आरजू आलम, TwoCircles.net
नई दिल्ली : ‘न्यूज़ 18 इंडिया’ समाचार चैनल जो कि ‘नेटवर्क 18’ मीडिया समूह का एक चैनल है, जिसने अपने एक कार्यक्रम में आईएसआईएस (ISIS) के संस्थापक अबू बक़र अल-बग़दादी के बचपन को दिखाने के लिए 17 साल के ओबैद शमशाद के वीडियो का इस्तेमाल किया है.
‘न्यूज़ 18 इंडिया’ चैनल व वेबसाईट पर ‘हादसा’ नाम के कार्यक्रम में ‘स्पेशल रिपोर्ट: कैसे लेक्चरर से ISIS का सरगना बन गया ये युवक’ के नाम से ये वीडियो स्टोरी 31 मार्च को टेलीविज़न चैनल तथा 1 अप्रैल को अपने वेबसाईट पर प्रसारित किया था.
समाचार में दिखाए गए बच्चे की वीडियो को ‘न्यूज़ 18 इंडिया’ ने उसके स्कूल के एक प्रोजेक्ट के तौर पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री से लिया गया है, जो कि यूट्यूब पर मई 2015 को अपलोड किया गया था. दिखाए गए वीडियो में ओबैद की उम्र 15 साल थी.
इस कार्यक्रम के एंकर दिग्विजय सिंह नाटकीय अंदाज़ में अबू बक़र अल-बग़दादी के ज़िन्दगी का हर राज का पर्दाफ़ाश करने का दावा करते हैं. लगभग 17 मिनट के इस कार्यक्रम में 12 मिनट 39 सेकंड पर बच्चे की वीडियो फुटेज़ दिखाई जाती है, जिसके साथ ये डॉयलॉग सुनाई देता है.
“बग़दादी के जानने वाले लोगों के मुताबिक़ वह शरीफ़ साधारण सा दिखने वाला, शांत रहने वाला, लड़ाई-झगड़े से दूर रहने वाला एक इस्लामिक स्कॉलर था. सुत्रों के मुताबिक़ साल 2004 तक वह इराक़ की राजधानी बग़दाद के टोपची इलाक़े के एक छोटी सी मस्जिद के एक कमरे में रहा करता था”
सऊदी अरब के जद्दाह में ‘इंटरनेशनल इंडियन स्कूल’ के 10वीं क्लास में पढ़ाई करने वाला ओबैद उस वक़्त अपने स्कूल में इम्तिहान दे रहा था, जब ‘न्यूज़ 18 इंडिया’ का यह कार्यक्रम प्रसारित हुआ.
ओबैद बताता है, “जब वह इम्तेहान देकर स्कूल से बाहर निकला तो उसके फोन पर भारत से कई मैसेज़ और कॉल थे इस बारे में. उसके दोस्त और रिश्तेदार परेशान थे और इस बारे में जानना चाहते थे. पहले तो मुझे लगा कि लोग अप्रैल फूल बना रहे हैं, लेकिन जब खुद प्रोग्राम देखा तो मैं सकते में आ गया. अगले दिन स्कूल में बच्चे मुझे बग़दादी-बग़दादी कह कर चिढ़ा रहे थे. इस कारण मैं मानसिक रूप से परेशान हुआ, जिसके नतीजे में मेरे आगे के सारे ख़राब हुए. मैं बेहद हैरान व परेशान हूं कि आख़िर मेरी ग़लती क्या थी.”
ओबैद के पिता मोहम्मद शमशाद ने 4 अप्रैल को ‘न्यूज़ 18 इंडिया’ चैनल के प्रोग्राम में आतंकी अबु बक़र अल-बग़दादी के बचपन को दिखाने के लिए अपने नाबालिग़ बेटे को दिखाने के ख़िलाफ़ भारतीय दुतावास में लिखित शिकायत दर्ज कराई है.
मोहम्मद शमशाद भारत में उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. वो लगभग 20 साल से सऊदी अरब में रह रहे हैं. वह अपने बच्चे के इस इमेज़ को लेकर बेहद परेशान हैं.
