‘गाय को मां बताने वालों के लिए दलित मां की क्या इज़्ज़त है, बलिया में रेशमी की मौत गवाह है’

रेशमी देवी की बेटी से पूछताछ करते एसपी अनिल कुमार

TwoCircles.net News Desk

लखनऊ : बलिया में सूदखोरों द्वारा ज़िन्दा जलाई गई दलित महिला रेशमी की मृत्य के बाद गांव में संघर्ष जारी है. गांव के लोग अपनी मांगों के साथ खड़े हैं. लेकिन योगी सरकार आरएएफ़ जैसी अर्ध-सैनिक बल लगाकर जनता को कुचलने पर आमादा है.


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इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश की सामाजिक व राजनीतिक संगठन ‘रिहाई मंच’ ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है, योगी सरकार में बलिया ज़िलाधिकारी का सामंतों द्वारा ज़िन्दा जलाई गई दलित महिला की मौत के बाद भी उनके गांव न जाना साबित करता है कि सभी घटना में संलिप्त हैं.

रिहाई मंच ने कहा कि सीएम योगी को दलित महिला की ज़िन्दा जलाकर की गई हत्या, हत्या नहीं दिखती. क्योंकि हत्यारे उनकी ही जाति के हैं.

मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दंगाइयों को शहीद बताकर चेक बांटने वाले योगी को बलिया की दलित महिला को ज़िन्दा जलाने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. 

उन्होंने कहा कि गाय को मां बताने वालों के लिए दलित माताओं की क्या इज़्ज़त है, बलिया की ये घटना गवाह है. जिसके हत्यारे को भाजपा मंत्री उपेंद्र तिवारी ने संरक्षण दिया है और सरकार अपराध मुक्त प्रदेश का दावा कर रही है. हमलावर ठाकुर जाति के हैं और पीड़िता दलित समुदाय से संबद्ध हैं. अभी तक मुख्य अभियुक्त गुड्डू सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई है. भाजपा सरकार में मंत्री उपेंद्र तिवारी और स्थानीय भाजपा विधायक अपराधियों का संरक्षण कर रहे हैं.

राजीव यादव ने कहा कि, पीड़ित परिवार को पुलिस प्रशासन द्वारा आश्वासन दिया गया था कि 24 घंटे के अंदर अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा, लेकिन अभी तक केवल दो अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है और मुख्य अभियुक्त को सरकारी दबाव के चलते जानबूझकर गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है.

राजीव यादव के मुताबिक़ पीड़ित परिवार पर मुक़दमा वापस लेने का लगातार दबाव बनाया जा रहा था. पहले वाले हमले के दौरान ही अगर पुलिस प्रशासन ने उचित कार्रवाई की होती तो अपराधियों ने इस तरह का दुस्साहस नहीं किया होता. बलिया की इंसाफ़ पसंद अवाम की मांग की जब तक हत्यारे गुड्डू सिंह की गिरफ्तारी, पीड़ित दलित परिवार को 50 लाख रुपये, नौकरी, दो एकड़ ज़मीन और सूदखोरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं होती लाश नहीं उठेगी.

ग़ौरतलब है कि सूदखोरों की 9 मार्च को कोर्ट में पेशी होने वाली थी. 8 मार्च की मध्य रात्रि में गुड्डू सिंह के भाई सत्यम सिंह और उनके साथ बहुत सारे लोग आए थे. वो लोग चाहते थे कि रेशमी कोर्ट में जाकर गवाही न दे. लेकिन रेशमी ने धमकी देने पर कहा कि कोर्ट जाऊंगी और दोषियों को सज़ा दिलवाऊंगी. उसके बाद वो लोग गुस्से में आकर उनके ऊपर तेल फेंक दिया और फिर आग लगा दी. इस दौरान हमलावरों ने पीड़िता की बच्चियों के साथ मारपीट भी की. हत्यारोपी गुड्डू सिंह लगातार सूद वसूल रहा था. जबकि पैसा दिया जा चुका था. बावजूद इसके उनके लोग घर पर आकर अक्सर धमकाते रहते थे. साल भर पहले भी गुड्डू सिंह ने मारपीट की थी. साथ ही जलाने के अलावा घर फूंकने की कोशिश की थी. उन लोगों ने घर में आग लगा दी थी, लेकिन लोगों ने मिलकर बुझा दिया था. इस घटना के बाद एफ़आईआर भी दर्ज हुआ, जिसका मुक़दमा भी चल रहा है.

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