TwoCircles.net News Desk
लखनऊ : लखनऊ की एक अदालत ने आईपीएस अफ़सर अमिताभ ठाकुर द्वारा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमिन (मजलिस) के नेता व विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी तथा शिव सेना सांसद व सामना के संपादक संजय राउत विरुद्ध दायर परिवाद ख़ारिज कर दिया है.
इस परिवाद में कहा गया था कि संजय राउत ने जिस प्रकार 12 अप्रैल 2015 के सामना हिंदी दैनिक में “रोकटोक —मुंबई में ओवैसी की उछल कूद : सावधान बिल में संपोले हैं” शीर्षक लेख में मुसलमानों का मताधिकार छिनने की बात कही है, वह धारा 153 (ए), 295 (ए), 298, 504, 505 (1) (बी) व (सी), 505 (2) आईपीसी के तहत अपराध हैं.
साथ ही लेख में अकरूद्दीन ओवैसी द्वारा हिन्दुओं के सम्बन्ध में कही गयी बातों को भी समान धाराओं के अंतर्गत अपराध बताया गया था.
अमिताभ ने आरोपों को अत्यंत ही गंभीर और संवेदनशील बताते हुए इन दोनों को न्यायालय में तलब कर उन्हें नियमानुसार दण्डित करने का अनुरोध किया था.
इस पर सीजेएम लखनऊ संध्या श्रीवास्तव ने अपने फैसले में कहा कि सीआरपीसी की धारा —196 में कोई कोर्ट किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ धारा —153ए, 295ए तथा 505 आईपीसी के अपराध अथवा इसके सम्बन्ध में आपराधिक षडयंत्र का संज्ञान केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति के बाद ही कर सकता है.
कोर्ट के अनुसार अमिताभ ने इन दोनों के ख़िलाफ़ राज्य के विरुद्ध अपराध और आपराधिक षडयंत्र का वाद प्रस्तुत किया है, लेकिन अभियोजन स्वीकृति के अभाव में इन दोनों को कोर्ट द्वारा तलब नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने इस आधार पर परिवाद को निरस्त कर दिया.
अमिताभ ने कहा कि अब वे केंद्र सरकार से इस सम्बन्ध में अभियोजन स्वीकृति की मांग करेंगे.