए बकरे का गोश्त दिये जाने की ख़बर आ रही है.
झारखंड के रांची ज़िले के ओरमांझी इलाक़े में स्थित भगवान बिरसा जैविक उद्यान का कहना है, ‘यहां बड़े मांसाहारी वन्य प्राणियों को आहार के रूप में महिष मांस यानी भैंस का मांस उपलब्ध कराया जा रहा है.’
गुजरात राज्य के सूरत चिड़िया घर का कहना है, ‘मुर्गा, बकरी, भेड़, खरगोश, डक और इमू का मांस जंगली जानवरों के लिए चिड़ियाघर में वैकल्पिक मांस स्रोत हो सकता है, खासकर उन क्षेत्र/राज्यों में जहां बीफ प्रतिबंधित है.’ इसी आरटीआई के जवाब में आगे यह भी कहा गया है, ‘गुजरात में भैंस के गोश्त पर कोई प्रतिबंध नहीं है.’
सिक्किम राज्य के वन, जलवायु व वन्यजीव प्रबंधन विभाग का कहना है, ‘सिक्किम में बीफ पर कोई प्रतिबंध नहीं है.’ यही जवाब गोवा व मणिपुर, असम राज्य का भी है. नेशनल जूलॉजिकल पार्क का भी कहना है, ‘दिल्ली व एनसीआर में बीफ प्रतिबंधित नहीं है.’
ओडिशा राज्य में भुवनेश्वर के नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क से आरटीआई के तहत मिले दस्तावेज़ बताते हैं कि यहां जंगली जानवरों को बीफ़ मुहैया नहीं कराया जाता है, लेकिन भैंस का गोश्त इन्हें खाने को ज़रूर दिया जाता है.
वहीं हरियाणा के वन्य प्राणी मंडल, हिसार का कहना है कि हिसार में एक लघु चिड़ियाघर भिवानी में है, जहां वन्य प्राणियों को कभी भी बीफ सप्लाई नहीं किया गया है.
हरियाणा के वन्य प्राणी मंडल, रोहतक का एक आरटीआई के जवाब में कहना है, ‘रोहतक चिड़ियाघर में रखे वन्यजीवों को भैंस के बछड़े का मांस सप्लाई किया जाता है. और पिछले पांच सालों में यानी साल 2011-12 से लेकर 2015-16 तक इस पर 19.01 लाख खर्च किया गया है.’
वहीं हरियाणा सरकार के वन विभाग के पंचकूला प्रखंड से आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक़ इस मंडल में चंडीगढ़ से दिल्ली आने वाली जीटी रोड पर पड़ने वाले कुरूक्षेत्र में पिपली चिड़ियाघर है, जो 27 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. इस चिड़ियाघर में बीफ यानी गाय का मांस जानवरों को नहीं दिया जाता है. लेकिन यहां जानवरों को भैंस का मांस ज़रूर दिया जाता है. भैंस का मांस आवश्यकतानुसार यूपी के सहारनपुर ज़िले से उपलब्ध हो जाता है. इसके अलावा यहां के जानवरों को चिकन व मटन भी खाने को दिया जाता है.
आरटीआई से मिले दस्तावेज़ बताते हैं कि इस चिड़ियाघर में एक बाघ है, जिसे सप्ताह में 2 दिन मटन और 4 दिन भैंस का मांस दिया जाता है. दस्तावेज़ यह भी बताते हैं कि शेर के इस खाने पर साल 2014-15 में 2014 के जुलाई महीने तक 1,84,900 रूपये खर्च किए गए. जबकि इससे पूर्व साल 2012-13 में यह खर्च 4,17,280 रूपये और साल 2011-12 में 3,52,921 रूपये था.
इस चिड़ियाघर में तेंदुआ, बिज्जू, सियार और शेर भी हैं. इन्हें खाने में चिकन व मटन दिया जाता है. और साल 2015-16 में इनके खाने पर 8 लाख 94 हज़ार 500 रूपये का खर्च आया है.
इन आँकड़ों को देखें तो यह बात साफ़ होती है कि सरकारों द्वारा लगाया गया गोमांस पर प्रतिबन्ध आदमी और जानवरों पर समान रूप से लागू होता है.