आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
सहारनपुर : सहारनपुर में इस बार दलितों ने होली नहीं मनाई. इसके लिए भीम आर्मी ने मुहिम चलाया था. इस मुहिम की दलितों से बाहर किसी को ख़बर नहीं लगी.
होलिका दहन वाले दिन दलित महिलाएं पूजा करने नहीं पहुंची तो वहीं अगले दिन किसी ने किसी को भी रंग या गुलाल भी नहीं लगाया. दलित बहुल गांवों में होली त्योहार का पूरी तरह से बहिष्कार किया गया. ख़ास तौर पर घड़कौली, लड़वा, रामनगर, लखनोती जैसे दलित बहुल गांवों में इसका ज़ोर रहा. दलितों के घर जला जाने को लेकर चर्चित रहे गांव शब्बीरपुर में भी दलितों ने खुद को होलिका दहन और रंग खेलने से अलग रखा.
दरअसल, ये भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए अपील का असर था.
TwoCircles.net से बातचीत में भीम आर्मी के ज़िला अध्यक्ष कमल सिंह वालिया ने बताया कि इसके लिए उन्होंने समाज को कुछ नहीं कहा, बल्कि समाज के लोगों ने खुद हमसे कहा कि हम इस बार होली नहीं मनाएंगे.
बता दें कि इस बार सहारनपुर के बाज़ार भी सुने रहे, क्योंकि दलितों ने होली से जुड़ी ख़रीदारी नहीं की.
कमल सिंह कहते हैं कि, दलितों को खुद ही लग रहा है कि उनके साथ जाति के आधार पर भेदभाव हो रहा है और चन्द्रशेखर भाई के ख़िलाफ़ रासुका को लेकर हुई ज़्यादती से यहां हर दलित परिवार दुखी है. घर-घर में यह बात होती है और हमने उनके लिए त्योहार मनाने का बहिष्कार किया है.
वो आगे बताते हैं कि, उनकी माता ने दिन में सभी महिलाओं से कहा कि वो होली पूजन नहीं करेंगी, क्योंकि समाज का बेटा अन्यायपूर्ण तरीक़े से जेल में है और सरकार दलितों का दमन कर रही है. बस इतना कहना था कि हर दलित महिला ने उनका साथ दिया.
कमल वालिया की मां कांति देवी भीम आर्मी के लगभग हर एक कार्यक्रम में आगे बढ़कर भाग लेती हैं. वो बता रही हैं कि उनका बेटा कमल 6 महीने में जेल से बाहर आया है, मगर चंद्रशेखर के लिए तड़प अब भी उतनी ही है. जब तक वो जेल में है हम कोई त्योहार नहीं बना सकते. वैसे भी यह त्योहार मनुवादियों के थोपे हुए हैं. कोई हमें बताए हम पर ये अत्यचार क्यों हो रहा है.
चंद्रशेखर के भाई भगत सिंह के मुताबिक़, छुटमलपुर के आसपास के कई गांवों में दलितों ने होली नहीं मनाई. वो हमसे कहते हैं कि हमारे लोगों ने दीवाली का भी इसी तरह बहिष्कार किया था. जब दिल ही खुश न हो तो त्योहार की खुशी का क्या मतलब है.
घड़कौली, लड़वा और लखनोती में भी गुलाल नहीं उड़ाया गया है. बॉबी हमसे पूछते हैं, हमें गुलाल क्यों उड़ाना चाहिए. हम सम्मान से जीना चाहते हैं तो हमें कुचला जा रहा है. अब होली-दीवाली हम नहीं मना सकते.
भीम आर्मी के कार्यकर्ता सन्नी गौतम कहते हैं, जो लोग हमें अपना नहीं समझते, हमने उन्हें अपना समझना बंद कर दिया है. अब उनके त्योहारों का बोझ हम नहीं उठा सकते.