हज हाउस सील पर साम्प्रदायिक सियासत तेज़

(Photo by : Afroz Alam Sahil/TwoCircles.net)
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आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net

ग़ाज़ियाबाद : ग़ाज़ियाबाद में नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) के ज़रिए हिंडन नदी के क़रीब बने हज हाउस को सील किए जाने के बाद इस पर साम्प्रदायिक सियासत तेज़ हो गई है.


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एक तरफ़ जहां इस सील को लेकर जश्न का माहौल है, तो वहीं दूसरी ओर इसे मुसलमानों के दिल पर चोट बताया जा रहा है. लोगों में यह अफ़वाह फैलाई जा रही है कि योगी के इशारे पर अब ये हज हाउस कैलाश मानसरोवर भवन में तब्दील कर दिया जाएगा.

दरअसल, हज हाउस की सील लगने की कहानी में एक और गहरा तथ्य ये है कि 30 अगस्त 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां कैलाश मानसरोवर भवन की नींव रखी. उन्होंने घोषणा की कि कांवड़ यात्रियों के आराम के लिए 90 करोड़ की लागत से एक भव्य मानसरोवर भवन का निर्माण होगा. इसके लिए स्थान का चयन हज हाउस के क़रीब ही किया गया. हालांकि बाद में  यह स्थान बदल दिया गया.

ख़ास बात यह है कि इस साम्प्रदायिक सियासत की शिकार हज हाउस के इस मामले में आज़म खान ख़ामोश हैं. मीडिया के लाख प्रयासों के बावजूद इस पर वो कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. वहीं सूबे के हज मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी मीडिया को उपलब्ध नहीं हो रहे हैं. बता दें कि आज़म खान ने कभी इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया था.

इस हज हाउस की नींव मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते समय रखी गई थी. तब हज मंत्री हाजी याक़ूब कुरैशी थे. बाद में अखिलेश यादव सत्ता पर क़ाबिज़ हुए और बतौर मुख्यमंत्री इस हज हाउस का उदघाटन किया. उदघाटन की कहानी भी अजीब थी, क्योंकि आधी-अधूरी हालत में कच्ची इमारत का ऐब ढ़कने के लिए रंग कर दिया गया था.

200 कमरे वाले हज हाउस में 51 करोड़ रुपए खर्च हुए और इसे आला हज़रत हज हाउस नाम दिया गया. लेकिन इसको ज़मीदोज़ करने की अपील 2016 में अदालत में की गई. इस जनहित याचिका में कहा गया कि हज हाउस में 23 सौ लोगों के रूकने की व्यवस्था की गई है, इसके बावजूद यहां 136 किलोलीटर का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं बना हुआ है.

एनजीटी ने हज हाउस ध्वस्त करने की अपील को खारिज कर दिया. ट्रिब्यूनल ने कहा कि हज हाउस का निर्माण डूब क्षेत्र में नहीं हुआ है. नदी और हज हाउस के बीच बांध है. बांध बन जाने से डूब क्षेत्र ख़त्म हो जाता है. इस संबंध में ग़ाज़ियाबाद सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट में खारिज हो चुके दो मामलों का भी हवाला दिया गया.

साथ ही एनजीटी ने प्रदूषण विभाग को एक हफ्ते के भीतर हज हाउस का निरीक्षण करने का निर्देश दिया और ये देखने को कहा कि वहां 136 किलोलीटर का एसटीपी बना है या नहीं. एसटीपी का निर्माण नहीं होने पर हाउस को सील कर रिपोर्ट दी जाए. साथ ही उत्तर प्रदेश हज समिति को आदेश दिया कि ऐसी स्थिति में सील खुलवाने के लिए एनजीटी में अपील दायर करनी होगी. आदेश के बाद ही सील खोली जाएगी.

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