आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
ईद के त्यौहार पर वैसे तो गिले शिकवे दूर कर गले मिलने का रिवाज हैं लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार ईद के मौके पर आपसी लड़ाई झगडे इतने बढ़ गए कि पुलिस भी हैरान हो गयी.
ऐसा क्यूँ हो रहा हैं. क्या मुसलमानों में आपस में मोहब्बत बिलकुल ख़त्म हो गयी. लडाई भी ऐसी कि लाठी, डंडे, तलवार और गोलियाँ तक चली. बहुत जगह ईद की खुशियाँ खून खराबे की भेंट चढ़ गयी.
मुजफ्फरनगर पुलिस के मुताबिक पूरे जनपद में झगडे की 40 से ज्यादा सूचनाएं आई जिनमे डायल 100 को अलग से सूचना मिली.इनमे सबसे बड़ा झगड़ा खतौली के नंगला गांव में हुआ.यहां कब्रिस्तान में नमाज पढ़ने गये दो पक्षो में खूनी संघर्ष हो गया और दर्जनो लोग घायल हो गए .झगड़े की वजह कब्रिस्तान में रिजवान पक्ष को मुबारक पक्ष से गाली गलौच करना बताया गया.खतौली सीओ राजीव कुमार के मुताबिक दोनों पक्षो में पहले से रंजिश थी,कब्रिस्तान में एक दूसरे को देखकर कहासुनी हुई और उसके बाद खूनी संघर्ष हो गया.
मेरठ के लिसाड़ी गेट में एक ही पक्ष ने दूसरे पक्ष पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी,तमाशबीनों के मुताबिक लगभग 100 राऊंड गोलियां चली.मेरठ के एक कस्बे लावड़ में मुसलमानो की कुरेशी बिरादरी में आपस मे ही झगड़ा हो गया.मीरापुर के गांव मुझेड़ा में दो सगे साडु ने एक दूसरे को तलवार से काट दिया. छपार में भी मुसलमानो के दो पक्षो में ईद की नमाज़ के बाद झगड़ा हो गया और शेरदीन,दीनमोहम्मद और शान मोहम्मद घायल हो गए .
इन सभी झगड़ो में गहराई से पड़ताल करने पर पता चला कि यह सब आपसी रंजिश के आधार पर हुए और सबसे ज्यादा झगड़े मेरठ और मुजफ्फनगर में हुए.गौरतलब है कि ईद पर अक्सर रंजिशें खत्म हो जाया करती है मगर इस बार बढ़ती दिखाई दी.
पिछले 33 साल से पुलिस सेवा दे रहे डिप्टी एसपी एसकेएस प्रताप कहते हैं कि”उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान ईद पर हो रहे इतने झगडे कभी नहीं देखे है इसी तरह के झगड़े पहले होली पर होते थे मगर ईद पर कभी समस्या नही आई पिछले कुछ सालों से यह बढ़ गए और इस बार बहुत ज्यादा हुए है ज़ाहिर स्थानीय स्तर पर गुटबाज़ी बढ़ गई है.”
बुजुर्ग शमशुदीन (75) ने बताया कि पहले ईदगाह में इमाम साहब ने तक़रीर करते हुए कुछ रंजिशों को खत्म कराकर उन्हें ईदगाह में हजारो लोगो के सामने ही गले मिलवाकर गिले शिकवे कराते थे. पिछले दस साल उन्होंने ऐसा नही देखा जबकि बाद हालात बहुत बदल गए मुसलमानो के हालात और भी नाजुक हो गए मगर दुर्भाग्यशाली रूप से रंजिशें और भी गहरी हो गई और झगड़ने के नए कारण पैदा हो गए.
यह सभी झगड़े आपसी है. कुछ जगह पर एक जाति के लोगो ने दूसरी जाति के लोगों को पीट दिया और मामलो में पड़ोसी ,रिश्तेदार ही आपस मे भिड़ गए कहीं कहीं एक ही परिवार में भी झगड़ा हुआ.इन सभी झगड़ो की शिकायत पुलिस से की गई इसलिए इनकी एक निश्चित संख्या बताई जा रही है जिन मामलों में पुलिस का दखल नही हुआ उनको हम नही गिन रहे है.
