आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
दादरी (पश्चिमी उत्तर प्रदेश): दिल्ली से महज़ 40 किलोमीटर दूर मौजूद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दादरी में नफरत के तहत मुस्लिमों की हत्या के प्रयास का ताजा मामला सामने आया है. यहां जुलाई माह में कुछ मुस्लिम लड़कों से हुई मारपीट से नाराज़ होकर दादरी के अभिषेक(26) और मनीष(22) ने एक माह के अंतराल में राह चलते छः मुस्लिमों को गोली मार दी. इन सभी को आरोपितों ने पीठ में गोली मारी. सभी दादरी के अलग-अलग मोहल्लों के रहने वाले है, और आपस में एक दूसरे से किसी रूप में परिचित नहीं हैं. घायलों में 14 साल के एक किशोर से लेकर 60 साल का एक बुजुर्ग भी शामिल है. सभी घायलों को रात के अंधेरे में गोली मारी गई. गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अभिषेक और मनीष को नोएडा पुलिस ने 14 अगस्त को गिरफ्तार किया है. गुर्जर बहुल दादरी में इसके बाद गुर्जरो और मुसलमानो में तनाव है, हालांकि कुछ स्थानीय गुर्जर नेताओं ने इस घटना के बाद सांप्रदायिक शक्तियों पर गुर्जर-मुस्लिम संबंध बिगाड़ने की साजिश रचने का आरोप लगाया है.
जुलाई के आखिरी सप्ताह में अभिषेक(26)और मनीष(24) की कुछ मुस्लिम युवकों के साथ कथित तौर पर मारपीट हुई. इस घटना के बाद 10 अगस्त तक मुस्लिम समुदाय के सात लोगों को अलग-अलग दिनों और स्थानों पर गोली मारी गयी. इनमें से एक व्यक्ति को गोली नहीं लगी, जबकि बाकी छः गोली के शिकार हुए. घायलों में एक 32 वर्षीय शौकीन अभी भी मौत से जूझ रहा है, जबकि बाकी 5 खतरे से बाहर हैं.
गोली मारने का तरीका सभी मामलों में एक जैसा ही है. सभी को कमर के पीछे पिस्टल से गोली मारी गई है, जो कूल्हे के मांस से पार हो गई. फय्याज, सलमान, अफ़सर, सबूदीन, रिजवान और शौक़ीन को बिल्कुल एक ही तरह से शरीर के क़मर के नीचे गोली मारी गई. इनमे से तीन ने टोपी पहनी हुई थी, दो की दाढ़ी थी. इनमे सातवीं में पढ़ने वाला एक 13 वर्षीय लड़का भी है, जो मांस बेचने की दुकान पर काम करता है.
बातचीत में घायल सलमान(26) ने बताया, “दो युवक मोटरसाइकिल पर आए और उन्होंने मेरी पीठ पर गोली मार दी. फिर वो भाग गए. बाइक चलाने वाले ने हेलमेट पहना था. मैं कुछ नही देख पाया.” दूसरे सभी घायल भी ऐसी ही कहानी बता रहे हैं. रोचक बात ये है कि इनमें से किसी भी घायल की हमलावरों के साथ कोई रंजिश नही रही. पूछताछ में हमलावरों ने भी इस बात की पुष्टि की है.
दादरी के कोतवाल रामसेन सिंह के मुताबिक गिरफ्तार दोनों युवकों ने भी घायलों के साथ किसी भी तरह की रंजिश होने से इंकार किया है. उनके अनुसार, दोनों हमलावर मुस्लिमों को गोली मारकर अपने अपमान का बदला ले रहे थे. पुलिस ने दोनों को एक मुठभेड़ के दौरान गिरफ़्तार बताया है, मगर स्थानीय लोग पुलिस की कहानी पर विश्वास नहीं कर रहे हैं.
तमाम तथ्यों के बावजूद यह सवाल बना हुआ है कि बिना रंजिश के कोई इतना बड़ा खतरा क्यों उठा रहा था, जिसमे निर्दोष लोगों पर गोलियां चलाई जा रही थीं. ज़ाहिर है कि ये गोलियां मारने के लिए दहशत फैलाने के उद्देश्य से चलाई जा रही थीं. और यह पहली नज़र में ये एक समुदाय विशेष में आतंक फैलाने की घटना है. इसकी तस्दीक मुल्सिम युवाओं से बातचीत में हो रही है.
