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“भले ही सरकार हमारे बच्चों को उपद्रवी कहे और अखबार दंगाई! मगर वो देश के लिए कुर्बान हो गए!”मेरठ से ग्राउंड रिपोर्ट

Asif's house

मेरठ-
नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद अब तक कुल 21 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमे से 6 सिर्फ मेरठ के रहने वाले है।इनमे से 5 को मेरठ में और एक को दिल्ली में दफनाया गया है।मेरठ की तंग गलियों में अंदर तक जाकर बमुश्किल इनके घर तलाशने पर मिलते हैं।इनमे दो किराए पर रहते हैं और दो के घर मे दरवाज़े और पर्दे तक नहीं है जबकि एक के बमुश्किल 50 गज के घर एक दर्जन लोग रहते हैं।मरने वाले सभी मजदूरी करके अपना परिवार पाल रहे थे।इनमे सिर्फ एक गैर शादीशुदा है।
तब भी मेरठ में हुए बवाल के दौरान जिन 5 परिवारों से हमने मुलाक़ात की उन सबकी कहानी में गहरी तक़लीफ़ के साथ गज़ब की हिम्मत दिखाई देती है।यह सभी मौत मेरठ के लिसाड़ी गेट थाने क्षेत्र में हुई है जबकि सिर्फ मेरठ शहर में 7 थाना क्षेत्र है।
यह हिम्मत 75 साल के मुंशी में भी है जिसने अपना 42 साल का बेटा खो दिया।जिसे अपनी बेटी की हाल ही में शादी करनी थी।60 साल की नसीमा भी में है जिसने अपना 22 साल का पोता खो दिया जो घर का सबसे कमाऊ पूत था और 25 साल की इमराना में भी है जिसके शौहर की छाती फाड़कर निकली गोली उसकी गोद मे लेटे 6 महीने के बच्चें को यतीम बना गई।
अलीम-के-घर-सांत्वना-देने-वालों-का-आना-जाना-लगा-है
इनकी हिम्मत हैरत में डालती है यहीं के बाशिन्दे मोहम्मद आज़ाद(40) हमें बताते हैं “इतिहास गवाह है
मेरठ क्रांति की भूमि है।1857 का गदर यहीं से शुरू हुआ और मंगल पांडे ने यहीं शहादत दी।यहां के लोग सरकारों की ज्यादती के ख़िलाफ़ घुटने टेकने के लिए मशहूर नही है लोग कल संविधान के बनाने के लिए जान दी थी आज सविंधान बचाने के लिए जान दे रहे हैं”।
हालांकि बवाल में मारे गए घन्टा वाली गली के निवासी आसिफ के 65 साल के पड़ोसी कल्लू यह भी नहीं जानते कि नागरिकता संशोधन कानून क्या है, और लोग इसका विरोध क्यों कर रहे है !वो बताते हैं कि बस यह सरकार हमारी परवाह नही करती है!हमें इनपर भरोसा नही!यह जो भी कुछ करेंगे हमारे ख़िलाफ़ करेंगे!यह सरकार हमारे ख़िलाफ़ है।देश के  प्रधानमंत्री को सबका होना चाहिए।वो हमें यहां से निकालना चाहते हैं!मैं यहीं पैदा हुआ!65 साल का हूँ अब ज्यादा जिंदा रहने की ख्वाईश नही है!कल्लू बताते हैं यह बात सब कह रहे हैं!
