Home Lead Story फॉस्फेटिक खाद के दाम में इज़ाफ़ा, किसान परेशान

फॉस्फेटिक खाद के दाम में इज़ाफ़ा, किसान परेशान

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

बेतिया/मोतिहारी : चम्पारण के किसान अभी बाढ़ के त्रासदी व बर्बादी से पूरी तरह उभर भी नहीं पाए थे कि उर्वरक कंपनियों ने उन्हें लूटना शुरू कर दिया है.

उर्वरक कम्पनियों के इस ‘लूट’ से पश्चिमी व पूर्वी दोनों चम्पारण के किसान परेशान हो उठे हैं. इनका कहना है कि सरकार को जहां हम सबकी मदद करनी चाहिए थी, वहीं खेती-किसानी से संबंधित तमाम चीज़ों के दाम में लगातार बढ़ोत्तरी कर रही है. ऐसे में हम क्या करें. अब अच्छी फ़सल तैयार करना हम किसानों के लिए टेढ़ी खीर होती जा रही है.

बेतिया से क़रीब गुरूवलिया गांव में विजय दूबे बताते हैं कि, मुझे याद है कि साल 2011 में डीएपी 480 में आता था. फिर उसी वक़्त उसका दाम बढ़ाकर क़रीब 700 रूपये कर दिया गया था. 3-4 साल पहले तक हम डीएपी 700-800 रूपये में लाते थे, अब वही बाज़ार में 1200 रूपये का है. पता नहीं सरकार क्या चाहती है.

नरकटियागंज के एक किसान विनय कुमार का कहना है कि,  किसानी अब ‘आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया’ वाली कहावत से भी बदतर है. हम जितना पैसा लगाकर अनाज पैदा कर रहे हैं, बाज़ार में उसका आधा भी नहीं मिल पा रहा है, जबकि शहरों में वही अनाज व सब्ज़ियों के दाम में आग लगी हुई है. इस सरकार ने पूरे देश के किसानों की कमर तोड़ दी है. अगर यही हाल रहा है तो शायद ही अब कोई किसान बनना चाहेगा. खेती करना चाहेगा. इससे तो अच्छा है कि शहरों में जाकर मज़दूरी कर लें. पकौड़े बेच लें. ये कहते हुए विनय हंसने लगते हैं.

पूर्वी चम्पारण में किसान मामलों के जानकार व वरिष्ठ पत्रकार अक़ील मुश्ताक़ कहते हैं कि, चम्पारण के किसान एक तरफ़ लगातार क़ुदरती मार झेल रहे हैं, दूसरी तरफ़ सरकार भी इन्हें मारने पर तुली हुई है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो जल्द ही चम्पारण में भी विदर्भ जैसे हालात देखने को मिलने लगेंगे. अब किसान यहां आत्महत्या करने को मजबूर हैं.

पूर्वी चम्पारण के मोतिहारी में किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष हरदियाल कुशवाहा के मुताबिक़ फॉस्फेटिक खाद के दाम में वृद्धि किया जाना किसानों के साथ अन्याय है. पहले ही से रसायनिक खाद के दामों में बढ़ोत्तरी की गई थी, और अब फिर इनके दामों में बेतहाशा वृद्धि से किसानों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है.

वो कहते हैं कि सरकार इस ओर जल्द से जल्द ध्यान दे. फॉस्फेटिक खाद के काम में कमी का ऐलान करे. अगर दाम कम नहीं किए गए तो किसान संघर्ष समिति आन्दोलन चलाने के लिए बाध्य होगी.

बता दें कि फॉस्फेटिक खादों के दाम में बढ़ोत्तरी से किसानों के जेब पर अचानक बोझ बढ़ गया है. जो डीएपी की क़ीमत 1073 थी, अब वो फरवरी महीने से 1200 रूपये की है. यानी अचानक से इसमें 127 रूपये का इज़ाफ़ा कर दिया गया है. 20:20:0 का पहले दाम 850 रूपये प्रति बोरा था, लेकिन अब 930 रूपये की है. वहीं 12:32:16 पहले प्रति बोरी 1050 रूपये था, लेकिन अब बढ़कर 1150 रूपये हो गया है.

बात यहीं ख़त्म नहीं होती. बिहार सरकार के कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी गजट भी किसानों के लिए चिंता का सबब है. मंत्रालय ने ऐलान किया है कि यूरिया अब 50 किलो के बजाए पैकिंग में 45 किलो ही मिलेगी. ये नियम अप्रैल महीने से लागू कर दिया जाएगा.

यही नहीं, डीलरों को अब इस बात की छूट भी दे दी गई है कि वो अलग-अलग पैकिंग कर अपने हिसाब से किसानों को यूरिया बेच सकते हैं और साथ में अपना पैकिंग चार्ज भी वसूल कर सकते हैं. बता दें कि अब 45 किलो पैक का सामान्य यूरिया (46 प्रतिशत) खाद का मूल्य 242 रूपये तो वहीं 45 किलो पैक का नीम कोटेड यूरिया 266 रूपये की दर से मिलेगी. इस पर राज्य सरकार का टैक्स अलग से लगेगा.

इस बीच केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन ने पटना के गांधी मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम में बयान दिया है कि कृषि व किसानों के लिए जो कार्य पिछले 70 सालों में नहीं हुई वो पिछले तीन सालों में की गई है.  2022 तक देश के किसान मज़बूत हो जाएंगे. किसानों की आय को दोगुना करने को लेकर कृषि लागत खर्च को घटाया जाएगा. राधा मोहन सिंह पूर्वी चम्पारण के सांसद हैं.