वह बताते हैं, “आख़िर उन्हें किसी भी बच्चे की वीडियो को बग़दादी जैसे आतंकी से जोड़ने की ज़रुरत ही क्या थी. ‘न्यूज़ 18 इंडिया’ की इस हरकत की वज़ह से हमारा परिवार कितना परेशान हो रहा है. क्या उन्हें इस बात का ज़रा सा भी अंदाज़ा है? हमारे दोस्त और रिश्तेदार लगातार फोन कर रहे हैं. मैं उन्हें सफ़ाई दे देकर परेशान हो गया हूं.”
मोहम्मद शमशाद यह चिंता ज़ाहिर करते हैं कि अगर वह मुसलमान ना होते तो इस बारे में इतना परेशान ना होते. वह चाहते हैं कि चैनल माफ़ीनामा चलाए, जिससे मामला बिल्कुल साफ़ हो जाए, ताकि भविष्य में उनके बेटे को कोई परेशानी ना हो.
इस मामले में संवाददाता ने ‘न्यूज़ 18 इंडिया’ से संपर्क किया, लेकिन अब तक ‘न्यूज़ 18 इंडिया’ से कोई भी टिप्पणी प्राप्त नहीं हो सका है. इस चैनल बड़े अधिकारी व संपादक इस मामले में बात करने से बचते रहे हैं.
दिल्ली में रहने वाले तथा कभी ख़ुद भी उसी स्कूल में पढ़ने वाले दाऊद आरिफ़ ने जब यह वीडियो देखा तो तुरंत 2 अप्रैल को ही उन्होनें ‘न्यूज़ 18 इंडिया’ को को मेल करके यह वीडियो हटाने और एक माफ़ी चलाने की गुज़ारिश की, जिसका चैनल नें अब तक कोई भी जवाब नहीं दिया है.
दाऊद कहते हैं कि, “भारतीय मीडिया अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है, जिस तरह से ‘न्यूज़ 18 इंडिया’ ने एक मासूम नाबालिग़ बच्चे को बग़दादी जैसे आतंकी से जोड़ा है, यह पुरे विश्व में भारतीय मीडिया के दिमाग़ी दिवालियापन को ज़ाहिर करता है. मीडिया का छात्र होने के नाते मेरे लिए यह बेहद शर्म का मामला है.”
जद्दाह में स्थित भारतीय दूतावास ने शिकायत दर्ज होने की पुष्टि की है. दूतावास के एक अधिकारी ने बताया कि, “कंस्यूलेट इस मामले को लेकर गंभीर है और इसके उपर काम हो रहा है. नियम के मुताबिक़ जो भी कार्यवाही होगी वह ज़रुर करेंगे.”
दूतावास के अधिकारी मोईन अख़्तर बताते हैं कि बच्चे की शिकायत को विदेश मंत्रालय, भारत सरकार को फॉरवर्ड कर चुकी है.
विदेश मंत्रालय के अधीन एक्सटर्नल पब्लिसिटी एंड पब्लिक डिप्लोमेसी डिवीज़न के एक अधिकारी शिकायत-पत्र की प्राप्ति की पुष्टि तो करते हैं, लेकिन मंत्रालय इस मामले में क्या क़दम उठा रहा है, इस बात पर वह ख़ामोश हो जाते हैं.
वहीं वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया विश्लेषक मुकेश कुमार इस घटना से बहुत ज़्यादा हैरान नहीं हैं. वह मानते हैं कि पेड न्यूज़ के ज़माने में मीडिया एथिक्स कहां तक सांस ले पाएगी. आज मीडिया जिस तरह से सनसनी फैलाने की होड़ में लगा हुआ है. यह घटना उसी का छोटा सा नतीजा है.
मुकेश कुमार कहते हैं, “यह घटना मीडिया एथिक्स के सवालों से भी आगे बढ़कर एक अपराधिक मामला है. बिना इजाज़त लिए एक नाबालिग़ स्कूली बच्चे को एक आतंकी से जोड़ना जिस पर कई सौ लोगों के क़त्ल का इल्ज़ाम है, एक अपराध है. जिस पर ना सिर्फ़ विभागीय कार्यवाही होनी चाहिए, बल्कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को इस मामले में चैनल पर केबल एक्ट के तहत कार्रवाई करनी चाहिए.”
घटना के दो महीने हो जाने के बाद भी भारतीय दूतावास, विदेश मंत्रालय या सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तरफ़ से इस मामले में किसी भी तरह का कोई भी कार्रवाई सुनिश्चित नहीं की जा सकी है, जो कि भारत में मीडिया रेगुलेशन के मिथक की सच्चाई को उजागर कर रहा है.