अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
रांची (झारखंड) : फ़तवे को लेकर मीडिया के एक और झूठ का पर्दाफ़ाश हो गया है. ताज़ा मामला झारखंड के रांची शहर का है.
मीडिया में आई एक ख़बर के मुताबिक़ झारखंड की राजधानी रांची में रहने वाली योग टीचर राफ़िया नाज़ को योग सिखाने के कारण फ़तवा जारी कर जान से मारने की धमकी मिली है. अमर उजाला ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई के हवाले से लिखा है कि राफ़िया नाज़ रांची में योग सिखाती हैं और उनके ख़िलाफ़ फ़तवा जारी किया गया है. ये ख़बर कई न्यूज़ चैनलों ने भी दिखाई.
लेकिन TwoCircles.net के साथ ख़ास बातचीत में राफ़िया नाज़ बताती हैं कि, मीडिया ने ग़लत तरीक़े से इस मामले को पेश किया है. मैं एंकर को बोलती रही कि फ़तवा देने की धमकी दी गई है न कि फ़तवा दिया गया है, लेकिन वो चैनल नीचे ‘फ़तवा जारी’ लिखकर दिखाता रहा.
राफ़िया बताती हैं कि मुझे धमकी देने वालों में मुस्लिम-हिन्दू दोनों समुदाय के कट्टरपंथी शामिल रहे हैं. दोनों को मुझ से समस्या रही है. जब मैंने एक मीडिया को अपने बयान में कहा था कि मैं चाहती हूं कि कराची के वरिष्ठ योगगुरु बाबा सलीम के साथ मिलकर भारत और पाकिस्तान के बीच योग प्रतियोगिता हो, तब भी कुछ हिन्दू कट्टरपंथियों को समस्या हुई थी.
वो बताती हैं कि जून महीने में कॉलेज से घर लौटते समय मेरे साथ बदतमीज़ी भी की गई. जिसकी शिकायत मैं पास के पुलिस थाने में दर्ज करा चुकी हूं.
वो आगे बताती हैं कि एक बार एक ट्रेनिंग सेन्टर में योग सिखाने को लेकर नौकरी के लिए गई थी, तब मुझसे मेरा नाम बदलने के लिए कहा गया, लेकिन मैंने साफ़ तौर पर कह दिया कि मेरा नाम ही मेरा वजूद है. मैं जन्म से मुसलमान हूं और हमेशा रहूंगी. कोई ताक़त मुझे इस्लाम से अलग नहीं कर सकती तब मुझे इस नौकरी से हाथ धोना पड़ा था.
राफ़िया यह भी बताती हैं कि मुझको लेकर तरह-तरह की अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि 2019 में चुनाव लडूंगी. तो उनको बता दूं कि चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 25 साल की उम्र का होना ज़रूरी है, जो मेरी 2019 में भी मुकम्मल नहीं हो पा रही है.
वो बताती हैं, मैंने पुलिस से कोई सुरक्षा नहीं मांगी है. पुलिस खुद ही मेरे घर की पहरेदारी व निगरानी कर रही है. जबकि रांची के पुलिस उपाधीक्षक विकासचंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि राफ़िया को मंच पर योग करने के ख़िलाफ़ उसके समुदाय के ही कुछ लोगों ने धमकी दी थी. इसकी उसने दो दिनों पहले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुलदीप द्विवेदी से शिकायत की थी. इसके बाद उसे पुलिस सुरक्षा दी गई. लेकिन राफ़िया इस बयान को एक सिरे से खारिज कर रही हैं.
हालांकि मीडिया की ख़बर की मानें तो बीते बुधवार को राफ़िया नाज़ एक चैनल के न्यूज़ रूम में अपनी बात रख ही रही थी, तभी किसी ने सीएम रघुवर दास को इसकी जानकारी दी. उन्होंने रांची के एसएसपी कुलदीप द्विवेदी को तत्काल सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया. बस फिर क्या था. लाइव प्रसारण के बीच रांची पुलिस के कुछ कर्मी न्यूज़ रूम पहुंच गए. वहां राफ़िया को बताया गया कि ज़िला पुलिस ने उसके लिए दो सुरक्षाकर्मी मुहैया कराए हैं.
राफ़िया कहती हैं, मेरे मुहल्ले के सभी लोग मेरे साथ हैं. मेरे क़ौम के लोगों को भी मेरे योगा से कोई समस्या नहीं है. हां, बस कुछ शरारती तत्व इस मामले को तूल देकर मुसलमानों को बदनाम करना चाहते हैं. तो वहीं कुछ लोग साम्प्रदायिक रंग देकर सियासत करना चाहते हैं.
वो लोगों से अपील करते हुए कहती है कि, आप सबसे विनती है कि प्लीज़, इस मामले को अब और तूल न दें. इसे किसी धर्म या जाति से जोड़कर न देखें. इसको साम्प्रदायिक रंग देकर राजनीति करना बंद करें.
इस पूरे में मामले में रांची के दैनिक भास्कर से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार शहरोज़ क़मर बताते हैं कि कुछ इलेक्ट्रॉनिक चैनल्स ने मुस्लिम से जुड़े हर मामले की तरह इसे हाइप किया. इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि पुलिस सुरक्षा और चैनल्स पर डीवेट भी गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव में भाजपा की राष्ट्रवादी छवि भुनाना हो. जो कहीं न कहीं मुसलमानों की नकारात्मक इमेज का निर्माण करती है. राफ़िया के योग से चिढ़ उन्हें ही है, जो धर्मान्धता की सियासत करते हैं. पड़ोसी पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम मुल्कों में लड़कियां योग करती हैं.
दरअसल, ये सारा मामला शहरोज़ क़मर की एक ख़बर के बाद ही तूल पकड़ा. उन्होंने मो. असग़र ख़ान की एक वेब न्यूज़ के लिए लिखी गई ख़बर के बाद सबसे पहले अपने अख़बार में राफ़िया नाज़ की स्टोरी को कवर किया था, लेकिन उनकी कहानी के केंद्र में राफ़िया द्वारा अनाथ बच्चों को मुफ़्त योगा सिखाने की प्रेरक कथा थी.
बताते चलें कि, राफ़िया रांची के डोरंडा इलाक़े में रहती हैं. फिलहाल मारवाड़ी कॉलेज में एम.कॉम फर्स्ट सेमिस्टर की छात्रा हैं, साथ ही कॉलेज छात्र संघ की महासचिव भी हैं. इन्होंने यह चुनाव बतौर आजसू उम्मीदवार एबीवीपी के प्रत्याशी को हराकर जीता है.