जिसकी-हाल-ही-में-शादी-हुई-थी
आसिफ के साले इमरान हमें बताते हैं कि उनके बहनोई के पीठ पर गोली लगी।उन्होंने खुद देखा कि उन्हें पुलिस ने गोली मारी वो डरकर छिप गए जब पुलिस चली गई तो हम उनके लेकर अस्पताल गए।
निजी अस्पतालों ने उन्हें देखने से इंकार कर दिया और सरकारी अस्पताल तक की कवायद में उनका दम निकल गया।
 
आसिफ के 3 बच्चें है जिनमें से एक 6 महीने का बेटा भी है,आसिफ की बीवी इमराना इद्दत में है उन्होंने हमारी सहयोगी महिला को बताया कि”मौत बरहक़ है जरूर आनी है मगर उनका शौहर शहीद हुआ है,यह जुल्म है और मेरा खुदा इसका बदला लेगा”।
आसिफ के माता पिता की पहले ही मौत हो चुकी है और उसके कोई भाई नही है।’घंटे वाली गली’ में आसिफ़ किराए पर अपने परिवार के साथ रहता है और वो पुराने टायर पर रबर चढ़ाने का काम करता था”।
मर्तक-मोहसीन
इसी गली  पास जाली वाली गली मे जहीर (44) का घर है।जहीर की भी जुमे के दिन ही गोली लगने से मौत हो गई थी।जहीर की एक 20 साल की बेटी है वो कहती है”अब्बू घर से कह गए थे कि वो बीड़ी लेने जा रहे हैं थोड़ी देर गली में शोर मचने लगा पुलिस अंदर तक आ गई थी हम सब डर गए गोलियों की आवाज़ आ रही थी”
जहीर के अज़ीज़ दोस्त शमीम के मुताबिक वो चश्मदीद है उसने देखा जहीर गली में बाहर एक चबूतरे पर बैठा हुआ बीड़ी पी रहा था अचानक वो नीचे गिर गया।उसके गोली लगी थी।पुलिस दनादन गोली चला रही थी।वो गली में अंदर घुस आए थे।
मैं वहीं था मैंने उसे गोद मे उठाया और 100 नम्बर डायल किया,एम्बुलेंस भी मंगाई मगर कोई मदद नही आई।हम उसे एक मिनी ट्रक में डालकर मेडिकल अस्पताल में ले गए वहां पुलिस उल्टे हमें ही धमकाने लगी।रात में ही पोस्टमार्टम के बाद हमें उसकी लाश दी गई और जल्द से जल्द दफ़नाने की हिदायत भी।घर परिवार के आठ दस लोगो ने जहीर को सुबह 6 बजे सुपुर्द खाक़ कर दिया।
केरल से आई मुस्लिम लीग के कुछ लोग जहीर के घर दुख जताने आएं है।मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय महासचिव सीके जुबैर बताते हैं कि “उत्तर प्रदेश पुलिस ने अंग्रेज शासन से भी अधिक बर्बरता की है अपने ही देश के नागरिकों के प्रति कोई ऐसा नही करता है।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की विचारधारा बेहद खतरनाक है,यह सब उनके इशारे पर है यह टारगेट किलिंग जैसा है क्योंकि सभी मर्तको को गोली सीने पर या सर पर लगी है “।
अलीम के अब्बा।
19 दिसम्बर को जुमे की नमाज के बाद भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए थे और वो पुलिस से भिड़ गए।पुलिस का कहना है कि लोगो ने पथराव किया,आगज़नी की इसके बाद पुलिस को बलप्रयोग करना पड़ा।इस दौरान फायरिंग भी हुई।हिंसा के दौरान 6 लोगो की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए। स्थानीय लोगो का दावा है यह सब मौते पुलिस की गोली से हुई।
मोहल्ला गुलजार ए इब्राहिम के खत्ते वाली गली में मारे गए मोहसीन मलिक के बडे भाई मोहम्मद इमरान कहते हैं”मेरा भाई घर से पैसे लेकर भैंस के लिए चारा लेने गया था,गोली लगने के बाद मेरा भाई सड़क पर गिर गया उसके सिर में गोली लगी थी।उसके एक बेटी है।कुछ लोग उसे अस्पताल ले गए उसे बचाया जा नही सका।वो बहुत ताक़तवर था।हम 6 भाइयों में सबसे ज्यादा।वो बेगुनाह था उसकी सियासी बातों में कोई दिलचस्पी नही थी और न ही वो प्रदर्शन में शामिल था मगर पुलिस ने उसे उपद्रवी बता दिया और अख़बार दंगाई बता रहा है।
