आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
मेरठ : दलितों के 2 अप्रैल को किए गए भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद अब राजनीति गहरा गई है. मेरठ के मेयर पति व पूर्व विधायक योगेश वर्मा को जेल भेजे जाने की बात तूल पकड़ रही है.
मेरठ की एसएसपी मंज़िल सैनी ने उन्हें सोमवार को मेरठ में हुए बवाल का दोषी बताते हुए गिरफ्तार किया था. योगेश वर्मा की गिरफ्तारी बेहद अपमानित तरीक़े से की गई थी और उन्हें पुलिस की गाड़ी में धक्का देकर चढ़ाया गया था. उन पर गंभीर धाराओं में मुक़दमा दर्ज करते हुए अधिकारियों ने रासुका लगाने की बात भी कही थी.
लेकिन इनके समर्थकों ने पुलिस की इस कार्रवाई को गतल बताया है. साथ ही एक वीडियो भी उनके समर्थकों की ओर से जारी की गई है, जिसमें वो दंगाइयों को रोकते और समझाते नज़र आ रहे हैं. इस दौरान उन पर खुद पथराव हो रहा है और उनके निजी अंगरक्षक उन्हें कवर करने की कोशिश कर रहे हैं. इस वक़्त उनके साथ पुलिस भी है.
मेरठ की मेयर सुनीता वर्मा कहती हैं कि, इस वीडियो से यह पता चलता है उनके पति को झूठा फंसाया गया है.
उनका कहना है कि, दरअसल हाल ही में मेरठ ज़िला योजना समिति के चुनाव में यहां भाजपा का सूपड़ा साफ़ हो गया था और उनके पति ने मेरठ में भाजपाई सरकार को हिलाकर रख दिया था. अब बीजेपी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए उन्हें फंसा रही है.
योगेश वर्मा मेरठ जनपद सहित आसपास में दलितों के सबसे क़द्दावर नेता समझे जाते हैं. उनके जेल जाने से यहां दलितों में गहरी निराशा है.
इस बीच मंगलवार को अपने पति से मिलने जेल पहुंची, लेकिन आधार कार्ड न होने के कारण उन्हें वापस भेज दिया गया.