दलितों को तबाह व बर्बाद कर देना चाहता है संघ —मायावती

TwoCircles.net Staff Reporter


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मेरठ : टूटती आशा और डूबती सियासत के सिग्नल ने दलितों की देवी को जनता के चरणों में लाकर खड़ा कर दिया है.

पश्चिम उत्तर प्रदेश के केन्द्र में स्थित ऐतिहासिक मेरठ जनपद में बसपा ने आज विशाल रैली की. इस रैली में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने खुद के इस्तीफ़े की तुलना बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के क़ानून मंत्री के पद से दिए गए इस्तीफ़ा से की. साथ ही आरएसएस को दलितों के विरूद्ध षड्यंत्र रचने वाला संघटन बताया.

उत्तर प्रदेश में चुनाव के बाद किसी भी राजनैतिक दल के माध्यम से की गई यह पहली रैली है. जानकारों के अनुसार इस रैली में 2 लाख से ज्यादा लोग जुटे, जिनमें मुसलमानों की संख्या बहुत ज्यादा थी.

बसपा ने अपनी इस रैली को मंडल सम्मेलन का नाम दिया था. आसपास के संभावित प्रत्याशियों को भीड़ जुटाने की ज़िम्मेदारी थी. रैली की आधी भीड़ सिर्फ़ पूर्व मंत्री हाजी याक़ूब और डासना विधायक असलम चौधरी लेकर पहुंचे.

इस रैली में मायावती ने आरएसएस पर जमकर भड़ास निकाला. कहा कि वो विभिन्न प्रकार से दलितों के खिलाफ़ षंड्यंत्र कर रहे हैं और कहा कि भाजपा सरकार दलितों की विरोधी है.

मायावती ने भाजपा पर दलितों के विरुद्ध जातीय हिंसा भड़काने का भी आरोप लगाया. वो बोली कि 2013 और 2017 दोनों चुनाव भाजपा ईवीएम की गड़बड़ी से जीती.

मायावती ने कहा कि, जब सहारनपुर हिंसा में उनकी बात नहीं सुनी जा रही थी तो उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया. बाबा साहब को भी षड़यंत्र के चलते क़ानून मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. अगर मैं दलितों के ख़िलाफ़ हुए अत्याचार के ख़िलाफ़ बोल भी नहीं सकती तो फिर मेरी राज्यसभा का क्या औचित्य?

मायावती ने कहा कि, ये मनुवादी सरकार दलितों को तबाह कर देना चाहती है. इसके लिए आरक्षण ख़त्म करने की साज़िश हो रही है, जबकि हमने सर्वसमाज के लिए काम किया.

बताते चलें कि वो आगामी चुनाव में गठबंधन जैसे मुद्दों पर बिल्कुल नहीं बोली और भारी संख्या में मुसलमान होने के बावजूद उनका भाषण दलित केंद्रित रहा. हालांकि गाय के नाम पर की जा रही हिंसा की उन्होंने निंदा की और कहा दलितों और मुसलमानों पर गाय के नाम पर अत्याचार हो रहा है, जिसे सरकार का मौन समर्थन हासिल है.

ग़ौर करने वाली बात यह भी है कि आज की रैली में बहन मायावती के बग़ल वाली सीट पर बैठे धौलाना विधानसभा के वर्तमान विधायक असलम चौधरी नज़र आएं. जानकारों का मानना है कि नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी की खाली हुई जगह भरने के लिए बसपा सुप्रीमो को क़ाबिल शख़्सियत मिल गई है.

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