जहाँ यह झगडे हुए उनमे आसपास का देहात मुझेड़ा कैथोड़ा और रसूलपुर भी है ज़ाहिर है झगड़े से प्रभावित हुए लोगो मे ईद की खुशी काफ़ूर हो गयी उनके यहां कोई मिलने नही आया और वो कहीं नही जा पाए. मीरापुर के एक मौहल्ले बेरी बाग़ में एक ही दिन में चार बार बवाल हुआ जहां समूहों में हुए हमले के कारण ईद पर दहशत तारी रही और लोगो ने अपने दरवाजे बंद रखे. रात में यहां अघोषित कर्फ़्यू जैसा माहौल रहा.
अक्सर ईद के दिन पुलिस प्रशासन मुस्लिमो के बीच जाकर उन्हें ईद के बधाइयां देता रहा है मगर इस बार उसे झगड़ो से ही फुरसत नही मिली. पहले भी त्यौहार पर अक्सर इस तरह के झगड़े सामने आते रहते हैं मगर ईद पर ऐसा न का बराबर होता है.
शहर काजी जफरुलइस्लाम ने बताया कि”घर के बाहर काम कर रहे जवान लड़के अपने घर लौटते है जहां उन्हें पुरानी शिकायते मिलती है चूंकि वो कुछ पैसा कमाकर भी लाते हैं इसलिए थोड़ी बहुत गर्मी रहती है दुःख की बात यह है कि छोटी -छोटी रंजिशें अब हिंसक हो रही है और कोई समूह मुसलमानो में सुलह की गुंजाइश पर काम नहीं करता.लोगों में बर्दाश्त की हद टूट रही है उनमें आपसी मेलमिलाप की कमी है.
हकीकत यह है कि ज़मीनी स्तर पर मुसलमान बुरी तरह एक दूसरे से उलझे है और इसके लिए गली मोहल्लों में पैदा हुए कथित नेतागण जिम्मेदार है.यहां जातीय गुटबाजी बहुत बढ़ गई है और संख्या में ज्यादा वाली बिरादरी कम वाली बिरादरी के विरुद्ध बुरा बर्ताव कर रही है.सीधे तौर पर यह बात तकलीफ देती है मुसलमानो की बस्तियों को गौर से देखिए तो यह बात समझ मे आएगी एक बिरादरी के प्रभुत्व वाले इलाके में दूसरी संख्या में वाली बिरादरी रहना नही चाहती बिरादियो के अपने मौहल्ले और अपने गुट बन गए है.
जैसे दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से सहारनपुर में कुछ मोहल्लो के नाम है “राँघड़ो वाला पुल” बंजारों वाली गली ,कसाईबाड़ा और मोहल्ला क़ाज़ी.इस तरह से इबादतगाहो के भी नाम है.ज़ाहिर है मुसलमानो के अंदरूनी हालात बिगड़ गए हैं.ईद पर अक्सर मुसलमान कब्रिस्तान में फातिहा पढ़ने जाते हैं और मुर्दा दफ़न किये गए नई कब्र के स्थान को लेकर झगड़ा हो जाता है इस बार भी कई जगह ऐसा होने की खबर है।
अक्सर मुसलमानो के नेता मुसलमानो के बीच आपसी रंजिश और गुटबाजी से पैदा हो रहे इस तरह के हालात पर सुलह सफाई पर काम नही करते उनके ऐसा न करने वजह हमे समाजसेवी आरिफ अहमद बताते है वो कहते है “वो खुद चाहते है लोग आपस मे उलझे रहे और उनकी वर्चस्वता बरकरार रहे उनकी चौखट का सलाम यहीं से निकलता है ईद पर हो रहे झगड़े लंबे समय के गुबार को बाहर निकलने की वजह से हो रहे हैं.