चुनाव क़रीब है, इसलिए शुरू है भाजपा की टेरर पॉलिटिक्स

TwoCircles.net News Desk

लखनऊ : आज़मगढ़ के अबू ज़ैद की मुंबई के छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट से, अब्दुल राशिद अजमेरी की अहमदाबाद एयरपोर्ट से व कुछ दिनों पहले उबेद मिर्ज़ा और क़ासिम टिंबरवाला की सूरत से गिरफ्तारी को रिहाई मंच ने गुजरात चुनाव की भाजपा की तैयारी क़रार दिया है.


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मंच ने कहा कि जिस अक्षरधाम मामले के बेगुनाह आरोपियों की फांसी की सज़ा को न सिर्फ़ सर्वोच्च न्यायालय ने ख़त्म किया, बल्कि केस में हुए फ़र्जीवाड़े और पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की बात कहीं उसी विवेचना के आधार पर अब्दुल राशिद की गिरफ्तारी गुजरात चुनाव की तैयारी है.

अबू ज़ैद, अब्दुल राशिद अजमेरी, उबेर मिर्ज़ा और क़ासिम टिंबरवाला की गिरफ्तारी को रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने भाजपा की टेरर पालिटिक्स का हिस्सा कहते हुए कहा कि, जब भी मोदी फंसते हैं तो फ़र्ज़ी मुठभेड़ों और गिरफ्तारियों के ज़रिए समाज का ध्यान मूलभूत सवालों से भटकाते हैं. 2002 के बाद इसी रणनीति के तहत अक्षरधाम मंदिर पर हमले से लेकर इशरत जहां फ़र्ज़ी मुठभेड़ को अंजाम दिलवाया तो वहीं यह सिलसिला 2017 में ठीक यूपी चुनावों के वक़्त आईएस आतंकी के नाम पर सैफुल्लाह का फ़र्ज़ी एनकाउंटर करवा कर किया. जिसपर पुलिस में मतभेद रहा कि आरोपी आईएस के हैं या नहीं. जिस तरह आज गिरफ्तारी पर गिरफ्तारी कर माहौल को गर्म किया जा रहा है, ठीक मोदी पर हमले के नाम पर तो वहीं 2017 के चुनावों के वक्त कभी संभल तो कभी मऊ में मोदी की चुनावी रैली पर आतंकी हमले की अफ़वाहें खुफिया-सुरक्षा एजेंसियां फैलाती थीं.

आज़मगढ़ के अबू ज़ैद की मुंबई के छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट से हुई गिरफ्तारी पर मुहम्मद शुऐब ने कहा कि अप्रैल में उमर, गाज़ी बाबा, मुफ़्ती, जाकवान की जिस गिरफ्तारी के इन्ट्रोगेशन के आधार पर यूपी एटीएस अबू ज़ैद की गिरफ्तारी का दावा कर रही है, उसके उस दौरान के तथ्यों पर गौर करें तो वह खुद एक दूसरे के ख़िलाफ़ खड़े हो जाते हैं. 7 मार्च 2017 से आईएस के नाम पर यूपी एटीएस खेल खेल रही है. मीडिया रिपोट्स के ज़रिए आईएस का आतंकी क़रार दिलवाया जाता है जबकि वह इन्हें सेल्फ़ मोटेड व सेल्फ़ रेडिकलाइज कहती है. ठीक गुजरात चुनाव के वक़्त अबू ज़ैद की गिरफ्तारी कर खुफिया-सुरक्षा एजेंसियां आज़मगढ़ पर लगाए गए आतंकवाद के ठप्पे का इस्तेमाल भाजपा के पक्ष में कर रही हैं.

रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा कि अक्षरधाम मंदिर में मोदी का जाना और कहना कि पटेल बड़ी संख्या में स्वामी नारायण संप्रदाय के अनुयायी हैं. ठीक उसके बाद अहमदाबाद से अब्दुल राशिद अजमेरी की अक्षरधाम मंदिर हमले मामले में गिरफ्तारी इशारा करती है कि नाराज़ पटेल समाज को साधने की यह कोशिश तो नहीं है. क्योंकि ठीक ऐसी ही स्थितियों में जब पटेल समाज मोदी से नाराज़ था, उसी वक़्त अक्षरधाम मंदिर पर हमला हुआ था, जिसका चुनावी लाभ उस दरम्यान भाजपा को मिला था.

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