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इन दिनों उत्तर प्रदेश में सुनियोजित तरह से सामुदायिक हिंसा भड़काने के आए दिन मामले सामने आ रहें हैं। इन्ही घटनाओं को लेकर बहराइच के रिसिया कस्बे में प्रतिमा और वंदेमातरम के नाम पर भड़के तनाव को योगी सरकार की सुनियोजित साजिश का हिस्सा होने की बात रिहाई मंच ने करार दिया है।
वही इन मुद्दों को लेकर रिहाई मंच ने कहा है कि पिछले एक हफ्ते से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में प्रायोजित तरीके से सत्ता संरक्षण में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की लगातार कोशिश की जा रही है।
महराजगंज के पनियरा गांव के बरगदवां टोले में भगवा झंडे को लेकर तो, कभी बरेली मुरादाबाद रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी वाले पत्र जैसे मामले राज्य में बदहाल कानून व्यवस्था से ध्यान हटाने के लिए सांप्रदायिक तनाव का षडयंत्र रचने की बात कही।
मंच ने कहा कि बलिया में राघवेन्द्र राम के नेतृत्व में GMAM इंटर कॉलेज, बेल्थरा रोड में दलित अल्पसंख्यक एकता मंच, रिहाई मंच, इंडियन पीपुल्स सर्विसेज, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा, स्वराज अभियान, दूधिया संघ और भाकपा के प्रतिनिधि मंडल ने दौरा किया। जहाँ उन्होंने दो साल पहले बेल्थरा रोड में हुए सांप्रदायिक तनाव के आरोपी इस विवाद के न सिर्फ षडयंत्रकर्ता होने की बात कही।
संगठन ने साफ़ तौर पर ये अपना कहा कि वीडियो अपलोड के द्वारा पूरे तनाव को भड़काने और तनाव को पैदा कर सांप्रदायिकता का बीज बोने का काम किया वहीं कस्बे का माहौल खराब कर समाज को साप्रदयिकता के रंग में रंगने का प्रयास किया जा रहा है।
गौरतलब हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वतंत्रता सेनानी मोहम्मद अली जौहर के नाम पर आजादी से पहले 1929 में ‘गांधी मोहम्मद अली मेमोरियल इंटर कॉलेज’ की स्थापना हुई थी। हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में जाने जाने वाले इस कॉलेज में लगभग 2500 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते है। आजादी के ऐतिहासिक संघर्षों की विरासत वाला यह कालेज लंबे समय से सांप्रदायिक तत्वों की आंख की किरकरी बना हुआ है।
ठीक इसी तरफ पिछले साल अक्टूबर में भाजपा विधायक संजय यादव के नेतृत्व में सिंकन्दरपुर में सांप्रदायिक तत्वों ने मुसलमानों की दुकानों में लूटपाट और आगजनी की थी। यह घटनाएं बताती हैं कि बलिया को फिर से सांप्रदायिकता की आग में झोकने पर सांप्रदायिक तत्व उतारु हैं।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने बहराइच के रिसिया कस्बे में मूर्ति स्थापना के नाम पर भड़के तनाव के लिए थानाध्यक्ष सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। वहीँ भाजपा की लो इन्टेंसिटी कम्यूनल वायलेंस नीति के चलते गांव-कस्बों में सांप्रदायिक तनाव भड़काए जाने की बात कही।
उन्होंने बताया कि भाजपा मंत्री व स्थानीय विधायक अनुपमा जायसवाल के दबाव में मूर्ति स्थापना के नाम पर तनाव पैदा किया गया। जबकि उस स्थान पर सालों पहले तनाव हुआ था और स्थानीय लोगों ने मिलजुलकर तय किया था कि इस तरह की कोई नई परंपरा नहीं विकसित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि एक तरफ राजधानी में आम नागरिक की पुलिस हत्या कर देती है तो दूसरी तरफ दोहरे हत्याकांड के बाद अभियुक्तों की गिरफ्तारी के वक्त एक की मौत से पूरा पुलिस मोहकमा सवालिए घेरे में है। वहीं अलीगढ़ से आजमगढ़ तक मुठभेड़ के नाम पर हत्या और लगातार पुलिसकर्मियों की आत्महत्या जैसी घटनाएं बताती हैं कि सूबे में परिस्थितियां सामान्य नहीं हैं।