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जातिवाद के विनाश बिना देश का लोकतंत्र कमज़ोर: उर्मिलेश

TCN News

“हम देश को लोकतान्त्रिक राज्य तो कहते हैं पर सहभागी लोकतांत्रिक व्यवहारों से परहेज करते हैं. देश नागरिक सामान्य तौर पर आधार को नहीं चाहता, पर शासक वर्ग चाहता है, इसलिए हम इसे मानने को मजबूर हैं. क्यों नहीं हम जनमत कराना चाहते हैं? क्या लोकतांत्रिक मूल्यों की जड़ें इतनी कमजोर हैं कि जनमत संग्रह के कारण कमजोर हो जायेंगी?”

ये वक्तव्य वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की हैं. जिन्होंने इप्टा प्लैटिनम जुबली व्याख्यान-3 के तहत ‘लोकतंत्र का भारतीय माॅडल, संस्कृति और मीडिया’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहीं. शिक्षाविद् प्रो0 विनय कुमार कंठ की स्मृति में आयोजित किया गया.

उर्मिलेश ने कार्यकम अपनी बात रखते हुए कहा, “जब हिन्दुस्तान आज़ाद हो रहा था और आज़ादी के बाद भी एक साथ चार-पाँच माॅडल विमर्श में थें. पहला माॅडल गाँधी-नेहरू का था, दूसरा वामपंथियों का था, तीसरा भगत सिंह और उनके साथियों, चौथा अम्बेदकर का था. दुर्भाग्य से एक आईडिया आॅफ इंडिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी है, जो कहीं से भी आज़ादी की लड़ाई का हिस्सा नहीं था. इसलिए हमें यह जरूर सोचना चाहिए कि कौन सा आईडिया आॅफ इंडिया खतरे में है?”

उन्होंने आगे कहा कि, “संविधान के आने बाद भी लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन हुआ, 1950 में कश्मीर में शेख अब्दुल्ला की सरकार और 1953 में केरल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार. इन सरकारों को बर्खास्त करने का एकमात्र कारण था, भूमि सुधार और गैर बराबरी समाप्त करने की पहल. अम्बेदकर को सही अर्थों में लिया और गैर बराबरी को बढ़ाने का काम किया। इस कारण हमारा लोकतंत्र किताबों तक सीमित रहा और आम लोगों से दूर. इसलिए जरूरी है कि गैर बराबरी, जातिय असमानता का विनाश किये बगैर लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता.”

इसी दौरान उर्मिलेश ने कांग्रेस के बारे ने भी अपने कहा कि कांग्रेस की लम्बे समय तक सरकार बनी रहने के बाद भी अपने एजेंडे को लागू नहीं करा पाये. मज़दूरों और औरतों के लिए काम तो किया पर भारत के जातियों के विनाश के लिए ठोस पहल नहीं कर पायें.”

संस्कृति मुद्दों पर अपनी बात रखते हुए उर्मिलेश ने कहा कि आज केन्द्र और 10 राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं यह हिन्दुत्व ब्राह्मणवादी वैचारिकता की देन है। हिन्दुत्व ने हमें हिंसक बना दिया है, हिन्दुत्व ने सांस्कृतिक बबर्रता का मजबूत किया है, जो अलग अलग घटनाओ में सामने आ रही है.

ये ही नहीं मीडिया की आलोचना करते हुए उर्मिलेश ने कहा कि मीडिया मुख्य धारा में शामिल होने के बाद भी ये मीडिया एंटी सोशल कन्टेंट परोसने में लगा है. उन्होने कहा कि आज का मीडिया भारत के राजनीतिज्ञों से ज्यादा एक्सपोज्ड है. मीडिया द्वारा जातिवादी, ब्रह्मणवाद की असमानता जारी रखना हमारे देश को अंधेरे में ले जायेगी.

बताते चले की कार्यकम की शुरूआत में इप्टा की नूतन तनवीर, केया राय, राहूल और सूरज ने इंकलाब गीत के गायन से की। उसके बाद सीताराम सिंह ने कफी आज़मी की नज़्म दूसरा बनवास का गायन किया.