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हज कमेटी ऑफ इण्डिया के सदस्य सैयद मुहम्मद मकसूद अशरफ ने आज पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय पर कमेटी को आजादी से काम नहीं करने देने की वजह बताई।
सैयद अशरफ ने प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान मीडिया के समक्ष ये कहा कि मंत्रालय हज कमेटी को हाजियों को सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं देने सक्षम नहीं हो पा रही है। हाजियों को ठहराने, उनके भोजन की व्यवस्था करने से लेकर हवाई जहाज के टिकट तक के फैसलों में मंत्रालय का हस्तक्षेप रहता है। अशरफ ने कहा कि हज यात्रा की विमान सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा है, जबकि इकोनॉमी क्लास के टिकटों पर केवल पांच प्रतिशत ही निर्धारित है।
उन्होंने कहा कि 2018 हज कमेटी ने सभी हज यात्रियों को मदीना में मरकजिया (हरम शरीफ के नजदीक) में ठहराने का निर्णय लिया था लेकिन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने उसे मानने से इनकार कर दिया। नतीजतन ज्यादातर हज यात्रियों को शुल्क चुकाने के बावजूद मरकजिया के दायरे से बाहर रहने को मजबूर होना पड़ा। इसके अलावा उन्हें इस अतिरिक्त चुकाये गये राशि की वापसी भी मंत्रायल द्वारा नहीं की गई।
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि मंत्रालय कमेटी के कामकाज में लगातार दखलंदाजी करने के साथ-साथ उसके निर्णयों को भी अक्सर पलट देता है। ऐसे हालात में इस्तीफा देने को उन्होंने सही बताया।
आपको बताते चलें दो दिन पहले अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय पर कमेटी द्वारा 2019 के हज यात्रा को लेकर नई गाइड लाइन जारी करने की बात सामने आई है। जिसमें पासपोर्ट 17 नवंबर 2018 तक या इसके पहले का जारी होने के अलावा 31 जनवरी 2020 तक पासपोर्ट वैधता को अनिवार्य बताया है। साथ ही पासपोर्ट कर पता चेंज होने पर 11 प्रूफ देने की भी बात कही गई है।