पास में खड़े मोहसीन के चाचा अय्यूब इमरान को समझाते हुए कहते हैं “भले ही सरकार हमारे बच्चों को उपद्रवी कहे और अखबार दंगाई! मगर हमें नाज़ है इनकी कुर्बानी देश के काम आएगी!मरने वाले कोई भी अपराधी नही थे।यह सब मजदूर है।एक दिन में मुश्किल से 300₹ कमाते होंगे।इनके ख़िलाफ़ कहीं मुक़दमा दर्ज नही है।यह न ही तो झगड़े करते थे और न नही इन्हें राजनीति करनी थी।पुलिस ने सबक सिखाने की नीयत से गोली चलाई और यह सब मारे गए।अल्लाह की मर्जी है यह।बेगुनाह के क़त्ल में बहुत आह होती है।शहादत है यह।”
मारे गए आसिफ, जहीर और मोहसीन के घर आसपास ही है,जबकि आलिम और आसिफ(22)मोहल्ला कांच के पुल की गली नंबर 9 और 10 में रहते थे।आलिम(21) के पावर हैंडलूम के एक कारख़ाने में काम करता था।अभी उसकी शादी को एक साल भी नही हुआ था।घर की हालात ऐसी है कि कोई भी हैरत में पड़ सकता है।दरवाज़े के नाम पर यहाँ कपड़ा लटकाया गया है।आलिम के बूढ़े बाप और अपाहिज़ भाई के लिए उसकी मौत के बहुत अधिक मायने है।
यहीं आसिफ का भी घर है,आसिफ इन पाँचो में अकेला है जिसकी शादी नही हुई थी।22 साल के आसिफ पर मेरठ पुलिस ने साज़िश में शामिल होने की बात कही थी।मेरठ पुलिस का कहना था कि बवाल योजनाबद्ध तरीके से हुआ और दिल्ली से लड़के आएं।आसिफ भी दिल्ली से आया।आसिफ की अम्मी बताती है “मेरा बच्चा दिल्ली में 5 साल ऑटो रिक्शा चलाता था वो हर जुमे को घर हमसे मिलने आता था।बवाल वाले दिन जब देर तक घर नही आया तो उसका फ़ोटो मोबाइल पर देखा।पुलिस ने अब तक हमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी नही दी है।हमें यह भी नही पता कि हमारी रिपोर्ट लिखी गई है या नही!यह जुल्म नही तो और क्या है!आसिफ की मेहनत पर हमारा घर चलता था।वो सिर्फ 22 साल का था।अगर वो प्रदर्शन में था भी तो क्या उसे सीधे गोली मारनी चाहिए थी!हमें अपने बच्चें की मौत का बहुत दुःख  है!मरना तो सभी को है!दुःख यह भी हैकि सरकार तो सबकी होती है!मोदी जी कहते हैं हम कोई भेदभाव नही कर रहे मगर पुलिस की गोलियों ने बहुत भेदभाव किया है!वो लाठीचार्ज करते, आंसू गैस छोड़ते, या फिर रबर की गोलियां चलाते मगर सीधे गोली कोई सरकार अपने लोगो पर नही चलाती।वो हमें अपना नही मानते।
हमारे घर अब तक सरकार का कोई नेता दुःख जताने नही आया।शहर के विधायक रफीक अंसारी हमारी साथ गए तब उन्होंने हमारे बच्चे की लाश दिखाई।
मगर फिर मैं अफ़सोस नही करती!अल्लाह मददगार है।
आसिफ़ की दादी तब से गहरे सद मे है
इनमें किसी की भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नही आई है।जिससे तकनीकी तौर यह कह सके कि इनकी मौत पुलिस की गोली से ही हुई है।उत्तर प्रदेश के डीजीपी पुलिस फायरिंग में हुई मौत से पहले ही इंकार कर चुके हैं हालांकि बिजनोर में सुलेमान की मौत में जरूर पुलिस की गोली की पुष्टि हो चुकी है।बिजनोर पुलिस के अनुसार ऐसे आत्मरक्षा में हुआ।
 
मेरठ के पुलिस कप्तान अजय साहनी भी दावा करते हैं बवाल योजनाबद्ध था और प्रदर्शन कर रहे लोगो ने हिंसा की वो फायरिंग कर रहे थे पीएफआई लोगो को पहले से भड़का रही थी।उन्होंने पीएफआई से जुड़े कुछ युवकों को गिरफ्तार किया है जिनसे जानकारी मिली है।वो बताते हैं कि उनके पास वीडियो फुटेज है जिसमे बवाल कर रहे लोग पुलिस पर फायरिंग करते हुए देखे जा सकते है।इसलिए गोली किसकी लगी है साफ तौर पर नही कहा जा सकता!यह जांच में ही पता लगेगा!