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बसपा के लिए नुक़सानदायक हो सकता है दानिश अली को नेता विपक्ष पद से हटाना!

आस मुहम्मद कैफ, TwoCircles.net

हापुड़-

लोकसभा में बसपा नेता पद से कुँवर दानिश अली को हटाया जाना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है!मुसलमानों में इसे लेकर नाराजगी हैं!क्या हालिया उपचुनाव में इससे कोई फर्क पड़ेगा पढ़िए यह रिपोर्ट-

दानिश अली का घर हापुड़ कस्बे में बेहद तंग गलियों में है.उनका पारिवारिक लक़ब ‘कुँवर’ है.यही कारण है कि उन्हें कुँवर दानिश अली कहा जाता है।वो हापुड़ के राजपूत मुस्लिम परिवार में पैदा हुए हैं.हापुड़ के उनके पड़ोसी दानिश अली की प्रतिभा का लोहा मानते हैं.व्यापार से लेकर राजनीति तक दानिश के हाथ लगी हर मिट्टी सोना बनती रही है.हापुड़ के गलियारों में दानिश अली की काबलियत के डंके बज रहे हैं.यह तब है जब दानिश अली के बचपन का कुछ ही वक़्त हापुड़ में गुजरा है.उनकी पढ़ाई लिखाई दिल्ली हुई है.सियासत का क ख़ ग उन्होंने कर्नाटक में सीखा है और अब सांसद वो अब अमरोहा है.इस सबके बावूजद हापुड़ के गलियों में उनके लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के नेता पद से हटाया जाना काफी खल रहा है.

लोग निश्चित तौर पर नाराज़ है हापुड़ के डा अय्यूब के मुताबिक मायावती को कुँवर दानिश अली को लोकसभा के नेता पद से नही हटाना चाहिए था.उन्हें जब नेता बनाया गया था तो हापुड़ में खुशी का माहौल था.दानिश हमारे यहां युवा पीढ़ी के नेता है.उसकी काबलियत को सही सम्मान मिला था.मगर अब उन्हें हटाया जाना बसपा प्रमुख की नीयत पर शक पैदा करता है.लोकसभा चुनाव के बाद से मुसलमानों का झुकाव बसपा की तरफ होने लगा था मगर हाल फिलहाल कुछ फैसलों से यह भविष्य में फिर से समाजवादी पार्टी की और हो सकता है.

कुँवर दानिश अली लोकसभा चुनाव में अमरोहा की संसदीय सीट से गठबंधन प्रत्याशी बनाये गए थे.इससे पहले वो कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की शपथग्रहण में तमाम बड़े नेताओं के साथ मंच पर थे.बताया जाता है उत्तर प्रदेश में सपा बसपा गठबंधन के लिए सबसे ज्यादा प्रयास उन्होंने ही किया था.वो कर्नाटक की राजनीति में सक्रिय थे और उन्हें जेडीएस का प्रवक्ता पद हासिल था.पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को कुँवर दानिश अली का राजनीतिक गुरु माना जाता है.

अमरोहा से समाजवादी पार्टी अपने पूर्व मंत्री और कद्दावर स्थानीय नेता कमाल अख्तर को चुनाव लड़वाना चाहती थी.मगर बसपा के कोटे से कुँवर दानिश अली के नाम पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव तुरंत सहमत हो गए.कुँवर दानिश अली के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके आग्रह पर यहां से कांग्रेस प्रत्यशी राशिद अल्वी को बदल दिया गया हालांकि इस बात की पुष्टि नही की जा सकती.चुनाव में कुँवर दानिश अली को 6 लाख मत मिले और उन्होंने भाजपा के पूर्व सांसद कंवर सिंह तंवर को लगभग डेढ़ लाख वोटों से हरा दिया.

उत्तर प्रदेश में बसपा के 10 लोकसभा सांसद बने.इनमे से तीन मुसलमान है.कुँवर दानिश अली उच्च स्तर के सियासी अनुभव को देखते हुए मायावती ने उन्हें बसपा लोकसभा सदस्य दल का नेता बना दिया.

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक बसपा में दूसरे नम्बर की हैसियत वाले राज्यसभा में पार्टी के नेता सतीश चंद्र मिश्र को यह अच्छा नही लगा और वो मौके की तलाश में लग गए.पिछले दिनों लोकसभा में तीन तलाक बिल और 370 धारा पर हुई बहस में कुँवर दानिश अली ने तीखी बहस की.जो पार्टी की लाइन से हटकर बताई गई.इसके बाद कुँवर दानिश अली को बसपा के लोकसभा के नेता पद से हटा दिया गया और उनकी जगह जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव को दल का नेता बना दिया गया. मुसलमानों में नाराजगी को दबाने के लिए बसपा के पुराने वफादार बाबू मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया.

लखनऊ में राजनीतिक मामलों के जानकार तारिक़ सिद्दीकी बताते हैं  “पिछले महीने से बसपा की राजनीति में एक विशेष अंतर देखने में में आया है जिसमे वो सरकार की हां में हां करती दिख रही है, ऐसा लगता है यह परिवर्तन बसपा अध्यक्ष मायावती के भाई आनंद सिंह के यहां डाले गए सीबीआई छापे के बाद आया है.”

वरिष्ठ पत्रकार मोहसिन राणा के अनुसार बसपा की राजनीति का तौर तरीका ही यह है.कुँवर दानिश अली थोड़ा तेज चल रहे थे उनके पंख कतरे गए हैं उम्मीद है उन्हें कुछ समझ मे आ गया होगा.यूपी और कर्नाटक की राजनीति में बड़ा फर्क है खासतौर पर बसपा की राजनीति बिल्कुल अलग है यहां बस एक नेता है मायावती।

हालांकि मुसलमानों में इस बात को लेकर नाराजगी है. उत्तर प्रदेश में 11 विधानसभा सीटों पर जल्दी ही उपचुनाव होने वाले हैं.देखना रोचक रहेगा कि मुसलमान किधर रुख करता है!मगर निश्चित तौर पर लोकसभा में बसपा की तरफ गया मुसलमान अब ठिठकता दिख रहा है!