आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
मुज़फ़्फ़रनगर : दुनिया भर देश की बदनामी का सबब बने मुज़फ़्फ़रनगर दंगों पर बनी फ़िल्म पर स्थानीय प्रशासन ने रोक लगा दी है.
फ़िल्म को मुज़फ़्फ़रनगर, मेरठ, सहारानपुर, शामली, बाग़पत, हापुड़, ग़ाज़ियाबाद में प्रदर्शित नहीं होने दिया गया, जबकि बिजनौर में आधी फ़िल्म चलने के बाद प्रसारण रोक दिया गया.
आज सुबह मुज़फ़्फ़रनगर में पत्रकारों, अफ़सरों व सामाजिक गतिविधि से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों को बुलाकर फ़िल्म दिखाने के लिए कहा गया था, जिसका भी प्रसारण नहीं होने दिया गया.
निर्माता मनोज कुमार माण्डी ने कहा कि, बुधवार को उत्तर प्रदेश के डीजीपी सुलखान सिंह ने विशेष बैठक बुलाकर विषय की गंभीरता को देखते हुए फ़िल्म की रिलीज़ वाली जगह पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करने की बात कही थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
बता दें कि पुलिस पहले ही पदमावती को लेकर हलकान हैं, जिसपर राजपूत आग बबूला है. एक तीसरी फ़िल्म ‘द गेम ऑफ अयोध्या’ भी पुलिस का सरदर्द बन गई है.
मनोज कुमार ने TwoCircles.net से बताया कि फ़िल्म में माहौल ख़राब करने वाली कोई बात नहीं है, बल्कि इस फ़िल्म से जाट-मुस्लिम एकता को बढ़ावा मिलेगा.
उन्होंने बताया कि फ़िल्म में ऐसे कई दृश्य हैं, जिनमें मुस्लिम हिंदुओं की जान बचाते हैं और हिन्दू मुसलमानों की जान बचा रहे हैं.
मनोज कहते हैं कि बेवजह अफ़सर बात का बतंगड़ बना रहे हैं. पहले सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म को 6 महीने लटकाए रखा और फिर नाम बदलकर रिलीज़ करने की अनुमति दी. पहले फ़िल्म का नाम ‘मुज़फ्फ़रनगर 2013’ था जिसे अब ‘मुज़फ्फ़रनगर -द बर्निग लव’ कर लिया गया है. फ़िल्म की कहानी में भी अब कुछ बदलाव है और इसे अब एक हिन्दू युवक की एक मुस्लिम लड़की से प्रेम कहानी का रूप दे दिया गया है. बाद में यह लड़की आईपीएस बन जाती है. इस दौरान मुज़फ्फ़रनगर में दंगा हो जाता है. दंगो में वास्तविक रूप से घटित हुई घटनाएं हूबहू दिखाई गई है.
अभिनेता मुरसलीम कुरैशी फ़िल्म में मुख्य खलनायक की भूमिका में हैं. इसे लेकर भी यहां नाराज़गी है. फ़िल्म 3 साल से बन रही थी और इसकी 80 फ़ीसद शूटिंग दंगों वाली जगहों पर ही की गई है.
फ़िल्म के निर्देशक हरीश कुमार के अनुसार जब सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म को अच्छी तरह जांच पड़ताल कर रिलीज़ की अनुमति दी है तो स्थानीय प्रशासन को क्या समस्या है. फ़िल्म में आईपीएस महिला के किरदार को दक्षिण की मशहूर अभिनेत्री ऐश्वर्या सूर्यदेवन निभा रही हैं. यह भी मात्र संयोग है कि मुज़फ्फ़रनगर दंगों के समय मंज़िल सैनी यहां एसएसपी थी. अब वो मेरठ की एसएसपी हैं.
इधर रोक लगाने की बात से डीएम ने इंकार किया है. मगर थियेटर मालिकों का कहना है कि ऐसा प्रशासन के कहने पर ही किया गया है.
निर्माता मनोज कुमार का कहना है कि किसी नेता के दबाव में आकर सिनेमाघरों के मालिकों को फोन करके मना किया जा रहा है. हालांकि इस संबंध में कोई लिखित आदेश नही है, बल्कि मौखिक तौर पर मेरी फिल्म को प्रदर्शन से रोक दिया गया. वो अब अदालत जा रहे हैं और फिल्म हर क़ीमत पर दिखाई जाएगी.