एएमयू के ‘जिन्ना के जिन्न’ से निकली आग की लपटें अब दिल्ली में भी…

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

नई दिल्ली : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के ‘जिन्ना के जिन्न’ से निकली आग की लपटें अब दिल्ली भी पहुंच चुकी हैं. जहां एक ओर जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया पर भी लाखों लोग एएमयू के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं. 


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दिल्ली का जामिया मिल्लिया इस्लामिया आज आज़ादी के नारों से गूंज उठा. ‘बीजेपी से आज़ादी, आरआरएस से आज़ादी, हिन्दू युवा वाहिनी से आज़ादी, बजरंग दल से आज़ादी, मनुवाद से आज़ादी, आतंकवाद से आज़ादी…’ जैसे नारे खूब लगे. साथ ही जामिया के छात्रों ने ये खुलकर पैग़ाम दे दिया कि इस मुश्किल घड़ी में हम हर तरह से एएमयू के साथ हैं.

जामिया स्टूडेन्ट फोरम के कन्वेनर मीरान हैदर ने कहा कि, जामिया हमेशा से ज़ुल्म के ख़िलाफ़ रहा है. जब भी किसी पर ज़ुल्म होगा, हम आवाज़ उठाएंगे. हिन्दू युवा वाहिनी और संघी यूपी पुलिस ने मिलकर जिस तरह से एएमयू की पहचान और उसके छात्रों पर हमला किया गया है, उसके लिए उन्हें कभी माफ़ नहीं किया जाएगा.

जामिया के हज़ारों छात्र विरोध-प्रदर्शन करते हुए आज शाम जामिया की सड़कों पर उतरे. इस विरोध-प्रदर्शन की शुरूआत जामिया के एम.ए. अंसारी ऑडिटोरियम से हुई.

वहीं दिल्ली में कल, यानी 4 मई को दिन के 3 बजे ‘युनाइटेड अगेंस्ट हेट’ ने चाणक्यपूरी स्थित यूपी भवन को घेरने का ऐलान किया है. जल्द ही जेएनयू इसे लेकर एक बड़े विरोध-प्रदर्शन की घोषणा करने की सोच रहा है.

जेएनयू छात्र नेता उमर ख़ालिद ने TwoCircles.net से बातचीत करते हुए कहा कि, संघ परिवार को एक बहुत करारा आइडियोलॉजिकल चैलेंज छात्रों की ओर से मिल रहा है. इसलिए वो इस क़िस्म के हमले कर रहा है. पहले जेएनयू को टारगेट किया, अब एएमयू में शाखा लगाने की बात कर रही है, जिसका विरोध हुआ तो अब हिंसा के बलबूते वो वहां घुसने की कोशिश कर रही है.

वो आगे कहते हैं कि, यूनिवर्सिटी पर हमला करने के लिए इनके पास पूरी स्क्रिप्ट तैयार है. पहले आप हमला कीजिए, फिर उसके बाद एक कहानी बनाईए ताकि जो असल मुद्दा है, उस पर डिबेट न हो, किसी और चीज़ पर हो.

वहीं जेएनयू के ही प्रोफ़ेसर एस.एन. मालाकार कहते हैं कि, एएमयू पर सवाल खड़ा करने से पहले बीजेपी को अपने नेता लाल कृष्ण आडवानी को पार्टी से निकालना चाहिए. और उनसे सवाल पूछा जाना चाहिए कि वो पाकिस्तान में जिन्ना की मज़ार पर क्यों गए थे.

एएमयू में इतिहास के प्रोफ़ेसर मोहम्मद सज्जाद TwoCircles.net से बातचीत में बताते हैं कि, योगी सरकार के पुलिस-प्रशासन ने पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की सुरक्षा से न सिर्फ़ समझौता किया, बल्कि हिन्दूत्ववादी संगठनों को पूरी छूट दी कि वो कैम्पस के अंदर दाख़िल होकर छात्रों पर हमला करें. जब छात्रों ने मांग रखी कि उन पर कार्रवाई की जाए, एफ़आईआर दर्ज की जाए. और जब पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज नहीं किया तो इस सवाल को छात्रों ने उठाया. उनके सवाल का जवाब देने के बजाए उल्टे छात्रों पर लाठियां बरसाई गई. ये लाठी और आंसू गैस हिन्दुत्ववादी लड़कों पर क्यों नहीं, आख़िर हामिद अंसारी की सुरक्षा का ध्यान क्यों नहीं रखा गया.

बता दें कि एएमयू में हुए हंगामे को लेकर पुलिस ने खुद एएमयू छात्र संघ अध्यक्ष समेत कई पदाधिकारियों को नामज़द करते हुए 300 अज्ञात छात्रों के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज कराया है. वहीं एएमयू के सुरक्षाकर्मी ने भी हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कराया है. इसके विपरित हिन्दू जागरण मंच के महानगर अध्यक्ष ने भी एएमयू के सुरक्षाकर्मी व छात्रों के ख़िलाफ़ तहरीर दी है.

इस मामले को लेकर दिल्ली का एएमयू ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन भी काफ़ी गुस्से में नज़र आ रहा है. इसके अध्यक्ष एडवोकेट इरशाद अहमद ने साफ़ शब्दों में कहा है कि, छात्रों पर पुलिस का ज़ुल्म किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस मुद्दे को लेकर वो और उनकी पूरी टीम कल गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात करेगी और पुलिस के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग रखेगी. 

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग एएमयू के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं. यहां #WeStandWithAMU पर ख़ूब लिखा जा रहा है और वहीं सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट करके सवाल खड़ा किया है कि, आख़िर यूपी पुलिस ने भगवा गुंडों को एएमयू के अंदर कैसे आने दिया? क्या एएमयू भगवाधारियों की जागीर है? पुलिस की मंशा क्या थी? गुंडों को पकड़ने के बाद क्यों छोड़ा? बजाए गुंडों पर ज़ोर आज़माने के छात्रों पर क्यों लाठी चार्ज और गोलियां चलाई? जवाब चाहिए.

वहीं फेसबुक पर मक़सूद खान नाम के एक युवक ने लिखा है, ‘अपनी अम्मा के लिए पाकिस्तान से आई साड़ी क़बूल है. लेकिन जिन्नाह की 1938 की लगी तस्वीर जो इतिहास का हिस्सा है, उस पर आपत्ति!’

इसी फेसबुक पर तारिक़ अनवर चम्पारणी ने लिखा है कि, उनका हमला हामिद अंसारी पर नहीं था. जिन्ना की तस्वीर को लेकर नहीं था. उनका हमला सर सैय्यद के चमन पर था. हां, उस चमन पर हमला था, जिसके बारे में मजाज़ ने लिखा था “जो अबर यहाँ से उठेगा, वो सारे जहाँ पर बरसेगा…” यह बादल सिर्फ़ शायर का एक तसव्वुर नहीं था, बल्कि एक हक़ीक़त है… एएमयू और जामिया उनकी नज़र में चुभता है. उनकी असल छटपटाहट मुसलमानों के पढ़े-लिखे हो जाने से है.

तनू अरोड़ा ने लिखा है कि जब-जब उन्होंने हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश की है, तब-तब हम और मज़बूत हुए हैं.

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