बिहार: सुविधाओं जद्दोजहद से जूझते 56 गांव के लोगों ने किया 2019 का चुनावी बहिष्कार का ऐलान

नन्हक यादव का परिवार (Photo: Fahmina Hussain/ TwoCircles.net)

फ़हमीना हुसैन, TwoCircles.net

बिहार में जैसे जैसे लोकसभा चुनाव की आहात सुनाई पढ़ रही हैं वैसे ही लोग भी सियासी करवट बदल रहे हैं. बिहार के मधुबनी जिला में आने वाला भूतही बलान क्षेत्र के करीब 56 गाँव के लोग 2019 चुनाव के मतदान का बहिष्कार करने का एलान कर दिए हैं.


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हालांकि ये बहुत जल्दी हैं और आमतौर पर ऐसे एलान सिर्फ सर्कार का ध्यान खीचने और मीडिया में सुर्खी पाने के लिए ही होते हैं.

बिहार का ये क्षेत्र अपने सभी मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर है जहाँ आने के बाद  केंद्र और राज्य सरकार के ऊपर कई सवाल खड़े होना लाज़मी है। इससे पहले ग्रामीण प्रशासन को चेतावनी दे चुके थे लेकिन उसे प्रशासन ने संजीदगी से नही लिया जिसका परिणामआखिरकार चुनाव बहिष्कार के  रूप मे सामने आया.

दरअसल बिहार का भूतही बलान में आने वाले सभी गांव बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में आते हैं जहाँ बरसात के मौसम में नदी से पानी का स्तर बढ़ते ही पूरा इलाका भयंकर तबाही का सामना करने पर मज़बूर हो जाता है। हालत ये हो जाते हैं कि लोगों के घरों में कई दिनों तकचूल्हा तक नहीं जलता। यहाँ तक की अपना घर छोड़ कर पास के ऊँचे इलाके में जाना पड़ता है।

झंझारपुर के निचले इलाके की बात करें तो सरकार की कई योजनाएं अधूरी पड़ी हैं और कुछ मन के मुताबिक बंद कर दी गई हैं। भूपेंद्र कुमार (29) बताते हैं कि, यहाँ के लोगों की मुख्य मांग नदी के दोनों तरफ ऊँचा बांध बना दिया जाना है। अगर ये मांग मान लीजाती है तो हर साल बाढ़ से होने वाली जान-माल की हानि से क्षेत्रीय लोगों को राहत मिल जायगी।

उन्होंने बताया कि इस बारे में सरकारी मुख्यालय से लेकर, अधिकारीयों, जनप्रतिनिधियों को कई बार पत्र लिखा जा चुका है लेकिन इन समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। उन्होंने बताया की इस क्षेत्र से केंद्र मंत्री और राज्यपाल तक बने लेकिन क्षेत्र की समस्याओं पर किसी ने ध्यान तक नहीं दिया।

गांव के बाहर खेलते बच्चे (Photo: Fahmina Hussain/ TwoCircles.net)

वहीँ इस मामले में 30 वर्षीय आलोक कुंवर ने बताया कि इस क्षेत्र के पूर्व प्रतिनिधि मंगनीलाल मंडल और सुरेंद्र यादव को इस क्षेत्र की जनता ने इसलिए वोट किया कि यहाँ की समस्याओं से बखूबी वाकिफ हैं इन से बेहतर कोई इस क्षेत्र की समस्याओं को नहीं समझसकता। इन दोनों प्रतिनिधियों के घर भी बाढ़ से दो बार ग्रस्त हो चुकें हैं।

उन्होंने बताया कि ये कोई एक बार का नहीं है हम हर बार इस उम्मीद में वोट देतें हैं कि हमारी समस्याओं को समझा जायगा लेकिन सभी ने अपनी-अपनी राजनितिक रोटी सेंकने का काम किया है।

यहाँ के स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब यहाँ के वोट का कोई महत्व ही नहीं तो फिर वोट डाल कर क्या करेगें। यहाँ की जनता ने क्षेत्र के अंदर 2019 के आम चुनाव को लेकर किसी भी राजनितिक पार्टियों को प्रचार-प्रसार और किसी भी तरह की चुनावी सभाएंनहीं करने देने की चेतावनी दी है।

दरअसल गांव आजादी के बाद से ही उपेक्षित है इस गांव मे अब तक पक्की सड़क नही बनी है। लोगों को पगडंडियो से होकर गुजरना पड़ता है। बरसात के दिनों मे तो यह गांव एक तरह से मुख्य धारा से कट जाता है। वहीं अन्य भूलभूत सुविधाओं के  लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है।

गाँव के 43 वर्षीय नन्हक यादव कहते हैं कि तीन साल पहले बरसात की आपदा के दौरान उनकी एक 12 वर्षीय बेटी आरती, और 4 वर्षीय पोता मंटू का देहांत हो गया था। बरसात से आने-जाने के सारे रास्ते घ्वस्त हो गए थें। उस वक़्त बीमारी में ना तो कोई डॉक्टर गांवआने को तैयार था और ना अस्पताल जा सकते का रास्ता। ऐसे में हम और हमारा    परिवार कुछ नहीं कर पाए।

पुलपरास गांव के रहने वाले शंकर किसान हैं वो बताते हैं कि यहाँ स्वास्थ्य व्यवस्था की बहुत परेशानियां हैं। वक़्त पर इलाज़ के आभाव में कितने लोग दम तोड़ चुके हैं। उन्होंने आगे बताया कि बाढ़ के पानी से फसल हर बार बर्बाद हो जाती है। अगर फसल कटनी केबाद बच भी जाती है वो पानी और नमी लगने से सड़ जाती है। ऐसे हालत में खुद का और परिवार का पेट पलना क्या होता है ये हम लोग सहते हैं।

मुखिया सभा आयोजन की तस्वीर (Photo: Fahmina Hussain/ TwoCircles.net)

दरअसल पिछले हफ्ते 56 गांव की जनता शनिवार को प्रखंड क्षेत्र के सुड़ियाही दुर्गा स्थान में आमसभा का आयोजन भी कर चुकी है। इस आयोजन में शामिल लोगों ने कहा कि आजादी के बाद अब तक इस क्षेत्र में कोई समुचित विकास कार्य नहीं करने का आरोप लगाया हैं। साथ ही 18 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान  दिल्ली के संसद मार्ग पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन की बात कही है।

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