हमें वकालत की पढ़ाई कर रहे स्थानीय युवक मोहम्मद जुबेर(19) बताते हैं, “यहां पिछले एक माह से रात में मेरे परिवार वालों ने मेरे घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी थी. मुस्लिमों में भारी डर पैदा हो गया था और उन्होंने शाम सात बजे के बाद सड़क पर निकलना बंद कर दिया था.”
गौर किया जाना चाहिए कि सभी घटनाएं रात में 9 बजे के बाद हुई है और सड़क के किनारे इन वारदातों को अंजाम दिया गया है. तीन लोगों को गोली बुलंदशहर-दादरी मार्ग रात 9 बजे के बाद मारी गई. एक को दादरी नोएडा मार्ग पर और बाकी दो को मुस्लिमबहुल इलाके में गोली मारी गयी.
भले ही जीटीबी नगर जनपद का पूरा नाम गौतम बुद्ध नगर है मगर स्थानीय लोग इसे ‘गुर्जर बहुल नगर’ भी कहते है. ज़्यादा पुरानी बात नहीं है कि इसी जनपद के दादरी के बिसाहड़ा गांव में फ्रिज में गोमांस होने के शक पर अख़लाक़ की चार साल पहले पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी थी.
लगभग ढाई लाख की आबादी वाली दादरी में बमुश्किल 45 हजार मुसलमानों की रिहाईश है. 14 अगस्त को किये गए खुलासे के मुताबिक गिरफ्तार युवकों ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि ‘मुसलमान पहचान’ वाले लोगों को गोली उन्होंने ही मारी. उन्हें मुसलमानों से नफरत हो गई थी. कुछ दिनों पहले उनके साथ कुछ मुस्लिम युवकों ने एक रेस्टोरेंट में खाने के दौरान मारपीट की थी, जिसके बाद उन्हें अपने अपमान का बदला लेना था.
घायलों में एक फय्याज त्यागी (64) बुलंदशहर दादरी मार्ग पर ठेले पर बिरयानी बेचने का काम करते हैं, उनको एक महीना पहले इसी मार्ग रात में 10 बजे गोली मारी गई थी, जब वो अपना ठेला लेकर घर जा रहे थे. अभी वे ठीक से खड़े नहीं हो पाते हैं. बातचीत में वे कहते हैं, “मेरा कोई गुनाह नहीं है. हमलावर मान रहे हैं कि उन्होंने मुझे मुसलमान होने की वजह से मारा, मेरी दाढ़ी टोपी से उन्हें पता चला कि मैं मुसलमान हूं. अगर उनके साथ किसी ने मारपीट की थी तो वे उनसे शिकायत रखते, सभी मुसलमानों से बदला लेने की सोच का क्या मतलब है?”
दादरी के वरिष्ठ पत्रकार महरुदीन खान सवाल उठाते हैं कि दादरी में हर तीसरा लड़का अपनी अंटी में तमंचा खोंसे घूमता है. पुलिस को पता लगाना चाहिए कि इतने हथियार आते कहां से हैं?
एक स्थानीय गुर्जर नेता भाजपा के एक बड़े नेता पर इस साजिश को रचने का आरोप लगाते है. वो नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “भाजपा के इस बड़े नेता ने स्थानीय गुर्जर नेतृत्व को बुरी तरह बरबाद कर दिया है, और अब गुर्जरो की ताकत मुस्लिमों को उनसे दूर करने का षड्यंत्र कर रहा है. पुलिस के खुलासे में दम नहीं है. इलाके में गुर्जर और मुसलमानो में गहरी एकता है. ये कहानी उनमें बैर पैदा करने के लिए गढ़ी गई है. जबकि इस घटना की साज़िश में कोई बड़ा षड्यंत्र है.”
स्थानीय युवक इखलाक अब्बासी(26) के अनुसार पुलिस के खुलासे पर लगातार सवाल उठ रहे है. एक ही समुदाय के लोगों के शरीर पर एक ही हिस्से पर दादरी में अलग-अलग जगहों पर गोली मारी गई. जाहिर है यह मुस्लिम समुदाय को आतंकित करने की कोशिश है. जबकि पुलिस ने आनन-फानन में दो युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. पीड़ितों से पूछताछ भी नही की गयी है. यहां गुर्जर-मुस्लिम पीढ़ियों से साथ हैं. उनमें आपसी प्रेम है. जाहिर है कि इस घटना से उनके संबधों पर असर पड़ेगा.