Home Lead Story बुलंद हौसलों के साथ बस उड़ना चाहती है कलंदर की बेटी वाजिदा

बुलंद हौसलों के साथ बस उड़ना चाहती है कलंदर की बेटी वाजिदा

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net

मुझेड़ा : वाजिदा हमें यह बता रही हैं कि उनके आस-पास की उसकी बिरादरी में चार पांच ज़िलों में वो अकेली लड़की है जो नवीं क्लास में पढ़ रही हैं. इन ज़िलों में लगभग दो लाख कलंदर होंगे.

मुज़फ़्फ़रनगर में मीरापुर थाना के मुझेड़ा गांव की रहने वाली 14 साल की वाजिदा अपनी पांच बहनों में सबसे बड़ी है और अपनी क़ाबिलयत के दम पर बिरादरी में उसे विशिष्ट सम्मान मिला है.

तमीजन ख़ातून वाजिदा की पड़ोसन हैं. वो बताती हैं कि, छठी क्लास से ज़्यादा कोई छोरी न पढ़ी.

वाजिदा के पिता रियाज़ घोड़ा गाड़ी चलाने का काम करते हैं. इनके घर झोपड़ीनुमा है और इनकी ख़ानाबदोश बिरादरी को दुनिया कलंदर के नाम से जानती है.

वाजिदा नाम की यह लड़की इस बिरादरी की नायिका है. इसकी वजह सिर्फ़ नवीं क्लास में पढ़ाई करना ही नहीं है. दरअसल, ख़ास बात यह है कि वो मुज़फ़्फ़रनगर की स्कूली कुश्ती की चैम्पियन है और मंडल स्तर पर डिस्कस थ्रो की स्वर्ण पदक विजेता भी.

खेल शिक्षक गौरव त्यागी बताते हैं कि, डिस्कस थ्रो में सब-जूनियर बालिका वर्ग अंडर-14 में 27 मीटर का है. हर साल स्टेट चैम्पियनशिप अक्टूबर में आयोजित होती है.

TwoCircles.net के साथ बातचीत में वाजिदा बताती हैं कि, पिछले एक सप्ताह से हाथ में दर्द है. तश्तरी फेंकी नहीं जा रही, वरना 34 मीटर फेंक देती हूं. स्टेट का रिकॉर्ड 26 मीटर का का है.

वो कहती हैं, ब्लॉक स्तर मोरना में लड़कियों ने मुझसे कुश्ती ही नहीं लड़ी थी, वॉकओवर मिल गया. मुज़फ़्फ़रनगर स्टेडियम में दूसरी लड़की 1 मिनट में चित हो गई.

वाजिदा दो खेल में चैम्पियन है और दोनों खेल बलशाली लड़कों के माने जाते हैं. डिस्कस थ्रो में ये सहारनपुर मंडल की चैम्पियन है. इस मंडल में मुज़फ़्फ़रनगर, शामली और सहारनपुर जनपद आते हैं. कुश्ती में ये मुज़फ्फरनगर जनपद की विजेता है.

वाजिदा की मां सितारा खातून हमसे कहती हैं, “क्यों म्हारी लमडी (बेटी) लमडो (लड़को) से कम है क्या! जिस लड़के में ज़ोर (ताक़त) हो वो पंजा लड़ा ले.” 

वाजिदा हमें बताती हैं, “अब्बा ने मुझे बेटा ही समझा है. वो मुझे बेटा ही कहते है.” 

वाजिदा जिस कलंदर बिरादरी से आती हैं वो खेल-कूद व गाना गाकर मांगकर खाने के लिए जाना जाती है. यह लोग झोपड़ी डालकर सड़क के आस-पास इधर उधर जहां जगह मिल जाए, रह लेते हैं.

कलंदर बिरादरी के लोगों की भाषा और वाजिदा की बोलचाल में फ़र्क़ है. वाजिदा अपनी बातचीत में हिंदी-अंग्रेज़ी और उर्दू के शब्द बोल लेती हैं.

वो बताती हैं, जब कहीं जीतकर आती हूं तो स्कूल में मैडम लड़कियों के सामने माइक पर बोलने के कहती हैं. पढ़ रही हूं इसलिए थोड़ा बदलाव आया है, वरना अपनी बिरादरी की हर बातचीत मुझे आती है. वाजिदा मीरापुर के सुक्खन लाल आदर्श कन्या इंटर कॉलेज में पढ़ती हैं.

शिक्षक विनोद नागर कहते हैं कि “वो अद्भूत प्रतिभाशाली लडक़ी है. यह निःसन्देह विकासशील सोच है.”

वाजिदा अपने कलंदर जाति के लोगों के साथ मुझेड़ा गांव के बाहर झोपड़ी में रहती है. इस गांव के ही नसीम अहमद भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे हैं. वाजिदा कहती हैं, “मैं भी उनकी तरह आईएएस बनना चाहती हूं.” हालांकि यह अलग बात है कि इस पूरी बस्ती में कोई नहीं जानता आईएएस किसे कहते हैं. बबली (34) कहती हैं, “यो अफ़सर बनने को कहवे.”

वाजिदा आजकल पास के ज़िला बिजनौर स्टेडियम में अपनी खेलकूद के अभ्यास के लिए जाती हैं. क्योंकि यही स्टेडियम इसके गांव के क़रीब है.

वो बताती हैं, मेरे पास ना कोच है और ना अच्छी डाईट, मगर मैं हार नहीं मानने वाली. स्कूल में टीचर मुझसे सीख लेने के लिए लड़कियों को कहती हैं. मैं आपको बता नहीं सकती मुझे कितना गर्व होता है.

मुझेड़ा का मुजम्मिल हमें बताते हैं कि, “बहुत सुबह एक लड़की दौड़ लगाती रहती है. यह वही लड़की है.”

आफ़ताब आलम कहते हैं कि, “इस लड़की ने घर के खाने की खाली प्लेट फेंककर अभ्यास किया है.”

वाजिदा की अम्मी हमें उसके मैडल दिखाती हैं, जो उसने डिस्कस थ्रो और कुश्ती में जीते हैं. वाजिदा अभी मंडल चैम्पियन है. अगली बार राज्य स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेगी. सितारा खातून कहती हैं —‘एक दिन मेरी बेटी खेल-कूद में अच्छा प्रदर्शन कर कलन्दर जाति के साथ-साथ पूरे देश का नाम रोशन करेगी.’