TwoCircles.net News Desk
बलिया/लखनऊ : बलिया के रतसर में पिछले दिनों हुए सम्प्रदायिक हिंसा में सत्ता संरक्षण में मुस्लिमों के दुकानों में लूटपाट व आगजनी किए जाने का सच सामने आया है. इस बात का खुलासा आज रिहाई की टीम ग्राउंड से लौटकर अपने फैक्ट फाईंडिग रिपोर्ट के आधार पर किया है.
बताते चलें कि बलिया के रतसर में हुए सम्प्रदायिक हिंसा की जांच के लिए रिहाई मंच की टीम में बलवंत यादव, डॉ अहमद कमाल, तारिक़ शफ़ीक़, ओवैस असगर, महमूद अंसारी और राजीव यादव ने यहां के पीड़ितों से मुलाक़ात की.
जांच दल ने पाया कि 10 अक्टूबर को शाम के वक़्त में अरविंद राजभर और रिंकू के बीच साइकिल-मोटरसाइकिल की टक्कर के बाद तनाव बढ़ा और दूसरे दिन गांधी आश्रम चौरहे पर हो रहे धरने से उड़ी अफ़वाह कि हिन्दू युवक की मौत हो गई के बाद मुस्लिम दुकानों-मकानों पर हमला, लूट-पाट और आगजनी की गई. दंगाइयों ने डॉ. मोहम्मद बिस्मिल्लाह के क्लिनिक पर भी हमला किया.
रतसर की ठठेरी गली, सदर बाज़ार, पकड़ी तर के तीन मकान-दुकान समेत दसियों दुकानों को पूरी तरह से लूट के बाद आतताइयों ने तहस-नहस कर दिया. हिदायततुल्ला खान के दो मंज़िला मकान में स्थित पैतृक कपड़े की दुकान और रिहाइश को जहां लूटपाट कर आग के हवाले किया, वहीं मुहम्मद शमीम के सीमा जनरल स्टोर के दो मंज़िला होलसेल के गोदाम और स्टोर को भी लूटपाट के बाद आग के हवाले कर दिया. राजू रेडीमेड को भी इसी तरह से दंगाइयों ने खाक कर दिया.
गांधी आश्रम चौराहे पर आगे फलों की दुकानों को लूटते हुए सैकड़ों की संख्या में पेट्रोल, लाठी-डंडों, रंभा-लोहे के राड से लैस जुलूस रतसर मुख्य बाज़ार में प्रवेश करते हुए पहले से चिंहित मुस्लिमों की बड़ी-बड़ी दुकानों को निशाना बनाया.
पकड़ी तर पर स्थित दानिश नफ़ीश की कोहिनूर मोबाइल तो उन्हीं के भाई डंपी की सेंट्रल बैंक के पास न्यू कोहिनूर मोबाइल की दुकान को पूरी तरह से लूट लिया. कमाल खान के जिम, नईम अंसारी के हिन्द वॉच, अख्तर नवाज़ के जनरल स्टोर समेत कई दुकानों पर लूटपाट की.
दल ने पाया कि 20 किलोमीटर दूर सिंकन्दरपुर की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि रतसर को भी साम्प्रदायिक तत्वों ने आग में झोंक दिया. सिंकन्दरपुर में साम्प्रदायिक तत्वों के ख़िलाफ़ करवाई न होने के चलते साम्प्रदायिक तत्वों का मनोबल बढ़ा. सत्ता संरक्षण में प्रशासन के उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में मुस्लिमों के दुकानों में लूटपाट और आगजनी की गई. वहीं पुलिस पीड़ितों की एफ़आईआर नहीं दर्ज कर रही है.