आस मुहम्मद कैफ, TwoCircles.net
गुरुवार को बागपत शहर के माता रानी मौहल्ले में अंधेरे और उजाले के बीच एक द्वंद हुआ और इसमें अंधेरा हार गया।.हुआ यूं कि यहां हजारों की भीड़ ने एक युवक की लिंचिंग करने की कोशिश की और एक इंसान ने अपनी जान पर खेलकर उसकी न केवल जान बचाई बल्कि मानवता का भी क़त्ल होने से बचा लिया.
यह घटना ऐसे समय हुई जब मॉब लिंचिंग को लेकर बेहद गर्म माहौल है लेकिन बागपत ने एक मिसाल कायम कर दी.बच्चा चोरी की अफवाह के बाद मुस्लिम बहुल इलाके में बहुसंख्यक समुदाय के युवक की लिचिंग अमन पर क्या प्रभाव डाल सकती थी यह समझा जा सकता है!
घटना की शुरुवात गुरुवार दोपहर 12 बजे हुई जब एक पान की दुकान के पास दो संदिग्ध युवको को देखा गया जिनका कोई स्थानीय परिचित नही था.इसके बाद उनके बच्चा चोर होने की अफवाह फैलने लगी.धीरे-धीरे भीड़ जुटने लगी.माहौल को भांपकर दोनों में से एक युवक भाग गया जबकि दूसरे को भीड़ पकड़कर पीटने लगी.इसके बाद पास ही में मैडिकल प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर शकील अहमद भीड़ से भिड़ गये और उन्होंने उस युवक को अपने घर मे बंद करके बाहर से ताला लगा दिया और खुद भीड़ से भिड़ गए.प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक घण्टे के बाद पुलिस आई.तब तक भीड़ युवक को कब्जाने के प्रयास में लगी रही.बाद में भीड़ ने पुलिस से भी युवक को छीनने की कोशिश मगर वो इसमें कामयाब नही हुए.
युवक की पहचान गाजियाबाद निवासी प्रवीण कुमार के तौर पर हुई.हालांकि अब तक उसके मुस्लिम बहुल इलाके में आने का उद्देश्य पता नहीं लग सका है।पुलिस के अनुसार वो अभी जांच कर रहे हैं।अफवाह कैसे फैली!पुलिस यह बताने में भी असमर्थ है।
घटना के चश्मदीद और युवक को मॉब लिचिंग से बचाने वाले शकील अहमद पूरा माजरा समझाते हुए बताते हैं “उनका घर बागपत के माता रानी मौहल्ले में ही है यहां 20-25 लोगो ने एक युवक को पकड़ रखा था और कुछ उसे पीट भी रहे थे.मैं इन लड़को के पास गया और उनसे पूछा क्या मामला है,लड़को ने बताया कि यह बच्चा चोर है.मैंने उन्हें समझाया कि अगर यह बच्चा चोर है तो इसे पुलिस को दे देते है और पुलिस कार्रवाई करेगी.मगर लोग इस पर राजी नही हुए और खुद ही पूछताछ पर अड़ गए.इसके बाद यह संख्या लगातार बढ़ती रही.युवक ने अपना नाम प्रवीण बताया था मैं खतरे को भांप गया.मैंने युवक को जबर्दस्ती भीड़ से छुड़वाया और पास में अपने घर में बंद कर दिया.”
शकील बताते हैं कि इसके लिए उन्हें अपने ही लोगो का विरोध झेलना पड़ा.भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थीं और अब यह हजारों में बदलने वाली थी.मैंने स्थानीय पुलिस इंस्पेक्टर को फोन करके मदद मांगनी चाही मगर वो फोन नह उठा सके.डायल 100 में भी बात नही हो पाई.एसपी बागपत ने जबकि तुरंत सुनवाई की और पुलिस मौके पर पहुंच गई.शकील कहते हैं “यह चार पुलिसकर्मी थे मगर हालात को देखकर भारी पुलिस फोर्स बुलवाई गई इसके बाद भी पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी”.
शकील अहमद कहते हैं कि उनकी अब तक आलोचना हो रही है हालांकि कुछ लोग उन्हें सही भी कह रहे हैं.शकील के मुताबिक उन्होंने वही किया जो उनके जमीर ने उनसे कहा अगर भीड़ यहां उस युवक की लिचिंग कर देती तो निश्चित तौर पर हिन्दू मुस्लिमो के विरुद्ध तनाव बढ़ जाता.
आश्चर्यजनक यह है कि घटना के बाद शकील के साहसी प्रयास के बावजूद भी स्थानीय प्रशासन ने उनके सराहना नही की.शकील में हमें बताया कि उन्होंने आज भी इंस्पेक्टर साहब का इसी मामले में अपडेट की जानकारी लेने के लिए फोन मिलाया मगर कॉल रिसीव नही हुई.
हालांकि उन्हें बहुसंख्यक समुदाय के स्थानीय लोगो से खासी सराहना मिली.पूर्व राज्यमंत्री कुलदीप उज्जवल ,अर्जुन अवार्ड विजेता सोकेन्द्र पहलवान ने भी उनकी उनकी तारीफ की.
शकील के मुताबिक उन्हें अफ़सोस है कि देश भर में कई जगह हुई लिचिंग के दौरान किसी ने भी ऐसा नही किया.अगर भीड़ के अपने चेहरों में से दो चार भी लिचिंग के विरोध में खड़े हो जाएं तो इस शर्मनाक स्थिति से बचा जा सकता है.
बागपत के पूर्व मंत्री कुलदीप उज्ज्वल के मुताबिक देश भर में हुई मॉब लिचिंग से से यह एकदम अलग घटना थी.यहां भीड़ अल्पसंख्यक समुदाय से थी और संदिग्ध युवक बहुसंख्यक समुदाय से था.भीड़ उत्तेजित थी उसे पक्का यक़ीन था कि यही आदमी बच्चा चोर है.वो कानून अपने हाथ मे लेने को उतारू थी जिसके बाद कोई भी अनहोनी हो सकती लेकिन शकील अहमद में सच्चे भारतीय होने का परिचय देते हुए उस युवक की जान बचाई!काश इस तरह का साहस कहीं और भी किया गया होता तो बेगुनाह लोग आज जिंदा होते!