AMU : तो क्या भाजपा नेताओं के दबाव में नहीं होने दी गयी रोहिंग्या मुसलमान पर वार्ता

TwoCircles.net Staff Reporter

अलीगढ़ : जहां पूरी दुनिया में रोहिंग्या मुसलमानों पर होने वाले ज़ुल्म को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहा है, वहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में एक रोहिंग्या छात्र ‘रोहिंग्या मुसलमानों के मौजूदा हालत’ पर कार्यक्रम नहीं कर सका.


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इस कार्यक्रम के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन करते हुए अखिल भारतीय विद्यालय परिषद (एबीवीपी) ने इस वार्ता को न सिर्फ़ रोक दिया, बल्कि इसके आयोजक को ‘आतंकवादी’ बताया.

स्थानीय पुलिस का इस मामले में कहना है कि इस वार्ता कार्यक्रम के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए इसे रद्द कर दिया गया.

वहीं टाईम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भाजपा की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने एक बयान में कहा है कि, अलीगढ़ में इस तरह की बातचीत की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. मैंने स्थानीय प्रशासन से बात की और उन्हें चेतावनी दी कि ऐसे कार्यक्रमों से तनाव पैदा हो सकता है.

TwoCircles.net ने इस संबंध में एएमयू के जन सम्पर्क अधिकारी उमर पीरज़ादा से बात की तो उनका कहना था कि, हमारे पास इस संबंध में कोई सूचना नहीं है.

बताते चलें कि दिल्ली यूनिवर्सिटी का एक छात्र अली जोहर मौंक थेन श्वे ने गत मंगलवार को एएमयू छात्रों की मदद से एएमयू के आर्टस फैकल्टी लॉन में ‘बीइंग अ रोहिंग्या मुस्लिम’ विषय पर एक वार्ता रखा था, जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों के मौजूदा हालात और भारत में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के विषय में चर्चा होना था.

22 साल का अली जोहर मौंक थेन श्वे खुद एक रोहिंग्या मुसलमान है, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में बीए फर्स्ट ईयर का छात्र है. पिछले पांच साल से भारत में रह रहा है.

अली जोहर का कहना है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्ता रद्द कर दी गई. मैं केवल अपने समुदाय की दुर्दशा को उजागर करने की कोशिश कर रहा था, जो कि इस वक़्त बहुत मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं.

स्पष्ट रहे कि एबीवीपी द्वारा इस कार्यक्रम को रद्द कराए जाने के बाद खुफिया विभाग की मशीनरी भी दिन भर इस खोजबीन में लगी रही कि कैम्पस में कहीं किसी गोपनीय स्थान पर रोहिंगया समाज के मुद्दे पर बैठक तो नहीं की जा रही है.

हालांकि इससे पूर्व शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद एएमयू छात्र सर सैय्यद हॉल के नज़दीक मार्च निकालकर म्यांमार सरकार के खिलाफ़ प्रदर्शन कर चुके हैं. इस मार्च में म्यांमार का झंडा एवं आंग सान सू की के पोस्टर भी जलाए गए.

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