शाहनवाज़ नज़ीर
गौरक्षकों की हिंसा के लिए बदनाम राजस्थान के अलवर ज़िले में एक बार फिर एक शख़्स अकबर ख़ान की गौतस्करी के शक़ में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई…28 साल के अकबर ख़ान हरियाणा के फ़िरोज़पुर झिरका वाले थे जो गुरुग्राम से सटे नूंह ज़िले का एक क़स्बा है. अकबर की हत्या की ख़बर उनके पिता सुलेमान को शनिवार की सुबह आठ बजे अलवर पुलिस से मिली. उन्होंने हत्यारों की गिरफ़्तारी की मांग की है ताकि उनके साथ इंसाफ़ हो सके.
इस हत्या की तफ़्तीश कर रही अलवर पुलिस के एएसपी अनिल बेनीवाल के मुताबिक शुक्रवार की रात लगभग 12 बजकर 50 मिनट पर पुलिस के पास फोन आया कि कुछ गौतस्करों को लोगों ने घेर रखा है और उनके साथ मारपीट की गई है. पुलिस जब मौक़े पर पहुंची तो वहां एक शख़्स ज़ख़्मी हालत में मिला और दो गायें भी थीं. और जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
जयपुर रेंज के आईजी हेमंत प्रियदर्शी ने इस हत्या पर कहा कि पुलिस ने दो संदिग्धों को मौक़े से हिरासत में लिया था और बाद में उनकी भूमिका उजागर होने पर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. उन्होंने ये भी कहा कि अन्य मुलज़िमों की धरपकड़ के लिए तफ़्तीश जारी है.
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पीट-पीटकर की गई हत्या पर ट्वीट कर इस वारदात की निंदा की है. उन्होंने राज्य के गृहमंत्री गुलाब कटारिया को निर्देश दिए हैं कि वो इस मामले की जल्द से जल्द छानबीन कर दोषियों को कड़ी सज़ा दिलाएं.
मगर ये वारदात अलवर के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में हुई है जहां के ज्ञानदेव आहूजा सत्ताधारी दल बीजेपी के विधायक हैं. उन्होंने अकबर की हत्या की जांच कर रही अलवर पुलिस की भूमिका को ही संदेहास्पद बना दिया है.
उन्होंने कहा है कि पुलिस जब मौक़े पर पहुंची तो अपना रौबदाब दिखाने के लिए उसने पब्लिक के सामने ही आरोपी गौतस्कर की पिटाई की और उसे तीन चार घंटे थाने में बंद रखा. आहूजा ने अपने ‘विश्वस्त सूत्रों’ के हवाले से दावा किया कि आरोपी गौतस्कर की थाने में भी पिटाई की और अस्पताल ले जाते वक़्त उसकी मौत हुई.
आहूजा ने आगे कहा कि चूंकि ये साफ़ नहीं है कि आरोपी गौतस्कर पुलिस के हाथों मरा या आम लोगों के, लिहाज़ा, इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए. आहूजा ने ये भी कहा कि सतनाम सिंह नाम के एक सरदार का पहले भी इस थाने में मर्डर हो चुका है जिसकी जांच चल रही है.
ज्ञानदेव आहूजा ने इस हत्याकांड में गिरफ़्तार दो लोगों को ग़लत तरीक़े से पकड़ने का आरोप लगाते हुए उन्हें रिहा करने की मांग की है….उन्होंने कहा कि पुलिस दो संदिग्धों को मौक़े से पकड़ने का दावा कर रही है, जोकि ग़लत है. आहूजा के मुताबिक पुलिस ने दोनों को गौतस्करों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर की तहरीर देने के लिए थाने बुलाया था और जब वे थाने पहुंचे तो उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया…
अकबर ख़ान गौतस्कर थे या नहीं, अलवर पुलिस इसकी जांच कर रही है. शुरुआती तफ्तीश के बाद अलवर के एएसपी अनिल बेनीवाल ने कहा है कि अकबर के गौतस्कर होने के सबूत नहीं मिले हैं.
अकबर ख़ान हरियाणा के फ़िरोज़पुर क़स्बे के रहने वाले मेव मुसलमान थे…उनकी हत्या के बाद से मेव समाज में ख़ासी नाराज़गी है…. अलवर की मेव पंचायत के अध्यक्ष शेर मुहम्मद ने बार-बार हो रही ऐसी हत्यायों के लिए राजस्थान सरकार से सवाल किया है. उन्होंने पूछा कि अगर क़ानून भीड़ के हाथ में सौंप देना है तो पुलिस का महकमा किसलिए है? थाने और ज़िले के पुलिस अधिकारियों को घर बिठा देना चाहिए. शेर मुहम्मद ने ये भी आरोप लगाया है कि सरकार की शह के बिना बार-बार ऐसी हत्याएं नहीं की जा सकतीं.
अकबर ख़ान की हत्या ऐसे समय में की गई है जब सुप्रीम कोर्ट ने गौरक्षकों और भीड़ की हिंसा पर सख़्ती दिखाई है. 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ऐसी हिंसा की रोकथाम, सुधार और पीड़ितों के लिए मुआवज़े के प्रावधान पर चार हफ्ते के भीतर राज्यों से रिपोर्ट तलब की है.
मौजूदा मानसून सत्र में जब कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने गौरक्षकों और भीड़ की हिंसा पर मोदी सरकार को घेरा तो गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे क़ानून व्यवस्था का मामला बताते हुए राज्यों को ज़िम्मेदार ठहराया लेकिन
अकबर ख़ान की हत्या बताती है कि अगर गौरक्षकों के हमले वाक़ई क़ानून व्यवस्था का मामला हैं तो राज्य सरकारें इस मोर्चे पर बुरी तरह नाकाम साबित हुई हैं. गौरक्षा के नाम पर हो रही हत्याएं बदस्तूर जारी हैं…