‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ में अब किताबों के नाम पर सामने आया घोटाला

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net  


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नई दिल्ली : भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन नई दिल्ली के द्वारका में चलने वाली ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ के निदेशक जी.सी. जोशी पर गंभीर आर्थिक व प्रशासनिक अनियमितता बरतने के आरोप, उसके बाद इसी केंद्र द्वारा दी जाने वाली ‘सांस्कृतिक प्रतिभा खोज स्कॉलरशिप’ में भारी घोटाले की कहानी के बाद अब किताबों के नाम पर होने वाला घोटाला सामने आया है.

आरटीआई के ज़रिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इंटरनल ऑडिट विंग से हासिल स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि, ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ ने अपनी लाईब्रेरी के लिए साल 2016-17 में सिर्फ़ तीन एजेंसियों से किताबों की खरीद की है. इन एजेंसियों में नवजीवन बुक्स, सस्ता साहित्य मंडल और उप्पल बुक स्टोर के नाम शामिल हैं. नवजीवन बुक्स और उप्पल बुक स्टोर ने सिर्फ़ 10 फ़ीसदी का डिस्काउंट दिया है, जबकि सस्ता साहित्य मंडल 25 फ़ीसदी का डिस्काउंट दे रहा था. बावजूद इसके इस केन्द्र के निदेशक ने नवजीवन बुक्स और उप्पल बुक स्टोर से ही किताबों की खरीदारी की और इन किताबों के मूल्य काफ़ी महंगे हैं.

ये ऑडिट रिपोर्ट यह भी बताती है कि, इस केन्द्र के लाईब्रेरी की किताबों का भौतिक सत्यापन मार्च 2016 में विभाग के प्रमुखों द्वारा गठित टीम ने नहीं, बल्कि चार्टर्ड एकाउंटेंट कम्पनी ‘आशीष पंत’ ने है.

इस ऑडिट रिपोर्ट में यह बताया गया है कि, भौतिक सत्यापन में ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ की इस लाईब्रेरी से पिछले पांच सालों में 2.67 लाख की किताबें ग़ायब पाई गई हैं. बावजूद इसके इस केन्द्र ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया और न ही केन्द्र की ओर से इन किताबों के खोज की कोई पहल की गई. 

इस ऑडिट रिपोर्ट में केन्द्र को यह सुझाव दिया गया कि लाईब्रेरी से ग़ायब किताबों की खोज के लिए तुरंत ज़रूरी क़दम उठाए जाए, लेकिन इस केन्द्र ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है. इस बारे में संस्कृति मंत्रालय को भी कई शिकायतें की गई हैं, लेकिन मंत्रालय की इसकी जांच में कोई दिलचस्पी नज़र नहीं आ रही है.

ये ऑडिट रिपोर्ट यह भी कहती है कि, ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ अपने लाईब्रेरी और अधिकारियों के लिए कुल 24 समाचार-पत्र मंगवाता है. लेकिन पिछले तीन सालों में रद्दी हो चुके अख़बारों की बिक्री नहीं की गई. जबकि 2014 में इस केन्द्र ने एक साल में जमा 1135 किलो रद्दी अख़बार बेचकर 14,755 रूपये सरकारी खाते में जमा कराया था.

इस ऑडिट रिपोर्ट का यह भी कहना है कि, ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ के उदयपूर, हैदराबाद और गुवाहटी में तीन क्षेत्रीय कार्यालय हैं. इनके लिए दिल्ली के हेडक्वार्टर कार्यालय से 1194 पुस्तकें  15,63,325 रूपये की खरीदी गई, लेकिन इसका ज़िक्र सीसीआरटी द्वारा बनाए गए इन्वेंट्री रजिस्टर में नहीं किया गया है.

ऑडिट रिपोर्ट के इन तथ्यों के अलावा चार्टर्ड एकाउंटेंट कम्पनी ‘आशीष पंत’ द्वारा कराए गए इस केंद्र की आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट में यह कहा गया है कि केन्द्र की लाईब्रेरी से साल 2016 में क़रीब 63,508 रूपये की किताबें ग़ायब हैं. इन किताबों की संख्या 346 है. हालांकि आरोप है कि किताबों के नाम पर ये घोटाला लाखों का है.

मोनिका चौहान पिछले 12 साल से बतौर लाईब्रेरी इंचार्ज इस केन्द्र में काम कर रही हैं. जब इस संबंध में उनसे TwoCircles.net ने बातचीत की तो उनका कहना था कि, लाईब्रेरी के संबंध में ऐसा कोई मामला उनकी नज़र में नहीं है. मुझे इस तरह की कोई जानकारी नहीं है. वहीं इस केन्द्र के निदेशक जी.सी. जोशी इस आरटीआई से हासिल इस ऑडिट रिपोर्ट में सामने आए घोटालों के बारे में बात करने से पहले ही मना कर चुके हैं.

बता दें कि 1979 में स्थापित ये केन्द्र संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्यरत है. वहीं केन्द्र के इस लाईब्रेरी की स्थापना 1980 में की गई है.

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