अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
पुणे : देश में वक़्फ़ की ज़मीन को लेकर लूट मची हुई है. और इस लूट में भू-माफ़ियाओं, बिल्डरों से लेकर नेता, पत्रकार व पूर्व सैन्य अधिकारी तक शामिल हैं.
ताज़ा मामला पुणे शहर के ‘कोंढवा वक़्फ़ भूमि घोटाले’ का है. आरटीआई से हासिल महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बताते हैं कि, आलमगीर मस्जिद ट्रस्ट की 46.4 एकड़ में फैली इस ज़मीन को 234 लोगों ने सरकार को अंधेरे में रखकर अवैध तरीक़े से ख़रीदा व बेचा है. जबकि ये खरीदने-बेचने वाले लोग बख़ूबी जानते थे कि किसी भी वक़्फ़ की ज़मीन को खरीदा व बेचा नहीं जा सकता है.
इन दस्तावेज़ों को आरटीआई के ज़रिए हासिल करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता व ‘महाराष्ट्र वक़्फ़ लिबरेशन एवं प्रोटेक्शन टास्क फोर्स’ के अध्यक्ष सलीम मुल्ला का आरोप है कि, इनके इस अवैध खरीद-बेच में सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ कुछ भ्रष्ट वकील भी शामिल हैं. ये पूरा घोटाला 1000 करोड़ रुपये से ऊपर का है.
उनका कहना है कि इस सौदे में शामिल अपराधियों ने झूठे रिकॉर्ड बनाने के लिए तलहटी और भूमि रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की है. हालांकि, उनके सभी नापाक सौदों के साक्ष्य मौजूद हैं और उन्हें ठोस प्रमाण के तौर पर पेश किया जाएगा.
इस मामले को लेकर सलीम मुल्ला पिछले दिनों नई दिल्ली में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष घयुरल हसन रिज़वी से मुलाक़ात की. इससे पहले वो अल्पसंख्यक एवं वक़्फ़ मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी से भी मुलाक़ात कर चुके हैं. उनके मुताबिक़ नक़वी ने उन्हें क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों और केंद्र एवं राज्य दोनों स्तर पर सरकार के विधि विभागों के पूर्ण समर्थन का भरोसा दिलाया है.
महाराष्ट्र सीआईडी कर रही है इस घोटाले की जांच
इस वक़्फ़ की ज़मीन का सौदा कर अपनी जेब भरने वालों को अब परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए पिछले 15 वर्षों में हुई ऐसी ख़रीद-फ़रोख्त की सीआईडी जांच शुरू कर दी है. पुलिस महानिरीक्षक (एडीजीपी-सीआईडी) संजय कुमार इस जांच की देखरेख कर रहे हैं.
गौरतलब रहे कि मई में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और प्रधान सचिव (अल्पसंख्यक विकास) को कोंढवा वक़्फ़ ज़मीन घोटाले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.
मजलिस विधायक ने सीएम को लिखा था पत्र, दोषियों को कड़ी सज़ा देने की है मांग
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (मजलिस) के औरंगाबाद से विधायक इम्तियाज जलील ने सर्वे क्रमांक 55 में कोंढवा वक्फ़ भूमि से संबंधित सभी लेन-देन (बिक्री, पट्टा, पुनर्विक्रय) को अवैध क़रार देते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में धोखाधड़ी के लिए संदिग्धों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज करने की मांग की है.
मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में जलील ने कहा है कि सर्वे 55 की ज़मीन वक़्फ़ की ज़मीन थी और उसे गरीब एवं ज़रूरतमंदों के लिए इस्तेमाल किया जाना था.
इस वक़्फ़ भूमि पर राष्ट्रीय कौशल व व्यावसायिक विश्वविद्यालय के निर्माण का प्रस्ताव
महाराष्ट्र वक़्फ़ लिबरेशन एवं प्रोटेक्शन टास्क फोर्स ने इस वक़्फ़ की ज़मीन पर मुस्लिम समुदाय के लिए एक ‘राष्ट्रीय कौशल व व्यावसायिक विश्वविद्यालय’ के निर्माण का प्रस्ताव रखा है. इसका मक़सद समुदाय के युवाओं को व्यावसायिक, कौशल आधारित और रोज़गार केंद्रित तालीम मुहैया कराना है.
इस संबंध में सलीम मुल्ला, सेवानिवृत्त आयकर आयुक्त और कंसर्न फॉर पीपल ट्रस्ट के निदेशक (वक़्फ़) ए.जे. खान ने सोमवार को औरंगाबाद के मजलिस विधायक इम्तियाज़ जलील के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष प्रस्ताव दाखिल किया है.
इस प्रस्ताव के मुताबिक़ शुरुआत में एक छोटे कैंपस का निर्माण किया जाएगा, जहां फुल-टाइम कोर्स संचालित होंगे. लेकिन तक़रीबन 10,000 छात्र मुख्य कैंपस में फुल-टाइम छात्रों के अलावा एक्सटर्नल, वर्चुअल और डिस्टेंस कोर्स का लाभ उठा सकेंगे.
संगठन ने 20 संकायों की एक रूपरेखा भी तैयार की है, जो पर्यावरण विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, प्रबंधन अध्ययन, विभिन्न धर्मों का अध्ययन, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, पैरामेडिकल अध्ययन, क़ानून, शिक्षा, मीडिया, नृत्य, नाटक एवं संगीत, ललित कला, फैशन प्रौद्योगिकी, प्रसाधन विज्ञान, कृषि, विज्ञान, उभरता हुआ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भाषा, पुस्तकालय और सूचना विज्ञान अध्ययन आदि पाठ्यक्रम पेश करेंगे.
सलीम मुल्ला के मुताबिक़, यह देश में अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय होगा, जहां लाखों छात्रों को कौशल और व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जाएगी. यह देश में एक आदर्श विश्वविद्यालय के रूप में उभरेगा. हमें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही प्रस्ताव को मंज़ूरी देगी. मंज़ूरी मिलने के बाद हम विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए धन जुटाएंगे. वक़्फ़ भूमि का इस्तेमाल समुदाय के लाभ के लिए किया जाना चाहिए, अन्यथा ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो अतिक्रमण के लिए इस पर नज़रे गढ़ाए बैठे हैं.