अब अजित सिंह मुज़फ़्फ़रनगर में लेकर पहुंचे ‘पैग़ाम-ए-मोहब्बत’

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net


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मुज़फ़्फ़रनगर : रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह 48 घंटे मुज़फ़्फ़रनगर और शामली में बिताने के बाद दिल्ली लौट  गए हैं.

उनके समर्थक बता रहे हैं कि मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के ‘साइड इफेक्ट’ से देश में सरकार बदल गई. चार साल पहले के इस इतिहास को पलटने को इस बार अजीत सिंह क़सम खाकर लौटे हैं. साथ में जल्दी ही फिर आने का वादा भी करके गए हैं. इन्हें पूरा यक़ीन है कि दोनों समुदाय के  बीच पैदा हुई नफ़रत को वो मोहब्बत में बदल देंगे. बात यह भी हो रही है कि अजीत सिंह मुज़फ़्फ़रनगर से लोकसभा चुनाव लडेंगे.

अजीत सिंह यहां जाटों और मुसलमानों के बीच मोहब्बत का पैग़ाम लेकर आए थे. उन्होंने कहा वो भाजपा की नफ़रत की राजनीति यहीं दफ़न कर देंगे, जो पिछली सरकार में यहीं से परवान चढ़ी थी.

अजीत सिंह ने जाटों और मुसलमानों को क़रीब आने का एक फ़ार्मूला भी दिया. उन्होंने कहा कि हर जाट रोज़ाना एक मुसलमान से हाथ मिलाए. उनके साथ आए रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने इसके बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा —‘अगर कोई जाट ऐसा करे तो मुसलमान तुरंत आगे बढ़कर उसे गले लगा ले.’

अजीत सिंह ने यह भी कहा कि जाट और मुसलमान ईद-दिवाली और सुख-दुख में साथ रहे और एक दूसरे से पूरी तरह जुड़ जाए.

अजीत सिंह ने आगे कहा कि, पहले मुज़फ़्फ़रनगर के दम पर चुनाव जीतने वाली भाजपा अब कासगंज के बहाने ऐसा कर रही है. ये सिर्फ़ नफ़रत के दम पर हुकूमत करते हैं.

इसके बाद अजीत सिंह अपने दल बल के साथ दंगे प्रभावित गांवों में गए. वहां उन्होंने दंगा पीड़ितों से बात की. वो कुटबा, लिसाढ़, खरड़, फुगाना गांवों के दंगा पीड़ितों से मिलें और दंगे में उनके साथ हिंसा पर दुःख जताया.

उन्होंने जाट और मुसलमानों के तमाम संगठनों से मुलाक़ात की. दंगो में दर्ज किए मुक़दमों में समझौते की प्रकिया की उन्होंने पड़ताल की और समझौता मुहिम के अगुवा विपिन बालियान से बात की.

उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिन्द से जुड़े उलेमाओं को बुलाकर सुना और दोनों समुदाय के रिश्ते बेहतर करने के लिए मदद मांगी.

रालोद प्रवक्ता अभिषेक चौधरी के मुताबिक़ जाट और मुस्लिम समुदाय ने कई जगह उनका संयुक्त रूप से स्वागत किया और मुसलमानों ने काफ़ी गर्मजोशी दिखाई. जगह-जगह दंगा पीड़ित उनसे बात करते हुए रोने लगे. चौधरी साहब ने उनका सर पर हाथ रखा. कई दंगा पीड़ितों ने उनसे पूछा आपने आने में इतनी देर क्यों कर दी. जाटों ने भी कई जगह दंगो में हुई घटनाओं के लिए अफ़सोस जताया और माना कि दंगा राजनीतिक लाभ लेने के लिए भाजपा के लोगों ने करवाया था.

इस दौरान उनके साथ पूर्व विधायक शाहनवाज़ राणा और पूर्व सांसद अमीर आलम भी रहें. अजीत सिंह अपने ही पार्टी के एमएलसी मुश्ताक़ चौधरी की तबीयत के पुरसाने-हाल के लिए उनके घर पहुंचे. यहां उन्होंने बड़ी संख्या में इकठ्ठा हुए मुसलमानों से जाटों को अपनाने की अपील की. उन्होंने कहा भाजपा फिर दंगा कराने की फ़िराक़ में है. भाजपा की राजनीति ने किसान को हिन्दू-मुसलमान में बांट दिया है. हमें भाजपा का नफ़रत अस्त्र को प्रेम के ब्रह्मास्त्र से काटना होगा.

अजित सिंह के इस दौरे का यहां काफ़ी असर दिखाई दिया. अजीत सिंह ने कहा कि, अब वो मुज़फ़्फ़रनगर को भाजपा की क़ब्रगाह बना देंगे और यहां तब तक लगातार कैम्प करेंगे, जब तक हर जाट-मुस्लिम के घर तक पैग़ाम-ए-मोहब्बत नहीं पहुंच जाता.

गौरतलब है कि 2013 में 9 विधायकों वाली रालोद का अब बस एक विधायक है. मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के बाद से जाटों का भाजपा के प्रति झुकाव हुआ और जाटलैंड में अपने गढ़ बाग़पत में अजित सिंह तीसरे स्थान पर खिसक गए. अब वो अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.

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