दिल्ली में रविदास मन्दिर पुनर्निर्माण आंदोलन तेज़। अनुयायियों में भारी आक्रोश!

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आस मुहम्मद कैफ, TwoCircles.net

दिल्ली –


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बीते 10 अगस्त को दिल्ली के तुगलकाबाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में डीडीए द्वारा ध्वस्त किए गए दलितों के गुरु संत रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण की लड़ाई लंबी होने वाली है।

आंदोलन की तैयारी

दिल्ली में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है।दलितों ने क़मर कस ली है और सड़क से लेकर अदालत तक लड़ने के लिए रणनीति

तैयार की गई है।29 अगस्त, गुरुवार से संत रविदास के अनुयायी भारी संख्या में जंतर मंतर पर एकत्रित होकर धरना दे रहे हैं।इस अनिश्चितकालीन धरने का नेतृत्व संत सुखदेव वाघमारे के हाथ मे सौंपा गया है।कई राजनीतिक पार्टियों ने मंदिर निर्माण को अपना समर्थन सौंप दिया है।

21 अगस्त को राजधानी के रामलीला मैदान में भारी संख्या में दलितों के जुटने के बाद दिल्ली में जबरदस्त हलचल है।मंदिर की तरफ कूच करने वाले भीम आर्मी के चन्द्रशेखर अब तक जेल में है।इसी सप्ताह दिल्ली विधानसभा द्वारा एक विशेष प्रस्ताव पारित कर रविदास मंदिर के पुनः निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने के लिए केन्द्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग की गई है।

लोधी वंश के सिकंदर लोधी द्वारा दान में दी गई 12 बीघा ज़मीन पर बना यह प्राचीन मंदिर दलितों की आस्था का केंद्र रहा है और संत रविदास की 500 पुरानी समाधि भी इसी में होना बताया जाता है।10 अगस्त को केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के अधीन आने वाले डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत इसे अवैध निर्माण बताते हुए मंदिर को जेसीबी से ध्वस्त कर दिया था।तब से ही दलितों में आक्रोश है।देश भर में संत रविदास के 35 करोड़ अनुयायी बताए जा रहे हैं।पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार भी उनमें से एक हैं। उनके ट्विटर अकॉउंट से दी गई जानकारी के मुताबिक उनके पिता केंद्रीय मंत्री रहे, स्वर्गीय जगजीवन राम ने 1959 में तुगलकाबाद स्थित इस मंदिर का उद्घाटन किया था।संत रविदास का जन्म 1443 में हुआ था और 1509 में उन्हें यह ज़मीन बादशाह सिकंदर लोधी से दान स्वरूप मिली थी।

दिल्ली में यह मंदिर जहाँपनाह सिटी फारेस्ट के दक्षिणी छोर पर स्थित है।मंदिर से 100 मीटर के एरिया में किसी के आने जाने पर रोक लगा दी है।फ़िलहाल यहां हजारों  सिपाही तैनात किए गए हैं।

दिल्ली के आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री राजेन्द्र पाल सिंह गौतम के अनुसार मंदिर पर पड़ने वाला हर हथौड़ा उनके अनुयायियों की छाती पर पड़ा है।यह मामला समाज के आत्मसम्मान से भी कहीं बढ़कर है।उनके मुताबिक देश में जहाँ एक तरफ़ सिर्फ विश्वास के आधार पर मंदिर बनाने की लड़ाई लड़ी जा रही है वहीं दूसरी तरफ़  मंदिर के अस्तित्व के समस्त प्रमाण होने के बावजूद उसे ध्वस्त कर दिया गया।

अदालत के आदेश के मुताबिक मंदिर की देखभाल करने वाली समिति गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने वन के लिए आरक्षित ज़मीन को खाली नही किया है, जबकि दिल्ली सरकार ने 1980 में जमीन को वन के लिए आरक्षित घोषित किया था।समिति ने अदालत में कहा कि मंदिर 600 साल पुराना है।

कांग्रेस के दो सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए याचिका दायर की है। उनके नेता नितिन राउत के मुताबिक यह मामला करोड़ो लोगो की आस्था से जुड़ा है। इसे राजनीति से दूर रखा जाएं।उनके अनुसार डीडीए ने अदालत में ग़लत तथ्य पेश किए जिसकी वजह से मंदिर को तोड़ा गया।

रविदास मंदिर के ध्वस्त करने की सबसे अधिक आंच पंजाब ने महसूस की है जहां रविदासिया समाज का दबदबा है।पंजाब में रविदासिया समाज की बहुत बड़ी आबादी है जो बेहद गुस्से में है।पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी दिल्ली में मन्दिर के पुनर्निर्माण की मांग की है।पंजाब के कई जिलों में भारी विरोध प्रदर्शन हुए हैं इनमे जालंधर,होशियारपुर जैसे जिले भी शामिल हैं।

रविदास मंदिर समिति के सतविंदर सिंह हीरा के मुताबिक 10 अगस्त की सुबह 6 बजे डीडीए अफसर अपने साथ एक हजार से ज्यादा पुलिस बल लेकर यहां पहुंचे और 8 बजे तक जेसीबी मशीन से मंदिर ध्वस्त कर दिया।उन्होंने कहा कि हमारे धार्मिक ग्रंथों को भी बाहर निकालने का मौका नही दिया गया।

संत रविदास 14वीं और 15वीं सदी के एक महान समाज सुधारक थे जो अपनी रचनाओं से समाज में जागरूकता फैलाते थे।वे जूते बनाने का काम करते थे।

युवा गौरव भारती के मुताबिक उनकी रचनाओं के केंद्र में ब्राह्मणवाद,आडंबरवाद और अंधविश्वास के लिए चुनौती होती थी। ब्राह्मण उनके लिए तब ही से दुर्भावना रखते हैं।देश भर में हजारों धार्मिक स्थल अवैध कब्जे कर बने हुए हैं।यहाँ ग़ौर करने वाली बात ये है की सिर्फ एक रविदास मंदिर पर ही डीडीए के सारे तीर कैसे चल गए।

मंदिर का ढाँचा गिराने के बाद से भीम आर्मी में भी तेजी से हलचल हो रही है।उनके नेता चंद्रशेखर अपने कार्यकर्ताओं के साथ मंदिर वाली जगह पर जा रहे थे जहां से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।फिलहाल वो जेल में है।इसके बाद भीम आर्मी ने अपने गढ़ सहारनपुर में प्रदर्शन किया।भीम आर्मी के राष्ट्रीय महासचिव कमल सिंह वालिया के मुताबिक भाजपा सरकार को इसका जवाब मिलेगा। वो दलितों के जज्बातों से खेल रही है जो ठीक नहीं हो रहा है।इसके परिणाम अच्छे नही होंगे।

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी रविदास मंदिर गिराने के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।उन्होंने कहा कि रोष जताने वाले दलितों को ही जेल भेज देना ठीक नहीं है।दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले यह मामला शांत होता नही दिख रहा है।

 

 

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