TwoCircles.net News Desk
नई दिल्ली : ‘भूमि अधिकार आंदोलन’ ने ‘कृषक मुक्ति संग्राम समिति’ के नेता अखिल गोगई की तुरंत बिना शर्त रिहाई की मांग की है. साथ ही यह भी कहा कि अगर उन्हें रिहा किया गया तो हम फिर राष्ट्रव्यापी आन्दोलन चलाएंगे.
अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महामंत्री, पूर्व सांसद हन्नान मौला ने कहा कि भारत का संविधान देश के हर नागरिक को सरकार और सत्तारूढ़ दल के ख़िलाफ़ अपना विचार रखने की आज़ादी और अधिकार देता है. सरकार या उसकी नीतियों से विभिन्न मत होने के कारण किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. ऐसा करना स्वतंत्र अभिव्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा.
उन्होंने कहा कि अखिल गोगई गत डेढ़ दशक से असमियों के भूमि अधिकार को लेकर सतत आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से उन पर गैर-संवैधानिक तरीक़े से राष्ट्रद्रोह की कार्यवाही की गयी है. भूमि अधिकार आंदोलन असम सरकार की दमनात्मक कार्यवाही के ख़िलाफ़ देशभर के मानव अधिकार पसंद नागरिकों के साथ मिलकर जनमत तैयार करेगा तथा क़ानूनी कार्यवाही में कृषक मुक्ति संग्राम समिति को सहयोग करेगा.
ऑल इंडिया यूनियन ऑफ़ फॉरेस्ट वर्किंग पीपुल की उप-महामंत्री रोमा ने कहा कि अखिल गोगई वन अधिकार क़ानून का लाभ हर असमवासी को दिलाने के लिए लम्बे समय से संघर्षरत हैं. इस क़ानून का लाभ मूलवासियों को देने की बजाए असम सरकार अखिल गोगई पर कार्यवाही कर रही है. अखिल ने असम में लगातार हावी हो रही सांप्रदायिक ताक़तों को खुली चुनौती दी है. यही कारण है कि सरकार एक जन आंदोलनकारी पर राष्ट्रद्रोह का फ़र्ज़ी मुक़दमा लगाकर उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही कर रही है.
उन्होंने कहा कि पूर्व में विनायक सेन, सीमा आज़ाद पर इस तरह की कार्यवाही की गयी थी, लेकिन न्यायालय से उन्हें देर से ही सही ज़मानत मिली. अब अखिल गोगई और भीम सेना के चंद्रशेखर पर भी इस तरह की कार्यवाही की गयी है, जिससे स्पष्ट होता है कि भाजपा देश में लोकतंत्र-स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार को कुचलने पर आमादा है.
जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय संयोजक एवं पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने बताया कि 11 नवंबर को उन्होंने सांसद एवं स्वाभिमानी श्वेतकारी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी के साथ डिब्रूगढ़ जेल जाकर अखिल गोगई से मिलने का प्रयास किया था, लेकिन डिब्रूगढ़ के उपायुक्त द्वारा अनुमति नहीं दिये जाने के चलते मुलाक़ात नहीं हो सकी. उपायुक्त द्वारा पहले न्यायपालिका के आदेश और बाद में पुलिस वैरीफिकेशन नहीं हो पाने को अनुमति नहीं देने का कारण बताया. गृह सचिव, मुख्य सचिव ने हस्तक्षेप करने से इन्कार किया तथा मुख्यमंत्री ने मिलने से इन्कार कर दिया. सुरक्षा कर्मियों द्वारा बताया गया कि वे सो रहे हैं, इस कारण मुलाक़ात संभव नहीं है.
डॉ सुनीलम ने बताया कि 12 नवंबर को गुवाहाटी में 5 किसान संगठनों द्वारा आयोजित 10 हज़ार से अधिक किसानों की जनसभा में अखिल गोगई की रिहाई की मांग की गयी.
उन्होंने बताया कि अखिल गोगई पर मुक़दमा दर्ज होने के बाद से ही पूरे असम में लगभग रोज़ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में असम के आम नागरिक भाग ले रहे हैं. गांव-गांव में अखिल गोगई को रिहा करने को लेकर समितियां बनाई जा रही हैं तथा हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है. कृषक मुक्ति संग्राम समिति द्वारा अगले महीने असम में रैली आयोजित की जाएगी जिसमें देशभर के लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और मानव अधिकारों में विश्वास रखने वाले नागरिक संगठन और पार्टियां को आमंत्रित किया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि अखिल गोगई को असम की भाजपा सरकार ने धारा —120बी, 121,124, 109, 153, 153ए के तहत राष्ट्रद्रोह के आरोप में 13 सितंबर को शाम को 6 बजे कृषक मुक्ति संग्राम समिति के गोलाघाट कार्यालय से गिरफ्तार किया था. 25 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम का उपयोग कर लंबे समय के लिए जेल में रखने का षडयंत्र किया गया है. राजनैतिक बदले की कार्यवाही इसलिए की गई, क्योंकि वह लगातार सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे थे. मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले की तर्ज पर हुए असम पब्लिक सर्विस कमीशन घोटाले को पहले सरकार ने रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश की, लेकिन तथ्यों के आधार पर (पैसा देकर नौकरी पाने) 25 अधिकारियों को जेल भेजना पड़ा. इस घोटाले में 241 नौकरियां भाई-भतीजावाद तथा 10 लाख से 40 लाख रुपये रिश्वत लेकर दी गई थीं.
इसी तरह पीने का पानी सप्लाई का ठेका घूस लेकर अमरीकी कंपनी को देने का अखिल का आरोप सच निकला. स्वयं कंपनी ने घूस देना स्वीकार किया. अखिल गोगई जन वितरण प्रणाली, ग्रामीण क्षेत्रों और विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार को उजागर करते रहे हैं.