आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
बीते मंगलवार को आगरा जनपद के ललाऊ गाँव की रहने वाली दसवीं में पढ़ने वाली 16 साल संजली दलित छात्रा जब अपने स्कूल से साइकिल से लौट रही थी तब दो लडको द्वारा पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी गयी.
आज घटना के पांच दिन हो गए हैं. स्थानीय मीडिया की माने तो एक चश्मदीद अब पुलिस के सामने आया हैं. पुलिस ने फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की भी मदद ली हैं और क्राइम सीन को रेक्रेअट किया हैं. संजली के ताऊ के हम उम्र लड़के योगेश को पूछताछ के लिए बुलाया गया था.योगेश ने भी आत्महत्या कर ली है. मीडिया के अनुसार उसके पिता ने बताया हैं की योगेश ने अपने बीएड के प्रैक्टिकल के छूट जाने से आहत था इसीलिए आत्महत्या कर ली. आगरा के पुलिस कप्तान अमित पाठक जांच के सही दिशा में होने और जल्द ही खुलासे की बात कह रहे हैं,शनिवार को वैज्ञानिकों की एक टीम ने मलपुरा क्षेत्र के घटनास्थल नोमील का अवलोकन किया और कुछ साक्ष्य जुटाए है.
यहां क्राइम सीन रिक्रिएट किया गया,संजली के स्कूल से मिले सीसीटीवी फुटेज में साफ होता है कि उसके साइकिल लेकर निकलने के बाद दो मोटरसाइकिल उसके पीछे आती है इनमे एक मे दोनों में हेलमेट पहना है और बाइक लाल और काली है. संजली का गांव लालउ आंसुओ में डूबा है,पिछले पांच दिनों से गांव की कोई लड़की स्कूल नही गई है,गांव में लड़कियों ने तय किया है कि जब तक संजली के हत्यारे पकड़े नही जाएंगे वो स्कूल नही जाएगी, आगरा में दलित अत्यंत गुस्से में है. जूही प्रकाश कहती है “क्या न्याय जाति देख कर मिलता है!
संजली की मौत 75% बर्न्स के बाद हो गई. मरने से पहले उसने बताया कि दो लड़कों ने उसे पैट्रोल डालकर लाइटर से आग लगा दी उन्होंने हैलमेट पहना था. घटना के बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा संजली के गांव लालउ पहुंचे थे और उसके परिवार को पांच लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी,फिलहाल संजली के परिवार ने यह मुआवजा स्वीकार नही किया है. संजली का पूरा परिवार सदमे में है, कांग्रेस के नेता आगरा में धरने पर बैठ गए है. समाजवादी पार्टी ने 50 लाख मुआवज़े और सीबीआई जांच की मांग की हैं. समाज के हर वर्ग ने इस घटना के खिलाफ आवाज़ उठाई हैं.
घटनाक्रम के अनुसार संजली का स्कूल गांव से डेढ़ मील दूर है. स्कूल से लौटते समय काले रंग की बाइक पर हेलमेट लगाए हुए दो लड़के आएं. इनमे से एक के हाथ मे पेट्रोल की बोतल की थी. संजली आग में जलकर तड़पती रही. एक बस ड्राइवर मुकेश ने बस में लगे अग्निशमन यंत्र से आग बुझाने की कोशिश की. यह घटना आगरा मुख्यालय से 14 किमी दूर की है और इस दिन उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह इस शहर में थे.
उधर समस्त राजनितिक दलों ने इसकी निंदा की हैं. भीम आर्मी के सुप्रीमो चन्द्रशेखर संजली के घर भी गए. उन्होंने कहा कि दलित एक बेटी नही हजारों संजली को जलाकर मार दी गई है अब यह स्कूल जाने का साहस नही कर पाएंगी,पांच दिन बाद हत्यारों का पता लगाने विफल रहने वाली यूपी पुलिस का गुणगान किस मुँह से किया जाता है!
भीम आर्मी ने संजली की लड़ाई सड़कों पर लड़ने का ऐलान किया है जिस दिन यह घटना हुई उस दिन तमाम पुलिस अमला आगरा में था,यहां तक की उत्तर प्रदेश के पुलिस मुखिया भी कानून व्यवस्था बेहतर करने की कवायद में जुटे थे.
आगरा की इस लोमहर्षक घटना के बाद आगरा के दलितों में बहुत अधिक गुस्सा है,दलित चिंतक और वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने सवाल उठाया है कि इस जघन्य हत्याकांड पर भारत की मीडिया में निर्भया कांड जैसा गुस्सा क्यों नही है!
स्प्रिंगड़ेल पब्लिक स्कूल की बस का ड्राइवर मुकेश ने जरूर अपने दम पर संजली को बचाने की कोशिश की थी. घटना के दर्जनों चश्मदीद है मगर खुले तौर पर कोई पुलिस के सामने आना नही चाहता. सिर्फ एक व्यक्ति पंहुचा हैं जिसकी पहचान नहीं बताई गयी हैं. रिटायर्ड आईपीएस बीएन सिंह के मुताबिक यह गंभीर चिंतन का विषय है कि लोग पुलिस की सहायता नही करना चाहते.
कुछ संस्थाओं ने आगरा में प्रदर्शन किया है इनमे पोस्टर पर लिखा है “बेटी की कोई जाति नही होती वो सिर्फ बेटी होती है”.आगरा के दलित संगठनों ने 25 दिसम्बर को बड़ा प्रदर्शन करने का ऐलान किया है.
आगरा की जूही प्रकाश के अनुसार वैसे तो बेटी बेटी एक समान होती है मगर यह बात तक़लीफ़ देती है कि दलित की बेटी की मौत पर मुख्यधारा में सेलेक्टिव गुस्सा होता है,यह बेहद जघन्य अपराध है एक बच्ची को सड़क पर पैट्रोल डालकर जिंदा जला दिया और पांच दिन बाद भी पुलिस कुछ नही कर पाई है उनके पास एक गवाह तक नही है.
गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भी संजली के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की है उन्होंने कहा है “यह उत्तर प्रदेश की सरकार के लिए शर्म से डूब मरने का समय है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस पर मुँह खोलना चाहिए और निश्चित पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस पर अपनी जवाबदेही स्पष्ट करें,उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं अपने चरम पर है”.